Friday, November 15, 2024
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नाम- मुस्कान जैनब, काम- कैम्पस में ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे, अब्बा- PFI का नेता: बुर्का बवाल की क्रोनोलॉजी समझिए

मुस्कान के अलावा एक अन्य बुर्काधारी प्रदर्शनकारी आलिया असादी के भी पीएफआई से कनेक्शन हैं। वह पीएफआई नेता नज़ाद असादी की चचेरी बहन है।

कर्नाटक के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज से शुरू हुए बुर्के विवाद के पीछे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने का अंदेशा शुरू से जताया जा रहा है। अब यह बात सामने आई कि जिस मुस्कान जैनब (Muskan jainab) ने कैम्पस में बुर्के में ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाए थे, असल में उसके अब्बा पीएफआई के नेता हैं।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार मुस्कान जैनब के अब्बा अब्दुल सुकूर पीएफआई के नेता हैं। एक अन्य रिपोर्ट में स्कूल डेवलपमेंट मैनेजमेंट कमिटी के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा के हवाले से बताया गया है कि उडुपी के कॉलेज में बुर्के में आने वाली छात्राओं को कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) ने उकसाया था। इसके बाद उन्होंने शिक्षकों के साथ अभद्रता शुरू की। उन्होंने यह भी बताया कि पहले ये छात्राएँ भी दूसरी छात्राओं की तरह यूनिफॉर्म में आती थीं। लेकिन CFI और उसके जैसे अन्य मुस्लिम संगठनों के उकसाने के बाद उन्होंने इस मसले पर हंगामा शुरू किया।

उल्लेखनीय है कि मुस्कान कर्नाटक के मांड्या स्थित PES कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स की छात्रा है। उसने 11 फरवरी 2022 को कैंपस में मजहबी नारे लगाए थे। इसके बाद कट्टरपंथी मानसिकता वाले लोगों से उसे खूब वाहवाही मिल रही है। उस पर मुस्लिम संगठनों ने इनामों और उपहारों की भी बौछार कर रखी है।

हिजाब और बुर्के का विरोध करते हुए हिंदू छात्रों ने भी PES कॉलेज में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए थे। बाद में मुस्कान ने आरोप लगाया कि उसे बाहरी लोगों ने परेशान किया था। इस्लामवादी मुस्कान जैनब को शेरनी बताते हुए महाराष्ट्र में मंबई के बांद्रा से कॉन्ग्रेस विधायक ज़ीशान सिद्दीकी ने मांड्या में उसके घर जाकर उसे आईफोन और एक स्मार्टवॉच गिफ्ट किया था। उससे पहले बुधवार (9 फरवरी 2022) को इस्लामिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी मुस्कान खान को पाँच लाख रुपए का ईनाम दिया था।

मुस्कान के अलावा एक अन्य बुर्काधारी प्रदर्शनकारी आलिया असादी के भी पीएफआई से कनेक्शन हैं। वह पीएफआई नेता नज़ाद असादी की चचेरी बहन है। इसके अलावा भी कई ऐसी लड़कियाँ विरोध-प्रदर्शनों में शामिल हैं, जिनके इस्लामिक कट्टरपंथियों से संबंध हैं।

कुंदापुर में दंगा भड़काने में SDPI है शामिल

हाल ही में हमने रिपोर्टिंग की थी कि उडुपी जिले के कुंडापुरा में एक सरकारी कॉलेज में हिजाब को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की साजिश रचने के आरोप पुलिस ने 32 वर्षीय हाजी अब्दुल मजीद गंगोली और 41 वर्षीय रजब गंगोली को गिरफ्तार किया था। ये दोनों विरोध-प्रदर्शन के दौरान चाकू लहराते पकड़े गए थे।

रिपोर्ट्स से खुलासा हुआ था कि छह हमलावरों में से एक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) से जुड़ा हुआ था। पुलिस का कहना था कि पाँच-छह लोगों ने अपने हाथ में चाकू लेकर छात्रों को धमकी दी थी। पुलिस के पहुँचते ही चार फरार हो गए और दो को पकड़ लिया गया। खलील, रिजवान, इफ्तिकार और एक अन्य मौके से फरार हो गया था। इफ्तिकार का एसडीपीआई से कनेक्शन सामने आया था।

विरोध के पीछे जमात और PFI

कर्नाटक में शुरू हुए हिजाब विवाद के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र विंग CFI के भी शामिल होने की खबरें सामने आ चुकी हैं। इससे पहले ऑपइंडिया ने इस्लामिक संगठन कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के बारे में बताया था। छात्रों ने भी ये माना था कि उन्होंने दिसंबर 2021 से ही हिजाब पहनना शुरू किया था। साथ ही ये बात भी माना था कि CFI के लोग उन्हें लगातार गाइड कर रहे हैं। यहीं नहीं एक एक्टिविस्ट विजय पटेल ने भी इस मामले की इन्वेस्टिगेशन की थी, जिससे ये पता चला था कि कैसे कट्टरपंथी और लेफ्ट-लिबरल मीडिया ने इस हिजाब विवाद का फायदा उठाकर भारत विरोधी एजेंडा चलाया।

नोट: भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव तक। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, लेकिन ये बुर्का के लिए हो रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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