बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने सोमवार (फरवरी 22, 2021) को कहा कि पिछले साल उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे शुरू होने से एक दिन पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर निशाना साधने वाला उन्होंने जो भाषण दिया था, उसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है, और जरूरत पड़ी तो वह फिर से ऐसा करेंगे।
मिश्रा ने ‘डेल्ही रॉयट्स 2020 : द अनटोल्ड स्टोरी’ नाम की किताब के विमोचन पर कहा, “मैंने जो किया है, मैं फिर करूँगा। मुझे कोई पछतावा नहीं है, सिवाए इसके कि मैं दिनेश खटीक, अंकित शर्मा (हिंदू विरोधी दंगा के पीड़ित) और कई अन्य की जान नहीं बचा सका।”
भाजपा नेता ने वामपंथी इकोसिस्टम को लताड़ने के लिए ग्रेटा ‘टूलकिट’ को भी अपने भाषण के दौरान घसीटा। बता दें इस टूलकिट के जरिए भारत को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। साथ ही चाय और योग को भी निशाना बनाया गया था।
गौरतलब है कि यह सभी जानते हैं कि पीएम मोदी ने बचपन में चाय बेचने का काम भी किया था। इसके अलावा उन्होंने योग को एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रखा, जिसके परिणामस्वरूप 2014 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई। ग्रेटा टूलकिट के उद्देश्यों के इन दो पहलुओं का किसानों के साथ कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय मंच पर नुकसान पहुँचा रहा है।
3 फरवरी, 2021 को स्वीडिश प्रदर्शनकारी ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट के खुलासे को लेकर, जिसने भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए कई संगठनों, हस्तियों और नेताओं को उजागर किया, कपिल मिश्रा ने कहा, “चाय और योग तो तुम्हारा बाप भी खत्म नहीं कर सकता। चाय वाला तो तुमसे झेला नहीं जाता और योग वाला भी तुमसे झेला नहीं जाएगा।”
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भाजपा नेता द्वारा ‘चाय वाला’ यहाँ भारत पीएम मोदी और ‘योग वाला’ योगी आदित्यनाथ के संदर्भ में उपयोग किया गया हैं।
दिल्ली में पिछले साल हुए हिंदू-विरोधी दंगों के बारे में बीजेपी नेता ने बताया कि कैसे उस दौरान सीएए के विरोध के आड़ में हिंदुओं का कत्लेआम किया गया, उनके घरों को नष्ट कर दिया गया और इस्लामिक भीड़ द्वारा उनकी संपत्तियों को खत्म कर दिया गया, फिर भी वामपंथी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया इन दंगों को मुस्लिम विरोधी दंगे बताने की कोशिश में लगे रहे।
भाजपा नेता मिश्रा ने कहा, “जब भी सड़कें अवरुद्ध की जाएँगी और लोगों को काम पर या बच्चों को स्कूल जाने से रोका जाएगा तो इसे रोकने के लिए वहाँ हमेशा कपिल मिश्रा होगा। जब भी कोई चिदंबरम या कपिल सिब्बल झूठ बोलने कर इनकी वकालत करेगा, मोनिका अरोड़ा उन्हें बेनकाब करेगी। जब भी कोई राजदीप, बरखा या निधि राजदान प्रचार या झूठ फैलाने की कोशिश करेंगी, तो अशोक श्रीवास्तव ऐसे प्रोपेगेंडा का भंडाफोड़ करने के लिए खड़े होंगे। जब भी आप भारत के अतीत या वर्तमान के बारे में झूठ फैलाकर युवाओं को उकसाने की कोशिश करते हैं, तो प्रेरणा मल्होत्रा होगी जो आपके प्रयासों को नष्ट कर देगी।”
उल्लेखनीय है कि दिल्ली रॉयट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ के विमोचन पर, कपिल मिश्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पहले पुस्तक के ऑनलाइन विमोचन के दौरान वामपंथी कार्यकर्ताओं और इस्लामवादियों ने ब्लूम्सबरी इंडिया को इसका प्रकाशन रोकने के लिए उकसाया था।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि दिल्ली उत्तर-पूर्व में हिंसक दंगों में कम से कम 53 लोगों की जान गई और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था, इसके बावजूद वामपंथी इको सिस्टम और उसके अनुकूल मीडिया जैसे एनडीटीवी ने घातक दंगों के बारे में गलत जानकारी फैलाना बंद नहीं किया है।
उन्होंने लगातार वैश्विक मंच पर भारत और हिंदुओं को नीचा दिखाने की कोशिश की है। यह जानने के बावजूद कि यह मुस्लिम भीड़ थी, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में हिन्दू विरोधी दंगों को अंजाम दिया था। इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इन दंगों के खिलाफ ‘एंटी मुस्लिम पोग्रोम’का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर झूठ का सहारा लिया। और मुस्लिमों को बेकसूर घोषित करने की कोशिश की थी।
मिश्रा ने कहा कि, 24 और 25 फरवरी को हुई हिंसा की साजिश पहले ही रची जा चुकी थी। बता दें हिंसा की शुरुआत 15 दिसंबर को हुई जब मुस्लिमों ने पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में तोड़फोड़ की थी। आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली के सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रमुख अमानतुल्ला खान जामिया नगर में हुए दंगों के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में उभरे थे। हिंदुओं के खिलाफ कई तरह के नारे लगाए गए और मुस्लिमों को बरगलाया गया था।
ऑपइंडिया ने दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की एक-एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। और दंगों के पीछे के साजिशकर्ताओं का खुलासा किया था। इसके अलावा मिश्रा ने अपने भाषण के दौरान पूछा, “लोकतंत्र में अल्टीमेटम जारी करने का और क्या तरीका है? मैंने एक पुलिस अधिकारी के सामने ऐसा किया। क्या दंगा शुरू करने वाले लोग पुलिस के सामने अल्टीमेटम देते हैं?”
वकील मोनिका अरोड़ा और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों सोनाली चीतलकर और प्रेरणा मल्होत्रा द्वारा लिखित पुस्तक के बारे में बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि यह उनके खिलाफ इस्तेमाल किए गए ‘खतरनाक प्रोपगंडे’ के विरुद्ध एक उम्मीद का दीया था, जो उन्हें दंगों के लिए दोषी ठहरा रहा है।
मिश्रा के पूरे इंटरव्यू को यहाँ देखें।