केरल में विदेशी क़ैदियों के लिए एक ऐसी इमारत की खोज की जा रही है जिसमें डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) स्थापित किया जा सके। बता दें कि इस तरह के डिटेंशन सेंटर को लेकर उपजा विवाद देशव्यापी स्तर पर क़ायम है। केरल के सामाजिक न्याय विभाग (DSJ) को डिटेंशन सेंटर में सुविधा स्थापित करने का काम सौंपा गया है। फ़िलहाल, विदेशियों से जुड़ा सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है, जिनमें ऐसे विदेशी शामिल हैं जिन्हें या तो यहाँ दोषी ठहराया गया हो या जिन्हें विभिन्न अपराधों के तहत उनके प्रत्यर्पण का इंतज़ार है।
ख़बर के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि विभाग आवश्यकता का अंदाजा लगाकर ही सुविधा के लिए किसी भवन (इमारत) की खोज कर सकता है। वर्तमान में विभाग के पास कोई भवन उपलब्ध नहीं है इसलिए या तो नए भवनों को किराए पर लेना होगा या उनका निर्माण करना होगा और इसके लिए क़ैदियों की संख्या का पता होना भी ज़रुरी है।
नए डिटेंशन सेंटर की सुविधाएँ:
- डिटेंशन सेंटर में सुविधा स्थापित करने का काम सामाजिक न्याय विभाग को सौंपा गया है।
- इस विभाग को विदेशी क़ैदियों का विवरण राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) से माँगना होगा।
- यह डिटेंशन सेंटर उन लोगों का आवास होगा, जिन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया था।
- यह उन विदेशियों का भी आवास होगा, जिनके वीज़ा और पासपोर्ट की अवधि समाप्त हो गई थी।
- इसमें विदेशी मूल के विचाराधीन क़ैदी भी शामिल रहेंगे।
विदेशी अपराधी जो यहाँ जेल की अवधि पूरी कर चुके हैं और निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं उन्हें भी डिटेंशन सेंटर की सुविधाएँ मिलेंगी।
विभाग ने इस साल जून से राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) को असफल रूप से पत्र लिखकर विदेशियों की संख्या के लिए उपयुक्त इमारतों की पहचान करने के लिए कहा था। सरकार के सूत्रों ने कहा कि इस साल 26 नवंबर को डेटा माँगने वाले नवीनतम रिमाइंडर को SCRB को भेजा था।
असम और कुछ अन्य राज्यों में हिरासत केंद्रों की स्थापना की ख़बर ने नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स (NRC) के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के दौरान गंभीर आलोचनाओं का सामना किया था।
केंद्र ने इस साल की शुरुआत में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को “विभिन्न राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में नज़रबंदी/ होल्डिंग केंद्रों की स्थापना के लिए लिखा था, जो अवैध अप्रवासियों/ विदेशी नागरिकों को निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे थे।” राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इसने जनवरी में “एक मॉडल डिटेंशन सेंटर मैनुअल भी तैयार किया और सभी राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रशासनों को उसी के अनुसार प्रसारित किया।”
गृह विभाग ने DSJ को जेल परिसर और पुलिस विभाग के बाहर उपयुक्त सुविधा स्थापित करने के लिए कहा है। यह भी बताया गया कि सुविधा के प्रबंध के लिए एक अलग डिस्पेंसेशन बनाया जाना चाहिए क्योंकि पुलिस विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है।
यह डिटेंशन सेंटर उन लोगों के लिए आवास के रूप में होगा जिन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया और इनमें वे विदेशी भी शामिल हैं जिनके वीज़ा और पासपोर्ट की समय-सीमा समाप्त हो गई थी। विदेशी मूल के अंडर-ट्रायल क़ैदियों और जो लोग यहाँ जेल की अवधि पूरी कर चुके हैं और निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उन्हें भी इस सुविधा में स्थानांतरित किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि गृह विभाग को डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन, राज्य सरकार के पास उपलब्ध धन का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि SCRB के उन लोगों से जब सम्पर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि इसके डोजियर में क़ैद विदेशियों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं था।