कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार (5 जुलाई 2023) को जारी एक आदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दर्ज देशद्रोह के केस में एक स्कूल के मैनेजमेंट को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने माना कि प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी अशोभनीय है, लेकिन ये देशद्रोह नहीं है। इस आदेश के चलते अलाउद्दीन सहित 3 अन्य लोगों पर दर्ज देशद्रोह की FIR रद्द कर दी गई है। इन सभी पर जनवरी 2020 में एक नाटक के मंचन के दौरान प्रधानमंत्री को जूते से मारने जैसी टिप्पणी के आरोप में देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह आदेश जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की कोर्ट में सुनवाई के दौरान आया। बीदर के शाहीन स्कूल मैनेजमेंट के अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद महताब ने अपने खिलाफ न्यू टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR को रद्द करने का आवेदन किया था। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने कहा कि स्कूल में नाटक के मंचन के दौरान बोले गए शब्द कि ‘प्रधानमंत्री को जूते से मारा जाना चाहिए’ न केवल गैर जिम्मेदाराना बल्कि अपमानजनक भी था लेकिन इसे देशद्रोह नहीं माना जा सकता है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि IPC में देशद्रोह की धारा 124 तब ही लागू हो सकती है जब बोले गए शब्दों से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका हुई हो। कोर्ट में मुताबिक आरोपितों द्वारा बोले गए शब्दों से इस तरह के किसी इरादे का होना प्रमाणित नहीं हो पाया है। अदालत ने आगे कहा कि देश के नागरिकों को सरकार और उसके पदाधिकारियों द्वारा लिए गए फैसलों की आलोचना या टिप्पणी का अधिकार है बशर्ते उस से लॉ एन्ड आर्डर बिगड़ने जैसी स्थिति न बने।
क्या था मामला
गौरतलब है कि कर्नाटक के जिला बीदर स्थित शाहीन स्कूल में साल 2020 में एक नाटक का आयोजन करवाया गया था जिसमें पात्र के तौर पर क्लास 4 के बच्चों को रखा गया था। इस नाटक को CAA और NRC के विरोध पर आधारित रखा गया था। मंचन के दौरान प्रधानमंत्री को जूते मारने जैसे शब्द बोले गए थे। इस नाटक को साम्प्रदायिक सोच से प्रेरित बताते हुए नीलेश नाम के व्यक्ति ने बीदर थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत पर पुलिस ने IPC की धारा 504, 505 (2), 124 (ए) और 153 (ए) के तहत कार्रवाई की थी।
हालाँकि शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन ने खुद पर लगे आरोपों से इंकार किया था। स्कूल मैनेजमेंट ने पुलिस पर अपने साथ देशद्रोहियों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया था। साथ ही हाईकोर्ट में इस FIR को रद्द करने की याचिका दाखिल की गई थी।