Sunday, November 24, 2024
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मलाली विवादित ढाँचे का होगा सर्वेक्षण, मस्जिद समिति की आपत्ति खारिज: मंदिर जैसा वास्तुशिल्प, दिखे थे- कलश, तोमर, स्तंभ…

अप्रैल 2022 में मस्जिद के अंदर से हिंदू संरचना निकलने के बाद स्थानीय लोगों ने कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि इस स्थल पर एक हिंदू या जैन मंदिर मौजूद था, क्योंकि इसमें कलश, तोमर और स्तंभ दिखाई दे रहा है।

कर्नाटक के मंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित मलाली विवादित ढाँचे का सर्वेक्षण होगा। मंगलुरु अदालत ने बुधवार (9 नवंबर, 2022) को इसकी अनुमति दी। विश्व हिंदू परिषद (VHP) की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत का यह फैसला आया। याचिका में सर्वेक्षण के लिए आयुक्त की नियुक्ति की माँग की गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाया गया है।

अदालत के फैसले को हिंदुओं की जीत बताते हुए विहिप नेता शरण पंपवेल ने कहा, “यह हिंदुओं की पहली जीत है। यह (मलाली विवादित ढाँचा) हिंदुओं का मंदिर है। हम देखेंगे कि अदालत की अगली सुनवाई में क्या होता है। हमें उम्मीद है कि वहाँ मंदिर बनेगा।” इस साल अप्रैल में मंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित पुरानी मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर जैसा वास्तुशिल्प सामने आने के बाद इस मामले में सुनवाई शुरू हुई थी।

बताया का रहा है कि मंगलुरु के पास थेनका उलीपाडी गाँव मलाली में असैद अब्दुल्लाही मदनी मस्जिद के नवीनीकरण कार्य के दौरान यह वास्तुशिल्प डिजाइन मिला था। विहिप ने ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की तरह इसका सर्वे कराने की माँग की थी। इसके जवाब में मस्जिद प्रबंधन समिति ने एडिशनल सिविल कोर्ट में काउंटर अर्जी दाखिल की थी। मस्जिद समिति के वकील ने तर्क दिया था कि यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। सिविल कोर्ट को इस मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं की याचिका खारिज करने की माँग की थी।

वहीं, भाजपा के विधायक भरत शेट्टी ने इस जगह का ASI से सर्वे कराने की माँग की थी। इस पर विवाद शुरू होने के बाद मंगलुरु अदालत ने मस्जिद प्रबंधन को नवीनीकरण कार्य रोकने का आदेश दिया था। दावा किया जा रहा है कि मलाली विवादित ढाँचा 700 साल पुराना है।

बता दें कि टीए धनंजय और बीए मनोज कुमार ने मंगलुरु के तीसरे अतिरिक्त सिविल कोर्ट के समक्ष मुकदमा दायर किया था। धनंजय और कुमार ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि निचली अदालत को दलीलें सुनने की बजाए आयुक्त की नियुक्ति करनी चाहिए। इस पर मामले पर हाई कोर्ट ने 16 जुलाई 2022 को सुनवाई करते हुए माना कि निचली अदालत मुकदमे की सुनवाई और सही फैसला करने में सक्षम है।

उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2022 में मस्जिद के अंदर से हिंदू संरचना निकलने के बाद स्थानीय लोगों ने कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि इस स्थल पर एक हिंदू या जैन मंदिर मौजूद था, क्योंकि इसमें कलश, तोमर और स्तंभ दिखाई दे रहा है। वहीं, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेताओं ने जिला प्रशासन से दस्तावेजों के सत्यापन होने तक काम रोकने की अपील की थी। इसके बाद 25 मई, 2022 को विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने गंजिमुत में श्री रामंजनेय भजन मंदिरा थेनकुलीपदी में पूजा यानि ‘तंबुला प्रश्ने’ अनुष्ठान किया। VHP कार्यकर्ताओं ने ये पूजा मस्जिद के जीर्णोद्धार के दौरान मिले मंदिर जैसे ढाँचे पर हो रहे विवाद के समाधान के लिए की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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