केरल के त्रिशूर जिले के इरिंजालकुडा क्षेत्र में स्थित करुवन्नूर सहकारी बैंक में बड़ा घोटाला हुआ है। इस बैंक को वहाँ की वामपंथी लेफ्ट पार्टी संचालित करती है। बैंकिंग प्रबंधन द्वारा करीब 300 करोड़ रुपए के फ्रॉड का अनुमान लगाया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी मेंबर के नाम पर करोड़ों रुपए का कर्ज घोटालेबाजों को दिया गया, जबकि इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी।
आरोप यह लगाया जा रहा है कि ये कर्ज सीपीएम के नेताओं की मौन सहमति के आधार पर ही घोटालेबाजों को बाँटे गए। सहकारिता विभाग द्वारा संयुक्त रजिस्ट्रार को सौंपी गई रिपोर्ट और ग्राहकों की शिकायतों के आधार पर अधिकारियों ने धोखाधड़ी का शुरुआती आकलन किया है। जानकारी यह भी सामने आई है कि मामले के मुख्य आरोपित माने जा रहे बैंक के पूर्व मैनेजर एमके बीजू ने ही 379 कर्जों को पारित करने की पहल की थी।
इरिंजालकुडा पुलिस ने मामले में बैंक के दस्तावेजों को जब्त कर लिया है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। इसके अलावा बैंक की संचालन परिषद को भी भंग नहीं किया गया। फिलहाल केस की जाँच को क्राइम ब्रांच ने अपने हाथ में ले लिया है।
शुरुआत में छह लोगों के खिलाफ केस
बैंक फ्रॉड के मामले में इससे पहले इरिंजालकुडा पुलिस ने 120 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत पर बैंक के पूर्व सचिव और प्रबंधक सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। लेकिन अब पता चला है कि घोटाला पहले की शिकायत से तीन गुना अधिक है। इसके अलावा इस फ्रॉड को छिपाने के लिए राजनीतिक प्रभाव के भी इस्तेमाल किए जाने का आरोप है।
निवेश से ज्यादा ऋण
रिपोर्ट के मुतबाकि घोटालेबाजों ने शुरू में 50,000 रुपए का कर्ज दिया और उसके बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के बाद 50 लाख रुपए का कर्ज लिया। खास बात ये है कि जिनके नाम पर ये धोखाधड़ी की गई, वो भी सीपीएम के ही समर्थक हैं। घोटाला सामने आने के बाद अब वे कर्ज के जाल में फँस गए हैं।
इस केस में व्हिसिल ब्लोअर और बैंक के कर्मचारी रहे सुरेश कुमार के अनुसार, यदि सभी अवैध लेनदेन का हिसाब किया जाए तो कुल धोखाधड़ी 300 करोड़ रुपए से कहीं अधिक हो जाएगी। इस घपलेबाजी की शुरुआत साल 2003 में ही हो गई थी। उन्होंने 2005 में सीपीएम के सीनियर लीडर्स को इसके बारे में बताया था, लेकिन नेताओं ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैंक में पाँच साल में 300 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। सहकारी क्षेत्र के नियमों के अनुसार, कुल निवेश का केवल 70 प्रतिशत ही बैंक ऋण के रूप में जारी किया जा सकता है। लेकिन ऐसे सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए बैंक ने 2018-19 में 437.71 करोड़ रुपए के ऋण जारी किए, जबकि कुल निवेश सिर्फ 401.78 करोड़ रुपए ही था।
CPM लीडर्स घोटाले से अवगत थे
त्रिशूर स्थित सीपीएम के जिला सचिवालय से कुछ नेता बैंकिंग कार्यप्रणाली को कंट्रोल कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक सीपीएम के नेताओं को इसकी जानकारी थी। बावजूद इसके 100 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। सीपीएम ने सहकारी रजिस्ट्रार के ऑफिस में महत्वपूर्ण पदों पर अपने लोगों को ही रखा था।