युवाओं में राष्ट्रवाद, अनुशासन और संयम सिखाने के लिए इस्रायल (Israel) की तर्ज पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) द्वारा शुरू की गई महात्वकांक्षी परियोजना ‘अग्निपथ’ का की जगहों पर विरोध हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में अपना हित साधने वाले राजनीतिक दलों का भी बड़ा हाथ है।
सेना में युवाओं की भर्ती को लेकर केंद्र की अग्निपथ योजना का विरोध बिहार से शुरू होकर 7 राज्यों में फैल चुकी है। इनमें यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में छात्रों ने जबरदस्त विरोध किया है।
बिहार में प्रदर्शनकारियों ने 5 ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया है। वहीं, संपत्ति को भारी नुकसान पहुँचाया गया है। हरियाणा के पलवल में प्रदर्शनकारियों ने DC पर पथराव किया और पुलिस की 5 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। नेशनल हाइवे को कब्जे से मुक्त कराने के लिए पुलिस को आँसू गैस के गोल छोड़ने पड़े और हवाई फायरिंग करनी पड़ी।
वहीं, हरियाणा के रोहतक में एक पीजी हॉस्टल में रहने वाले एक युवक ने इस योजना के विरोध में आत्महत्या कर ली। सचिन नाम का यह युवक जींद जिले के लिजवाना गाँव का रहने वाला था। बताया जा रहा है कि वह सेना भर्ती की नई पॉलिसी से परेशान था। वहीं, राज्यों में भी युवा तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
यह विरोध तक शुरू हुआ है, जब कुछ राजनीतिक दलों ने इस इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि सेना में पेंशन को खत्म करने के लिए ही सरकार यह पॉलिसी लेकर आई है। इतना ही नहीं नेताओं ने इस योजना के तहत युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया।
क्या है अग्निपथ की अग्निवीर योजना
अग्निपथ योजना भारतीय सेना के लिए एक देशव्यापी शॉर्ट-टर्म यूथ रिक्रूटमेंट स्कीम है। इस स्कीम के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। इन्हें सेना के मानकों के तहत भर्ती किया जाएगा और उन्हें 4 वर्षों तक सेना में सेवा देनी होगी। इसके बाद इनमें से 25 प्रतिशत युवाओं को सेना में नियमित कर लिया जाएगा, जबकि बाकी के 75 प्रतिशत वापस लौट जाएँगे।
इस दौरान सरकार ने युवाओं को प्रशिक्षण और उन्हें तय मानदेय देने का भी निर्णय लिया है। इसके साथ ही चार वर्ष की अवधि पूरा होने के उपरांत उन्हें एकमुश्त देय राशि का भी प्रावधान किया गया है।
इन सबके बावजूद युवाओं के मन में कई तरह के सवाल हैं। ऐसे ही कुच महत्वपूर्ण सवालों और सरकार द्वारा दिए गए उनके जवाबों को हम रख रहे हैं।
- चार साल सेना में बिताकर लौटे युवाओं का भविष्य क्या होगा? उनकी शिक्षा पर क्या असर होगा?
अग्निपथ योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत को नियमित किया जाएगा। बाकी 75 प्रतिशत युवकों को सरकार CRPF और असम राइफल्स में प्राथमिकता के आधार पर बहाल करेगी। इसके अलावा, यूपी और उत्तराखंड जैसी सरकारों ने भी इन्हें राज्य पुलिस में प्राथमिकता देने की बात कही है। वहीं, कई मंत्रालय, सरकारी कंपनियाँ ने भी अग्निवीरों को नौकरी देने में सहमति जताई है।
इसके अलावा, इन चार सालों बाद उनके युवाओं के पास 11.7 लाख रुपए की एकमुश्त राशि रहेगी। इससे वे इसका उपयोग पेशेवर पढ़ाई या किसी तरह के व्यवसाय के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस चार वर्षों के दौरान अग्निवीरों की शिक्षा के लिए केंद्र सरकार ने विशेष डिग्री की अनुमति दी है। इस डिग्री कोर्स का संचालन इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) द्वारा किया जाएगा। अग्निवीरों को पहले साल ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट, दूसरे साल ग्रेजुएशन डिप्लोमा और तीसरे साल ग्रेजुएशन डिग्री मिल जाएगी।
इसका 50 प्रतिशत हिस्सा कौशल विकास, जो अग्निवीरों के अनुभव से जुड़ा होगा और बाकी का 50 प्रतिशत हिस्सा विषय से जुड़ा होगा। यह कोर्स UGC-AICTE सहित सभी नियामकों तथा देश-दुनिया में भी मान्य होगा।
2. क्या अग्निवीरों को हर ट्रेड के लिए अलग-अलग उम्र सीमा होगी और भर्ती की प्रक्रिया क्या होगी?
आर्मी के अनुसार, सेना में सारी भर्तियाँ अब अग्निपथ योजना के तहत ही होंगी और इन भर्तियों की आयु सीमा 17.5 साल से 21 साल तक की सीमा के बीच होंगी। इसके लिए 90 दिन में भर्ती रैली होगी और योग्यता पूरा करने वाले उम्मीदवार इसमें भाग ले सकते हैं।
अग्निपथ योजना के अंतर्गत सेना के तीनों अंगों- थल सेना, वायुसेना और नौसेना में भर्ती प्रक्रिया होगी। पहले के सारे नोटिफिकेशन अब मान्य नहीं होंगे। अगर तीनों सेनाओं के किसी भी भर्ती में कोई अभ्यर्थी फिजिकल या मेडिकल टेस्ट पास कर चुका है तो भी वह मान्य नहीं होगा।
3. एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब सेना में अग्निवीर अधिक और स्थायी सैनिक कम हो जाएँगे?
