बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (26 जुलाई 2021) को उनकी हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसमें अख्तर ने आरोप लगाया था बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने जानबूझकर अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण की अनुरोध वाली याचिका में अदालत से कुछ तथ्य छिपाए हैं।
अख्तर की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि कंगना रनौत का यह बयान कि उनके खिलाफ किसी भी अदालत में कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है, झूठा और भ्रामक है। ग्रोवर ने कहा कि रनौत ने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए धोखाधड़ी की है। इसलिए अपनी बात रखने के लिए अख्तर ने हस्तक्षेप याचिका दायर की थी।
हालाँकि, जस्टिस एस एस शिंदे और जस्टिस एन जे जमादार की पीठ ने अख्तर को लताड़ लगाते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया है। जस्टिस शिंदे ने टिप्पणी की, “हम आपकी बात नहीं सुनेंगे। आपको अदालत को संबोधित करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर हम इस तरह के हस्तक्षेप की अनुमति देते हैं तो सैकड़ों आवेदन दिए जाएँगे।”
अदालत ने सुझाव दिया कि शिकायतकर्ता सरकारी वकील के कार्यालय में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। अदालत ने कहा, “अगर इस तरह के आवेदन हैं तो इसके लिए एक वकील है, एक अभियोजक है, उनसे संपर्क करें। हम इस तरह काम नहीं कर सकते हैं।”
अख्तर की हस्तक्षेप याचिका वकील जय भारद्वाज के माध्यम से दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अदालत द्वारा रखी गई क्वेरी में अनिवार्य रूप से रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी को यह पुष्टि करने की आवश्यकता है कि एक्ट्रेस के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
अख्तर के वकील ग्रोवर ने बहस जारी रखी, न्यायमूर्ति जमादार ने उन्हें रुकने और अदालत को सुनने के लिए कहा। जस्टिस शिंदे ने कहा, “अगर हम इस तरह के आवेदनों को अनुमति देते हैं तो अदालतों में ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाएगी। इस मामले में सरकारी वकील प्रतिवादी हैं। अगर आप कुछ कहना चाहते हैं तो उनके माध्यम से कहें। रिजवान मर्चेंट जैसे सक्षम वकील हैं। आप उनके माध्यम से कह सकते हैं।”
वहीं, अख्तर ने दावा किया है कि हस्तक्षेप आवेदन की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में कंगना रनौत के वकील द्वारा दिए गए सभी बयान झूठे थे। रनौत ने अदालत को बताया था कि उनके खिलाफ केवल दो प्राथमिकी दर्ज हैं और उन्होंने एक अन्य लंबित मानहानि मामले का उल्लेख नहीं किया, जो अख्तर ने रनौत के खिलाफ दायर किया था।