Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाज'कल जुम्मा है, माई लॉर्ड हिजाब पहनने की इजाजत दें': कर्नाटक बुर्का विवाद में...

‘कल जुम्मा है, माई लॉर्ड हिजाब पहनने की इजाजत दें’: कर्नाटक बुर्का विवाद में HC में कुरान और हदीसों का दिया गया हवाला, शुक्रवार को फिर होगी सुनवाई

"पर्दा और बुर्का एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है बल्कि हिजाब है। यह बात कहने के लिए मैंने निर्णय पेश किए हैं। लेकिन उत्तरदाताओं ने यह कहते हुए किसी निर्णय का हवाला नहीं दिया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।"

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में गुरुवार को 10वीं सुनवाई खत्म हो गई है। वहीं इस मामले में कल सुनवाई पूरी होने की उम्मीद है। आज कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए हिजाब के समर्थन में वरिष्ठ वकील कामत ने कुरान और हदीसों का भी हवाला दिया। जैसे ही कोर्ट ने कहा कि कल ढाई बजे हम बाकी याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे। वहीं एडवोकेट कुलकर्णी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “कल जुम्मा है, माय लॉर्ड कृपया कल हिजाब पहनने की अनुमति दें।”

वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अपने दलीलों में दावा किया कि राज्य सरकार ने ड्रेस कोड के संबंध में 5 फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश के संबंध में सरकार ने 90 प्रतिशत अपना रुख छोड़ दिया था। वहीं कामत ने यह भी कहा कि पर्दा और बुर्का एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है बल्कि हिजाब है। यह बात कहने के लिए मैंने निर्णय पेश किए हैं। लेकिन उत्तरदाताओं ने यह कहते हुए किसी निर्णय का हवाला नहीं दिया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।

कामत ने हिजाब का बचाव करते हुए, कुरान और हदीस का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा, हदीस कुरान के समान ही महत्त्व रखता है। अध्याय 12, के आयत नंबर 24, 31 में समझाया गया है कि कैसे आयशा भी इसे पहनती थीं (आयशा पैगंबर मुहम्मद की पत्नी है) ताकि शरीर, चेहरे, गर्दन और छाती पर पर्दा रखने के लिए …. (…) और उनके सर ढके हुए हों।”

कामत ने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि हिजाब अरबी शब्द खिमार से निकला है.. यह एक घूंघट की तरह है.. जो सिर और छाती को ढकता है। आगे, शायरा बानो का फैसला कहता है कि कुरान में जो कुछ भी है उसका पालन किया जाना चाहिए।

दूसरी तरफ कर्नाटक पुलिस की सलाह के बावजूद हिजाब सुनवाई को लेकर भड़काऊ ट्वीट करने वाले एक्टर चेतन कुमार को गिरफ्तार किया गया है।

अब सिख लड़की को कहा, हटाएँ पगड़ी

वहीं अब बेंगलुरू के एक कॉलेज में सिख छात्रा को भी गड़ी उतारकर आने को कहा है। बेंगलुरू के माउंट कार्मेल पीयू कॉलेज ने एक अमृतधारी सिख छात्रा को कहा है कि वह कक्षा में पगड़ी पहनकर ना आए। कॉलेज ने इसको लेकर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का हवाला दिया है।

कर्नाटक में कॉलेजों में हिजाब बैन को लेकर चल रही बहस के बीच नया विवाद सामने आया है। बेंगलुरु के एक कॉलेज में 17 साल की अमृतधारी (बपतिस्मा प्राप्त) सिख लड़की को पगड़ी हटाने के लिए कहा गया। कॉलेज का कहना था कि उसे 10 फरवरी को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा, जिसमें समान ड्रेस कोड की बात कही गई है। बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश में छात्रों को भगवा शॉल, हिजाब और धार्मिक झंडे या इस तरह के किसी धार्मिक परिधानों को कॉलेजों की कक्षाओं में पहनने से रोकता है।

हिजाब के लिए CFI भड़का रहा है छात्राओं को

वहीं कल बुधवार को हुई सुनवाई में वकील नागानंद ने कोर्ट को बताया कि सीएफआई के लोग कॉलेज में हिजाब को अनुमति दिलवाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2004 में कॉलेजों में यूनिफॉर्म को अनिवार्य किया गया था। तब से वही यूनिफॉर्म कॉलेज में पहनी गई। लेकिन अब सीएफआई हिजाब के लिए लोगों को भड़का रहा है। उन्होंने बताया कि सीएफआई ने कुछ शिक्षकों को भी इतना धमकाया है कि वो एफआईआर करने से डर रहे हैं।

भेदभाव मिटाने के लिए तय होती है यूनिफॉर्म

कल की सुनवाई में वरिष्ठ वकील साजन पोवैया ने सीडीसी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की ओर से कहा कि वो नागानंद द्वारा कही गई हर बात से सहमत हैं। उन्होंने अनुच्छेदों का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य किसी को ये नहीं कह सकता कि वो मुस्लिम क्यों है, लेकिन राज्य किसी पहनावे पर प्रतिबंध लगा सकता है। पोवैया ने बताया कि भेदभाव मिटाने के लिए यूनिफॉर्म तय की जाती है। उन्होंने पूछा कि क्या अगर हिजाब पहनने से किसी को रोका जाए तो इसका अर्थ ये है कि मजहब में बदलाव किया जा रहा है या ये है जो हिजाब नहीं पहनते हैं वो मजहब नहीं मानते? कोई मुस्लिम बच्चा हिजाब पहनेगा और हिंदू भगवा स्कॉर्फ तो ये दोनों ही चीजें ठीक नहीं हैं। आर्टिकल 25 मजहब को मानने का अधिकार देता है। मजहबी पोषाक पहनने का नहीं। उन्होंने कहा कि वह छात्रों को फिजिक्स, केमेस्ट्री और ज्योग्राफी नहीं पढ़ाते हुए ये नहीं कह सकते हैं कि वो लोग मजहबी कपड़ों में आएँ। स्कूलिंग सिर्फ शैक्षिक ही नहीं बल्कि पूरे विकास से संबंधित है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पुलिस ने की सिर्फ पूछताछ, गिरफ्तार नहीं: हज पर मुस्लिम महिलाओं के यौन शोषण की आवाज उठाने वाले दीपक शर्मा पर कट्टर इस्लामी फैला...

दीपक शर्मा कहते हैं कि उन्होंने हज पर महिलाओं के साथ होते व्यवहार पर जो ट्वीट किया, वो तथ्यों पर आधारित है। उन्होंने पुलिस को भी यही बताया है।

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -