Sunday, December 22, 2024
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वामपंथी मास्टरनी ने अपने लाल-सलाम कामरेडों सहित कई लोगों से ठगे करोड़ों रुपए: इंटरव्यू लेटर, सोना गिरवी रखने की कहानी से फँसाती थी जाल में

संचिता ने किसी से ₹1 कर्नाटक सरकार में लाख तो किसी से ₹13 लाख भारतीय स्टेट बैंक में सरकार में नौकरी के नाम पर लिए। जिन लोगों से ठगी हुई, उनमें उसके साथी कम्युनिस्ट नेता भी थे। उसने अपने साथ पढ़ने वाले कम से कम 40 लोगों से ठगी करने की कोशिश की। उसके झाँसे में 7-8 लोग आ भी गए।

केरल के कासरगोड की एक वामपंथी नेत्री संचिता राय ने कई लोगों से करोड़ों की ठगी की। यह ठगी नौकरी देने के नाम पर की गई। नौकरी के नाम पर ठगे जाने वाले लोग नेत्री के दोस्त-रिश्तेदार और परिचित ही हैं। इस ठगी के लिए इंटरव्यू के फर्जी पोस्टकार्ड और सोना गिरवी रखने की फर्जी बातें तक की गईं। लोगों के साथ धोखाधड़ी करने वाली यह नेत्री शिक्षक भी थी।

फर्जी इंटरव्यू का लेटर

केस 1: संचिता ने जिन लोगों से नौकरी के नाम पर पैसे लिए, उन्हें इंटरव्यू के फर्जी लेटर भी भेजे। उसने यह लेटर खुद लिखे थे लेकिन दावा किया कि यह दिल्ली से आए हैं। ऐसे ही एक मामले में 22 फरवरी, 2024 को रामिसाथ के नाम के एक व्यक्ति के पास लेटर आया। इसमें केन्द्रीय विद्यालय के लिए इंटरव्यू की बात लिखी थी। इस व्यक्ति ने भी संचिता को नौकरी के लिए ₹5 लाख दिए थे। हालाँकि, मामला तब बिगड़ा जब उन्होंने पाया कि इस पत्र में इंटरव्यू के लिए लिखी तारीख पहले ही निकल चुकी थी।

जब संचिता को यह बात रामिसथ ने बताई तो उसने वादा किया कि वह दोबारा इंटरव्यू करवाएगी। संचिता ने कहा कि इस इंटरव्यू में दिल्ली से पत्र भेजने में गड़बड़ी हुई है। हालाँकि, दूसरा इंटरव्यू कभी करवाया ही नहीं गया और रामिसाथ के ₹5 लाख डूब गए।

केस 2: कुछ ऐसा ही मामला अक्षय के साथ हुआ। कासरगोड के ही रहने वाले अक्षय को 23 फरवरी, 2024 को इंटरव्यू का एक लेटर मिला। इसमें केंद्र सरकार के CPCRI में क्लर्क की नौकरी इंटरव्यू की तारीख 22 फरवरी लिखी हुई थी जो पहले ही निकल चुकी थी। ऊपर से इस इंटरव्यू की जगह भी कर्नाटक हुबली में बताई गई थी। अक्षय ने भी संचिता को इस गड़बड़ी की जानकारी दी तो उसने फिर वही बहाना बना दिया। संचिता ने अक्षय से भी दूसरे इंटरव्यू का वादा किया लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं हुआ।

जिससे लिए ₹15 लाख, उसको लेटर तक ना भेजा

ऑनमनोरमा की रिपोर्ट के अनुसार, संचिता ने इस ठगी का शिकार कई लोगों को बनाया। ऐसी ही एक पीड़िता अमिता ने संचिता को केंद्र सरकार के विभाग CPCRI में नौकरी के नाम पर ₹15 लाख दिए थे। यह नौकरी केन्द्रीय विद्यालय की बताई गई थी। अमिता को इस संबंध में कोई इंटरव्यू का लेटर नहीं मिला। इस बीच संचिता उन्हें बताती रही कि यह दिल्ली से भेजा जा चुका है। हालाँकि, यह झूठ था। अमिता ने इसके बाद लेटर को लेकर डाक विभाग में शिकायत भी दर्ज करवाई। यहाँ तक कि मामला डाक मंत्रालय तक आया।

