खाड़ी देशों में मानव तस्करी (Human trafficking) को लेकर काफी कड़े कानून हैं, लेकिन इन सब के बावजूद वहाँ मानव तस्करी की समस्याएँ कम होने की बजाय बढ़ी हैं। कई सामाजिक संगठनों के प्रयासों से केरल (Kerala) की कई महिलाओं को (हाल ही में चार महिलाओं को) बचाया गया है। तस्कर इन महिलाओं को नौकरी दिलाने के बहाने उन्हें कुवैत ले जाते थे और वहाँ पर इन महिलाओं को बंधक बना लिया जाता था। हाल ही में कुवैत से चार महिलाओं को बचाया गया है, जिन्होंने मामले में शिकायत दर्ज कराई है।
हालाँकि, इससे पहले कि पुलिस तस्करी गिरोह के सरगना मजीद (एमके गसाली) को पकड़ती वो देश छोड़कर फरार हो गया। पीड़ित महिलाओं ने शिकायत में कहा कि मजीद ने अपनी पत्नी को घर वापस भेजने का अनुरोध करने वाले व्यक्ति से 3.5 लाख रुपए की डिमांड की थी। उसने धमकी दी थी कि अगर वो इतने पैसे नहीं देता है तो वो पत्नी को सीरिया ले जाएगा और वहाँ आतंकी समूह आईएसआईस को बेच देगा।
मजीद ने व्यक्ति को कहा था कि तुम्हारी पत्नी नौकरानी बनने के काबिल नहीं थी। उसने कहा था, “जो भी काम करने के लिए कहा गया है उसे करो और वहीं रहो। तुम्हारा एक पति है, ना? वो मेरे पैरों की सैंडल के लायक भी नहीं है। तुम कहीं भी पुलिस या सेना में शिकायत करो। मुझे पता है कि तुम्हारे साथ क्या करना चाहिए।” कुवैत से बचाई गई महिलाओं ने जिस वक्त कोच्चि पुलिस को शिकायत की, उस दौरान मजीद कोझीकोड में ही था। लेकिन लुक आउट सर्कुलर जारी होने से पहले ही वो विदेश चला गया और वहीं से मानव तस्करी के रैकेट को चला रहा है।
हालाँकि, केरल पुलिस ने मानव तस्करी के मामले में पथानामथिट्टा से अजुमोन नाम के एक अन्य आरोपित को गिरफ्तार किया है, जो कि मजीद के एजेंट के तौर पर काम कर रहा था। उसका काम नौकरी के बहाने महिलाओं की भर्ती कर उन्हें मजीद को सौंपने का था।
कुवैत में कैसी होती है महिलाओं की जिंदगी
हाल ही में कुवैत से बचाकर लाई गई तीन महिलाएँ फोर्ट कोच्चि की रहने वाली हैं। इन्हीं पीड़ितों में से एक बताती हैं कि उन्हें बेबी सिटर की नौकरी का लालच दिया गया था। दूसरी कोट्टायम जिले के चानागनचेरी के पास इथिथनम से थीं। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें मानवर तस्करी के रैकेट के जरिए गुलाम बनाकर कुवैत में बेच दिया गया था। उससे सिलाई की नौकरी के बदले 45000 रुपए की सैलरी का वादा किया गया था।
इथिथनम की मूल निवासी ने कहा, “मैंने दिन-रात नौकरानी का काम किया और गंभीर शारीरिक हमले सहे।” पीड़िता के मुताबिक, उसे वहाँ खाना पकाने, सफाई, हाउसकीपिंग और कपड़े धोने के साथ ही उस घर के 9 छोटे बच्चों भी देखभाल करनी थी। इसी साल जनवरी में 48 साल का एक एजेंट उसे कुवैत लेकर गया था। वो वहाँ उसे एक घर में छोड़कर नोटों का बंडल लेकर चला गया। पीड़िता उस प्रताड़ना को याद कर कहती है, “कुबू और सादा पानी ही एकमात्र भोजन दिया जाता था और वह भी मुझे मुश्किल से एक दिन में मिलता था। छोटी सी भी गलती के लिए थप्पड़ जड़ दिया जाता था। उन्होंने मेरे पेल्विक पर जोर से ठोकर मारी और हाई हील्स की सैंडल पहनकर मेरे पूरे शरीर पर चढ़ गए और पीट-पीट कर अधमरा कर दिया।”
पीड़िता के मुताबिक, कन्नूर के रहने वाले अली नाम के उसके एक दोस्त ने उसे कुवैत में नौकरी की संभावनाओं के बारे में आश्वस्त किया था। जल्द ही उसने तिरुवनंतपुरम से गायत्री के बैंक खाते में वीजा और टिकट खर्च के लिए 80,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए। वहाँ जाने के बाद करीब दो महीने तक उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ी। एक दिन किसी तरह वो अपने घर वालों से बात कर पाई और उनसे मदद माँगी। बाद में भारतीय दूतावास के जरिए उसे बचाया गया। इसी तरह की स्थिति खाड़ी देशों में बाकी महिलाओं की भी है, जिन्हें नौकरी के बहाने तस्करी किया गया है।
कौन है इस रैकेट का सरगना
मानव तस्करी के रैकेट का सरगना तालीपरंबा का रहने वाला एमके गसाली उर्फ मजीद है। इसका खुलासा तब हुआ जब अजुमोन नाम के उसके एजेंट को पुलिस ने पकड़ा। उसने बताया कि कई लोग उससे नौकरी के लिए संपर्क करते हैं, जिन्हें वहाँ भेजा जाता है। उसने इस बात को भी कबूल किया कि कई जवान लड़कियों को सीरिया भेज दिया गया है। उसका काम केरल में विदेशों में नौकरी का विज्ञापन देने का था। अजुमोन ने बताया कि वो मजीद के निर्देशों पर काम करता था। मजीद ने फँसाई गई महिलाओं को 60000 रुपए की सैलरी देने का वादा किया था।
गौरतलब है कि खाड़ी के अरब देशों में अभी भी 100 से ज्यादा मलयाली महिलाएँ फँसी हुई हैं।