कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मुस्लिम व्यक्ति को एक हिन्दू महिला के रेप और इस्लाम में धर्मांतरण मामले में जमानत देने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि गरीब हिन्दू महिला का इस्लाम में धर्मांतरण गंभीर मसला है और कोर्ट ऐसे मामले में काफी मुस्तैद है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा, ““वर्तमान मामले में, निर्दोष और गरीब महिला को बहला-फुसलाकर जबरन इस्लाम में धर्मांतरित करना एक गंभीर घटना है। इसलिए, इस तरह की घटना से बचने के लिए, समाज को यह संदेश देना आवश्यक है कि कोर्ट ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए सतर्क हैं और समाज की निर्दोष और वंचित महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा कर रही हैं।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रफीक बेपारी नाम के एक शख्स ने एक हिन्दू महिला से पहले नजदीकियाँ बढ़ाईं और उससे दोस्ती कर ली। रफीक हिन्दू महिला से कहता रहा कि वह उसे नौकरी दिला देगा। रफीक ने इसके लिए हिन्दू महिला से उसके साथ चलने का दबाव डाला।
रफीक ने लगातार महिला का यौन शोषण भी किया। रफीक इसके बाद उसे जबरदस्ती अपने साथ बेलगावी ले गया और उसे एक जगह बंद कर दिया। हिन्दू महिला कहीं चली ना जाए, इसलिए यहाँ एक और महिला की चौकीदार के रूप में तैनाती कर दी गई। महिला को यहाँ कई दिनों तक बंद रखा गया।
हिन्दू महिला का बेलगावी में भी कई बार रेप हुआ। इसके बाद रफीक निकाह के लिए ने हिन्दू महिला का इस्लाम में धर्मांतरण करवा दिया। कुछ समय बाद महिला यहाँ से किसी तरह भाग निकली और पूरी कहानी अपने पति को बताई। इसके बाद महिला ने रफीक के विरुद्ध रेप और अवैध धर्मांतरण की FIR दर्ज करवाई।
कोर्ट में हिन्दू महिला के वकीलों ने रफीक की जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि उसने यह जानते हुए भी महिला को इस्लाम में धर्मांतरित किया कि वह विवाहित है और उसके दो बच्चे भी हैं। कहा गया कि रफीक का महिला को इस्लाम में धर्मांतरित करना असहनीय है।
वहीं रफीक ने खुद को निर्दोष बता कर जमानत माँगी। हालाँकि हाई कोर्ट ने कहा कि महिला ने उसकी कैद से छूट कर तुरंत ही अपने परिवार को फोन किया। यह दिखाता है कि महिला को किस प्रकार प्रताड़ना दी गई। कोर्ट ने इस मामले में रफीक को जमानत देने से मना कर दिया।