इंडियन आर्मी के वाइस चीफ ने कहा कि सेना में अधिकतम 50 प्रतिशत ही अग्नवीर होंगे। यानी अग्निवीर और स्थायी सैनिकों का अनुपात 50:50 का होगा, इससे ज्यादा का नहीं। सेना का कहना है कि आगे अगर कोई दिक्कत आती है तो वह आवश्यक बदलाव के लिए तैयार है।
4. पिछले 2 साल से सेना में कोई भर्ती नहीं हुई है, तो क्या सेना में जाने के इच्छुक लोगों को उम्र में छूट का प्रावधान है?
अग्निपथ योजना के शुरू करने के बाद इसमें उम्र को लेकर किसी भी तरह की छूट का प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार का मानना है कि कोविड को लेकर पिछले सालों के दौरान भर्तियाँ नहीं हुई हैं, इसके बावजूद उम्र में छूट नहीं दी गई है।
5. अग्निवीरों को सेना की तरह पेंशन और एक्स सर्विसमैन को मिलने वाली दूसरी सुविधाएँ मिलेंगी?
अग्निपथ योजना में इसका प्रावधान नहीं किया गया है। चार साल की सेवा के बाद ना तो पेंशन मिलेगी और ना ही पूर्व सैनिक वाली दूसरी सुविधाएँ। इस सेवा काल के दौरान अग्निवीरों को 30 हजार रुपए से लेकर 40 हजार रुपए तक की सैलरी मिलेगी। सेवा निधि स्कीम के तहत जो पैसे जमा होंगे वह उन्हें मिलेंगे।
6. अस्थायी नौकरी को लेकर सेना के प्रति युवा कितने उत्सुक होंगे?
इस विषय पर एयरफोर्स चीफ का कहना है कि युवाओं को एक साथ तीन मौके दिए जा रहे हैं। उन्हें अच्छा वेतन दिया जाएगा, चार साल में ठीक-ठाक बैक बैलेंस दिया जाएगा और स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। सेना में ट्रेनिंग के क्रेडिट पॉइंट भी मिलेंगे। यह चार साल बाद हायर एजुकेशन लेने में सहायता करेगा।
इसके अलावा, राज्य सरकार की पुलिस और मंत्रालयों एवं PSUs में में वरीयता मिलने के कारण यह नौकरी अस्थायी जैसी नहीं रहेगी। यह एक तरह से सेना का प्रशिक्षण जैसा हो जाएगा। जो 25 प्रतिशत शानदार काम करेंगे, उन्हें नियमित किया जाएगा।
7. अग्निपथ के तहत भर्ती कब शुरू होगी और कितने लोगों की होगी?
सेना की भर्तीय रैली 90 दिन में होगी। करीब 180 दिन बाद पहले चरण के अग्निवीर सेंटर में पहुँच जाएँगे। एक साल में अग्निवीर भारतीय सेना की बटालियन का हिस्सा हो जाएँगे। पहले साल आर्मी में 40 हजार, नेवी में 3 हजार और एयरफोर्स में करीब 3,500 अग्निवीरों की भर्ती होगी।
8. अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर ‘ऑल इंडिया ऑल क्लास’ बेस पर आएँगे। ऐसे में पुराना रेजीमेंटेशन सिस्टम खत्म होगा?
नहीं ऐसा नहीं होगा। इंडियन आर्मी के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू के अनुसार, रेजीमेंटेशन का मतलब सिर्फ एक समुदाय से आने वाले लोग नहीं है। इसका मतलब है कि साथ रहना, खाना, बैठना, ट्रेनिंग करना और साथ लड़ना।
अग्निवीर साढ़े तीन साल साथ रहेंगे और 25 प्रतिशत जो नियमित होंगे वह बटालियन में ही रहेंगे। राजू के अनुसार, सेना में अभी भी 75 प्रतिशत यूनिट में ऑल इंडिया ऑल क्लास ही हैं। फाइटिंग फॉर्मेंशन में कुछ फिक्स्ड क्लास हैं। जैसे राष्ट्रीय राइफल में अलग-अलग रेजिमेंट से आकर लोग लड़ते हैं।
9. अग्निवीरों के स्थायी होने का कितना चांस है?
अग्निवीरों में से सिर्फ 25 प्रतिशत ही स्थायी होंगे। बाकी के 75 प्रतिशत लोग वापस सिविल के तौर पर लौट जाएँगे। हालाँकि, कई भर्तियों में उन्हें वरीयता दी जाएगी।
10. अग्निपथ योजना का उद्देश्य क्या है?
सैन्य बजट का एक बड़ा हिस्सा सेवानिवृत सैनिकों के पेंशन में खर्च हो जाता है। सेना को आधुनिक बनाने के लिए पेंशन खर्च को कम करने पर कई बार चर्चा हुई है। हालाँकि, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, अग्निपथ योजना का उद्देश्य बचत करना नहीं है। इसके पीछे युवाओं में अनुशासन, देशभक्ति और आंतरिक गुणों का विकास भी बताया जा रहा है।