कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो से 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट माँगी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। ये अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर रिपोर्ट देगा। टास्क फोर्स 3 सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट देगी, जबकि 2 महीने के भीतर फाइनल रिपोर्ट सौंपेगी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता रेप-मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। सीजेआई ने कहा कि डॉक्टर्स की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए टास्क फोर्स बना रहे हैं, इसमें 9 डॉक्टर्स को शामिल किया गया है, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगी। टास्क फोर्स में केंद्र सरकार के पाँच अधिकारी भी शामिल किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जिस टास्ट फोर्स का गठन किया है, उसका नेतृत्व सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन एवीएसएम, वीएसएम करेंगे। नेशनल टास्क फोर्स मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण से संबंधित सिफारिशें करेगा। नेशनल टास्क फोर्स को तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट और 2 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
टास्ट फोर्स में इन्हें किया गया शामिल
आरके सरियन, सर्जन वाइस एडमिरल, डॉ. नागेश्वर रेड्डी, मैनेजिंग डायरेक्टर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी, डॉ. एम. श्रीनिवास, डायरेक्टर AIIMS, दिल्ली, डॉ. प्रतिमा मूर्ति, NIMHANS, बेंगलुरू, डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, डायरेक्टर, AIIMS, जोधपुर, डॉ. सौमित्र रावत, गंगाराम अस्पताल के मैनेजिंग मेंबर, प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कार्डियोलॉजी हेड, AIIMS, दिल्ली, प्रोफेसर पल्लवी सापरे, डीन- ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई और डॉ. पदमा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, AIIMS। इसके अलावा भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के गृह सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष और नेशनल बोर्ड ऑफ इग्जामिनर्स के अध्यक्ष होंगे।
कोर्ट ने सीबीआई से 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट और राज्य सरकार से घटना की रिपोर्ट माँगी है। आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को दिया गया। केस की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
Correction | Kolkata's RG Kar Medical College and Hospital rape-murder case: Supreme Court constitutes a National Task Force which includes Surgeon Vice Admiral Arti* Sarin, Doctor Nageshwar Reddy, Managing Director Asian Institute of National Gastrology among others.
— ANI (@ANI) August 20, 2024
सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ पर
इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा, “15 अगस्त की रात को जब आरजी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं, तो भीड़ ने पुरुष और महिला डॉक्टरों पर हमला किया। पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के संगठन (प्रोटेक्ट द वॉरियर्स) की ओर से पेश अपराजिता सिंह ने एक वरिष्ठ रेजिडेंट द्वारा घटना का विवरण देते हुए एक ईमेल रिकॉर्ड पर रखा है। अस्पताल में 700 रेजिडेंट डॉक्टर हैं। ज्यादातर रेजिडेंट अपनी ड्यूटी छोड़ चुके हैं और अब 30-40 महिला और 60 पुरुष डॉक्टर रह गए हैं। डॉक्टरों के लिए अपनी ड्यूटी करने के लिए सुरक्षित माहौल बनाए रखना जरूरी है। इसलिए हमें एसजी मेहता ने आश्वासन दिया है कि सुरक्षा में सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी।”
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि यह कोलकाता के अस्पताल में हुई किसी विशेष हत्या से संबंधित मामला नहीं है। यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से संबंधित व्यवस्थागत मुद्दों को उठाता है। सबसे पहले, सुरक्षा के मामले में हम सार्वजनिक अस्पतालों में युवा डॉक्टरों खासकर महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की स्थिति के अभाव के बारे में बहुत चिंतित हैं, जो काम की प्रकृति और लिंग के कारण अधिक असुरक्षित हैं। इसलिए हमें राष्ट्रीय सहमति विकसित करनी चाहिए। काम की सुरक्षित स्थिति बनाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल होना चाहिए। अगर महिलाएँ काम की जगह पर नहीं जा सकतीं और सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं तो हम उन्हें समान अवसर से वंचित कर रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अभी कुछ करना होगा कि सुरक्षा की स्थिति लागू हो।”
सीजेआई ने कहा कि न्यायालय महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर सिफारिशें देने के लिए पूरे देश के डॉक्टरों को शामिल करते हुए “राष्ट्रीय टास्क फोर्स” बना रहा है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना आदि जैसे कई राज्यों ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए राज्य कानून बनाए हैं। हालाँकि, ये कानून संस्थागत सुरक्षा मानकों की कमियों को दूर नहीं करते हैं। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जैसे-जैसे अधिक से अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल होती जा रही हैं…..देश जमीनी स्तर पर चीजों को बदलने के लिए एक और बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकता।”
आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम मुद्दे उठाए, जिनमें…
- नाइट ड्यूटी करने वाले मेडिकल पेशेवरों को आराम करने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं दिए जाते हैं। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग ड्यूटी रूम नहीं हैं।
- इंटर्न, रेजीडेंट और सीनियर रेजीडेंट से 36 घंटे की ड्यूटी करवाई जाती है, जहाँ अक्सर स्वच्छता और सफाई की बुनियादी स्थितियाँ नहीं होती हैं।
- अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों की कमी अपवाद से कहीं अधिक आम बात है।
- मेडिकल देखभाल पेशेवरों के पास पर्याप्त शौचालय की सुविधा नहीं है।
- मेडिकल पेशेवरों के ठहरने के स्थान अस्पतालों से दूर हैं और परिवहन सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं।
- अस्पतालों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों का न होना या उनका ठीक से काम न करना।
- मरीजों और उपस्थित लोगों के लिए सभी जगहों पर बेरोकटोक पहुंच है।
- प्रवेश द्वार पर हथियारों की जाँच का अभाव।
- अस्पताल के अंदर डिंग और खराब रोशनी वाली जगहें।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंसिपल के आचरण, एफआईआर दर्ज करने में देरी और 14 अगस्त को सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ पर भी राज्य से सवाल पूछे। सीजेआई ने कहा, “सुबह-सुबह अपराध का पता चलने के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की। माता-पिता को कुछ घंटों तक शव देखने की अनुमति नहीं दी गई…।”
सिब्बल ने कहा कि यह गलत जानकारी है। उन्होंने कहा कि राज्य सभी तथ्यों को रिकॉर्ड में रखेगा। सीजेआई ने सवाल किया कि आरजी कर अस्पताल से इस्तीफा देने के बाद प्रिंसिपल को दूसरे अस्पताल का प्रभार क्यों दिया गया। इसके बाद पीठ ने एफआईआर के समय के बारे में सवाल किया। सिब्बल ने कहा कि “अप्राकृतिक मौत” का मामला तुरंत दर्ज किया गया था और दावा किया कि एफआईआर दर्ज करने में कोई देरी नहीं।
सीजेआई ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम दोपहर 1 बजे से शाम 4.45 बजे के बीच किया गया। शव को अंतिम संस्कार के लिए रात करीब 8.30 बजे माता-पिता को सौंप दिया गया। हालाँकि, एफआईआर रात 11.45 बजे ही दर्ज की गई। सीजेआई ने पूछा, “रात 11.45 बजे एफआईआर दर्ज की गई? अस्पताल में कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं करता? अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या पोस्टमार्टम से यह पता नहीं चलता कि पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गई?”
सीजेआई ने आगे पूछा, “प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? पहले इसे आत्महत्या के रूप में पेश करने का प्रयास क्यों किया गया?” सीजेआई ने राज्य से 14 अगस्त को “रात को वापस लो” विरोध अभियान के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं पर भी सवाल किया।