हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में गुरुवार को 10वीं सुनवाई खत्म हो गई है। वहीं इस मामले में कल सुनवाई पूरी होने की उम्मीद है। आज कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए हिजाब के समर्थन में वरिष्ठ वकील कामत ने कुरान और हदीसों का भी हवाला दिया। जैसे ही कोर्ट ने कहा कि कल ढाई बजे हम बाकी याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे। वहीं एडवोकेट कुलकर्णी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “कल जुम्मा है, माय लॉर्ड कृपया कल हिजाब पहनने की अनुमति दें।”
Tomorrow, we will hear petitioners.
— LawBeat (@LawBeatInd) February 24, 2022
Advocate Kulkarni intervenes, says: “Tomorrow is Jummah, My lords may kindly allow the Hijab to be worn tomorrow”.
Court: Tomorrow at 2.30.#HijabControversy
वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपने दलीलों में दावा किया कि राज्य सरकार ने ड्रेस कोड के संबंध में 5 फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश के संबंध में सरकार ने 90 प्रतिशत अपना रुख छोड़ दिया था। वहीं कामत ने यह भी कहा कि पर्दा और बुर्का एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है बल्कि हिजाब है। यह बात कहने के लिए मैंने निर्णय पेश किए हैं। लेकिन उत्तरदाताओं ने यह कहते हुए किसी निर्णय का हवाला नहीं दिया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।
Kamat: Purdah and Burqa is not an essential religious practice but Hijab is. I have established judgments – 3 of them to say this.
— LawBeat (@LawBeatInd) February 24, 2022
But respondents have not cited any judgment to say Hijab is not an essential religious practice.#karnatakahijab
कामत ने हिजाब का बचाव करते हुए, कुरान और हदीस का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा, हदीस कुरान के समान ही महत्त्व रखता है। अध्याय 12, के आयत नंबर 24, 31 में समझाया गया है कि कैसे आयशा भी इसे पहनती थीं (आयशा पैगंबर मुहम्मद की पत्नी है) ताकि शरीर, चेहरे, गर्दन और छाती पर पर्दा रखने के लिए …. (…) और उनके सर ढके हुए हों।”
Kamat: Hijab derives from Arabic word Khimar.. this is like a veil .. like the Ghoonghat, which covers the head and chest.
— LawBeat (@LawBeatInd) February 24, 2022
further, Shayara Bano judgment says whatever is in the Quran has to be followed. #KarnatakaHijabRow
कामत ने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि हिजाब अरबी शब्द खिमार से निकला है.. यह एक घूंघट की तरह है.. जो सिर और छाती को ढकता है। आगे, शायरा बानो का फैसला कहता है कि कुरान में जो कुछ भी है उसका पालन किया जाना चाहिए।
दूसरी तरफ कर्नाटक पुलिस की सलाह के बावजूद हिजाब सुनवाई को लेकर भड़काऊ ट्वीट करने वाले एक्टर चेतन कुमार को गिरफ्तार किया गया है।
अब सिख लड़की को कहा, हटाएँ पगड़ी
वहीं अब बेंगलुरू के एक कॉलेज में सिख छात्रा को भी पगड़ी उतारकर आने को कहा है। बेंगलुरू के माउंट कार्मेल पीयू कॉलेज ने एक अमृतधारी सिख छात्रा को कहा है कि वह कक्षा में पगड़ी पहनकर ना आए। कॉलेज ने इसको लेकर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का हवाला दिया है।
कर्नाटक में कॉलेजों में हिजाब बैन को लेकर चल रही बहस के बीच नया विवाद सामने आया है। बेंगलुरु के एक कॉलेज में 17 साल की अमृतधारी (बपतिस्मा प्राप्त) सिख लड़की को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया। कॉलेज का कहना था कि उसे 10 फरवरी को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा, जिसमें समान ड्रेस कोड की बात कही गई है। बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश में छात्रों को भगवा शॉल, हिजाब और धार्मिक झंडे या इस तरह के किसी धार्मिक परिधानों को कॉलेजों की कक्षाओं में पहनने से रोकता है।
हिजाब के लिए CFI भड़का रहा है छात्राओं को
वहीं कल बुधवार को हुई सुनवाई में वकील नागानंद ने कोर्ट को बताया कि सीएफआई के लोग कॉलेज में हिजाब को अनुमति दिलवाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2004 में कॉलेजों में यूनिफॉर्म को अनिवार्य किया गया था। तब से वही यूनिफॉर्म कॉलेज में पहनी गई। लेकिन अब सीएफआई हिजाब के लिए लोगों को भड़का रहा है। उन्होंने बताया कि सीएफआई ने कुछ शिक्षकों को भी इतना धमकाया है कि वो एफआईआर करने से डर रहे हैं।
भेदभाव मिटाने के लिए तय होती है यूनिफॉर्म
कल की सुनवाई में वरिष्ठ वकील साजन पोवैया ने सीडीसी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ओर से कहा कि वो नागानंद द्वारा कही गई हर बात से सहमत हैं। उन्होंने अनुच्छेदों का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य किसी को ये नहीं कह सकता कि वो मुस्लिम क्यों है, लेकिन राज्य किसी पहनावे पर प्रतिबंध लगा सकता है। पोवैया ने बताया कि भेदभाव मिटाने के लिए यूनिफॉर्म तय की जाती है। उन्होंने पूछा कि क्या अगर हिजाब पहनने से किसी को रोका जाए तो इसका अर्थ ये है कि मजहब में बदलाव किया जा रहा है या ये है जो हिजाब नहीं पहनते हैं वो मजहब नहीं मानते? कोई मुस्लिम बच्चा हिजाब पहनेगा और हिंदू भगवा स्कॉर्फ तो ये दोनों ही चीजें ठीक नहीं हैं। आर्टिकल 25 मजहब को मानने का अधिकार देता है। मजहबी पोषाक पहनने का नहीं। उन्होंने कहा कि वह छात्रों को फिजिक्स, केमेस्ट्री और ज्योग्राफी नहीं पढ़ाते हुए ये नहीं कह सकते हैं कि वो लोग मजहबी कपड़ों में आएँ। स्कूलिंग सिर्फ शैक्षिक ही नहीं बल्कि पूरे विकास से संबंधित है।