जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर से हिन्दुओं और सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि ये आतंकी बौखलाए हुए हैं और अनुच्छेद-370 हटने व जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वो कोई बड़ा हमला नहीं कर पाए, इसीलिए अब इस तरह की कायराना हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। लोगों को 1990 का दशक याद आ रहा, जब कश्मीरी पंडितों को वहाँ से भगा दिया गया था और उनकी संपत्तियों को कब्जा लिया गया था।
तब से कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी की तरह रहते आए हैं। उस जमाने में उनका नरसंहार भी हुआ था और महिलाओं की इज्जत लूटी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता संभालते ही कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। अब कश्मीरी पंडितों की उन संपत्तियों को वापस छुड़ाया जा रहा है, जिन पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने कब्जा कर रखा है। पिछले 30 वर्षों में पहली बार ऐसा प्रयास हो रहा है।
‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, पिछले महीने जारी किए गए एक सरकारी पोर्टल के माध्यम से कश्मीरी पंडितों को ये सुविधा दी गई है कि वो देश में कहीं भी रह रहे हों, कश्मीर में अपनी संपत्ति पर कब्जे की शिकायत दायर कर सकते हैं। अब तक ऐसी 1000 शिकायतों पर कार्रवाई हो चुकी है। कई मामलों में धोखाधड़ी से जमीन हड़पने की बात पता चली है। ऐसी हजारों शिकायतें आई हैं, जिनमें से 1000 तो अकेले अनंतनाग में हैं।
एक मामला तो ऐसा था, जहाँ एक कश्मीरी पंडित की 5 एकड़ जमीन कब्जा ली गई थी। भू-माफिया भी जम्मू कश्मीर में खासे सक्रिय हैं। हिन्दुओं के अलावा सिखों का भी पलायन हुआ था, ऐसे में उनकी संपत्तियों पर भी अवैध कब्जे हैं। अधिकतर मामलों में कब्ज़ा करने वाले पड़ोसी ही हैं। कुछ ऐसे बड़े-बड़े मकान हैं, जो खाली पड़े हुए हैं। सैकड़ों मकान खंडहर भी हो चुके हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि घाटी में लौट रहे कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
अख़बार ने हालिया कार्रवाई के कई उदाहरण भी गिनाए हैं। अनंतनाग में गुलाम रसूल ने एक कश्मीरी पंडित की जमीन हथिया रखी थी, जिसे शिकायत मिलने के 1 सप्ताह के भीतर छुड़ाया गया। एक रैना परिवार की जमीन पड़ोसी मोहम्मद इस्माइल ने ही कब्जा रखी थी, जिसे उसके असली मालिकों को सौंपा जा रहा है। एक कौल परिवार की 6.5 कनाल जमीन मोहम्मद शबीर के कब्जे में थी। कई मामलों में खेती के लिए मिली जमीनें मुस्लिमों ने हथिया ली।
तय हुआ था कि उपज का एक हिस्सा जमीन के मालिकों को भी मिलता रहेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसे मामलों में अब बकाया वसूली की भी तैयारी चल रही है। इसी तरह राजधानी श्रीनगर में 660 शिकायतें आईं, जिनमें से 390 का समाधान कर दिया गया। शोपियाँ में 400 में से 113 शिकायतों का निपटारा हो चुका है। बताया जाता है कि ऐसे 62,000 परिवार हैं, जिन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा था।