मणिपुर में जनजातीय समुदाय के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसके बाद भारतीय सेना और ‘असम राइफल्स’ के जवानों को शांति कायम करने के लिए लगाया गया है। हिंसाग्रस्त इलाकों से अब तक 7500 से भी अधिक लोगों को बचा कर निकाला जा चुका है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है। स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए फ्लैग मार्च निकाले जा रहे हैं। एक मार्च के आयोजन के बाद ये सब शुरू हुआ।
जनजातीय समाज के मार्च के बाद शुरू हुई हिंसा
असल में मणिपुर का मैतेई समज लंबे समय से माँग कर रहा है कि उसे ‘अनुसूचित जनजाति (ST)’ का दर्जा दिया जाए। हाल ही में उन्होंने अपनी इस माँग को तेज कर दिया। मैती समाज मणिपुर की जनसंख्या का 53% है, यानी आधा से भी ज़्यादा। इसी माँग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM)’ ने बुधवार (3 मई, 2023) को राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में मार्च निकाला था। मणिपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि मैती समाज को ST में सम्मिलित करने के लिए राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजे, जिसके बाद ये हिंसा की घटनाएँ हुईं।
आरोप है कि चुराचांदपुर के तोरबुंग में मार्च के दौरान हथियारबंद भीड़ ने मैती समाज के लोगों पर हमला बोल दिया। इसके बाद पहाड़ी जिलों में बदले में कई हमले किए गए। फिर पूरे राज्य भर में हिंसा फ़ैल गई। तुरबुंग में 3 घंटे तक दंगे चलते रहे। घरों-दुकानों में तोड़फोड़ हुई। आगजनी की गई। मुख्यमंत्री N बीरेन सिंह ने कहा है कि लोगों की जानें गई हैं और संपत्ति को नुकसान पहुँचा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इसे समाज में कुछ गलतफहमियों का नतीजा बताया।
My state Manipur is burning, kindly help @narendramodi @PMOIndia @AmitShah @rajnathsingh @republic @ndtv @IndiaToday pic.twitter.com/VMdmYMoKqP
— M C Mary Kom OLY (@MangteC) May 3, 2023
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानमाल की सुरक्षा के लिए हर प्रकार के कदम उठा रही है। मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने भी मणिपुर सीएम को पत्र में लिखा है कि एक स्थायी पड़ोसी और संस्कृति-इतिहास के मामले में दोनों राज्यों में समानता होने के कारण वो मणिपुर में हुई हिंसा से दुःखी हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों ने फोन कॉल पर भी बात की है। गैर-जनजातीय के प्रभाव वाले इम्फाल बेल्ट, कक्चिंग, थौबल, जिरीबाम और बिष्णुपुर जिलों के अलावा जनजातीय समाज की बहुलता वाले चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेगनोपाल में भी कर्फ्यू लगाया गया है।
ये मामला ट्राइबल्स और गैर-ट्राइबल्स का नहीं, जानें सच
असल में मणिपुर उच्च न्यायालय ने वहाँ की राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय को ये प्रस्ताव भेजे कि मैतेई समाज को भी ST में शामिल किया जाए। इन्हें मणिपुर की ट्राइब्स की सूची में शामिल करने को कहा गया। इसके बाद राज्य में दंगे शुरू हो गए। बताया जा रहा है कि ईसाई जनजातीय समुदाय ने मणिपुर के लोकप्रिय त्योहार लाई-हराओबा के दौरान हिंसा की साजिश रच ली थी। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दौरे के दौरान राज्य भर में मैतेई समाज पर हमले की साजिश रची गई और इसे अंजाम दिया गया।
मणिपुर का मामला आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी का है ही नहीं, जैसा मीडिया दुष्प्रचारित कर रहा है।
— Anupam K. Singh (@anupamnawada) May 4, 2023
हाईकोर्ट ने कहा कि मैतेई समाज को ST का दर्जा देने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाए, उसके खिलाफ ईसाई ट्राइबल्स उग्र हो गए।
मणिपुर के 53% लोग मैतेई हैं। उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है। pic.twitter.com/UGPLSnnhbd
ईसाई जनजातीय समुदाय के लोगों ने न सिर्फ मैतेई समाज के लोगों के घरों पर पत्थरबाजी की, हथियारबंद होकर हमले किए। मैतेई समाज के लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि ईसाई जनजातीय समुदाय के जो अंडरग्राउंड आतंकी संगठन हैं, उनके लोग भी मैतेई समाज के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं। जैसा कि मेनस्ट्रीम और राष्ट्रीय मीडिया चला रहा है, ये जनजातीय समाज बनाम गैर-ट्राइबल्स का मामला नहीं है।
#WATCH | Delhi: I am not feeling good about the situation In Manipur. Since last night the situation has deteriorated. I appeal State & Central Government to take steps for the situation & maintain peace & security in the state. It is unfortunate that some people lost their… pic.twitter.com/y1ht24WiSc
— ANI (@ANI) May 4, 2023
चुराचांदपुर में मैतेई समाज के 1000 लोगों को घर छोड़ कर दूसरे क्षेत्रों में भागना पड़ा है। वहीं मुक्केबाज मैरी कॉम ने भी इस हिंसा को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की माँग की है। उन्होंने कहा है कि वो हिंसा के कारण अच्छा महसूस नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की जान जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वो ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि स्थिति जल्द से जल्द ठीक हो जाए।