जाँच के बाद पता चला कि कभी कोई लेटर भेजा नहीं गया। इससे संचिता की पोल खुल गई। संचिता पर इसके बाद भी उन्होंने शक नहीं किया। अमिता को संचिता लम्बे समय से जानती थी। वह दोनों साथ में पढ़ी भी हुई थी। इसके अलावा संचिता का अमिता के परिवार से भी अच्छा परिचय था। इसके बाद भी संचिता ने उनसे ठगी की। अमिता को बाद में इस विषय में सच्चाई का पता चला। इसके बाद उन्होंने भी FIR करवाई।

सोना गिरवी रखने की फर्जी बातें

संचिता ने लोगों को अत्यधिक दयालुता दिखा कर भी ठगा। उसने अपनी परिचित नादिया फातिमा को भी केंद्रीय विद्यालय में नौकरी का ऑफर दिया। संचिता ने बताया कि अगर नादिया को यह नौकरी मिली तो उसकी जिन्दगी बदल जाएगी। नादिया ने इस बात को लेकर मना कर दिया क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे।

संचिता ने इसके बाद नादिया को बताया कि वह अपने गहने गिरवी रख कर उसके लिए पैसे का इंतजाम करेगी। संचिता ने ऐसा करने की ₹1 लाख की एक रसीद भी भेजी। इसके बाद नादिया ने भी लगबग ₹1.5 लाख भेजे। हालाँकि नादिया को भी नौकरी नहीं मिली।

इसके अलावा संचिता ने किसी से ₹1 कर्नाटक सरकार में लाख तो किसी से ₹13 लाख भारतीय स्टेट बैंक में सरकार में नौकरी के नाम पर लिए। जिन लोगों से ठगी हुई, उनमें उसके साथी कम्युनिस्ट नेता भी थे। उसने अपने साथ पढ़ने वाले कम से कम 40 लोगों से ठगी करने की कोशिश की। उसके झाँसे में 7-8 लोग आ भी गए।

खुद ही लिखे थे पत्र

संचिता ने जिन लोगों को ठगा था जब उन्होंने इस बारे में खोजबीन की तो पता चला कि यह सब एक फर्जीवाडा था और वह ठगे जा चुके हैं। इसके बाद इन लोगों ने वह इंटरव्यू लेटर देखे जो कथित तौर पर दिल्ली से भेजे गए थे। इनको ध्यान से देखने पर पता चला कि यह सभी संचिता ने खुद लिखे थे और यह कासरगोड से भेजे गए थे ना कि दिल्ली से। उन्होंने इस बारे में और जाँच की तो उन्हें CCTV फुटेज भी मिला। इसके बाद जब इन्होने संचिता से पैसे माँगे तो वह बहाने बनाने लगी। उसने खुद को भी पीड़ित बताया।

8 FIR हुईं, अब भी गिरफ्तारी नहीं

संचिता के खिलाफ अब तक 8 अलग-अलग मामलों में FIR दर्ज करवाई जा चुकी हैं। सबमें यही कहानी है कि संचिता ने उसने नौकरी का वादा किया और लाखों रूपए लिए। इसके बाद नौकरी को लेकर कभी वादा नहीं पूरा हुआ। इस बीच संचिता का कहना है कि वह स्वयं ठगी गई है और उसे चंद्रशेखर नाम के एक आदमी ने ठगा है। पुलिस इस मामले में की जाँच कर रही है। उसका कहना है कि उसे अब तक ₹2 करोड़ की ठगी का पता चला है।

संचिता वर्तमान में कासरगोड के ही एक स्कूल में शिक्षक है। वामपंथी छात्र संगठन DYFI ने संचिता के खिलाफ FIR दर्ज किए जाने के बाद उसे निकाल दिया था। DYFI ने इसके अलावा और कोई कार्रवाई नहीं की है। वामपंथी नेताओं को इसमें भाजपा की साजिश लग रही है। दूसरी तरफ पुलिस ने भी अभी संचिता को पूछताछ तक के लिए नहीं बुलाया है। पुलिस का कहना है कि संचिता कोर्ट से अग्रिम जमानत माँग रही है और ऐसे में जब उस पर फैसला हो जाएगा तो वह उससे पूछताछ करेंगे।

संचिता और उसके पिता कासरगोड में भाजपा और RSS की आलोचना करने के लिए विख्यात हैं। उन्हें वामपंथी कार्यक्रमों में इसी काम के लिए बुलाया जाता है। संचिता का यह घोटाला खुलने के बाद वह खुद को भी पीड़ित बता कर बचने का प्रयास कर रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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