कानपुर के बिकरू कांड पर एसआईटी ने बुधवार (नवंबर 4, 2020) को अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। यह रिपोर्ट 3200 पन्नों की है। इसमें विशेष जाँच टीम ने अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलाकर कुल 75 लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष में पुलिस की गंभीर चूक सामने आई है। अब आगे प्रशासन इस रिपोर्ट पर विचार करेगा।
मीडिया खबरों के अनुसार, इस पूरे मामले में अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित SIT द्वारा काफी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। टीम को कुल 9 बिन्दुओं पर जाँच करके अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था।
खबरों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जिन 75 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है, उनमें से 60 फीसदी पुलिस विभाग के ही हैं। बाकी 40 प्रतिशत प्रशासन, राजस्व, खाद्य एवं रसद तथा अन्य विभागों के हैं।
कहा जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आरोपितों को बर्खास्त करने का फैसला ले सकती है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि कैसे पुलिसवाले विकास दुबे को थाने में चल रही हर गतिविधि के बारे में पहले से ही बताते रहते थे। घटना वाले दिन भी पुलिसवालों की दबिश के बारे में पहले से ही विकास को सब कुछ बता दिया था।
बाद में विकास दुबे ने उसी जानकारी को पाकर असलहे और गुंडों को तैयार किया व पुलिस के पहुँचते ही उन पर हमला बोल दिया। इस पूरी घटना में विकास दुबे तो मौके से फरार हो गया मगर 8 पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मार दिया गया।
पूरी घटना की बाबत बीती 11 जुलाई को अपर मुख्य सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन हुआ। इसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा व पुलिस उप महानिरीक्षक जे रवींद्र गौड़ को सदस्य नामित किया गया था।
गठन के समय ही सरकार ने एसआईटी को जाँच पूरी कर 31 जुलाई तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था। लेकिन निर्धारित समय सीमा तक जाँच पूरी नहीं हो सकी थी और एसआईटी के आग्रह पर जाँच की अवधि को कई बार बढ़ाया गया।
शासन ने एसआईटी से मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे, उसके परिवार, उसके करीबी, रिश्तेदार व गैंग के सदस्यों को मिलाकर कुल 57 लोगों की संपत्तियों और उनके ठेकों और शस्त्र लाइसेंस के संबंध में जानकारी माँगी थी।