उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए कथित किसान की दूसरी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी आ गई है। बहराइच के जिलाधिकारी दिनेश चंद्रा ने बुधवार (6 अक्टूबर 2021) को बताया कि लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए कथित किसान की दूसरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली लगने की बात सामने नहीं आई है।
इससे पहले मृतक के परिवार ने दावा किया था कि गोली लगने से ‘किसान’ की मौत हुई है। इसके साथ ही परिवार ने पहली पोस्टमार्टम को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें मौत का कारण चोट, सदमा और ब्रेन हेमरेज बताया गया था। परिवार ने शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार करते हुए उसका दोबारा से पोस्टमार्टम कराने की माँग की थी। परिवार के अनुरोध के बाद सरकार ने शव का दूसरी बार परीक्षण कराने का आदेश दिया था। इसके लिए विशेषज्ञ टीम लखनऊ से भेजी गई थी।
डीएम चंद्रा ने कहा, “लखीमपुर घटना में मरने वाले एक व्यक्ति के परिवार ने पोस्टमार्टम पर संदेह जताया था और दोबारा पोस्टमार्टम का अनुरोध किया था। राज्य सरकार ने अनुपालन किया और यह सुनिश्चित करने के लिए फिर से पोस्टमॉर्टम किया गया कि यह निष्पक्ष और पारदर्शी है।”
An expert panel of doctors had come from Lucknow to monitor the post mortem, which was recorded in compliance with the orders from Chief Minister’s Office: Dinesh Chandra, Bahraich DM
— ANI UP (@ANINewsUP) October 6, 2021
उन्होंने आगे बताया, “पोस्टमॉर्टम की निगरानी के लिए डॉक्टरों का एक विशेषज्ञ पैनल लखनऊ से आया था, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशों के अनुपालन में भेजा गया था।”
कथित तौर पर मृतक का परिवार अब ऑटोप्सी रिपोर्ट से संतुष्ट है। परिवार के एक सदस्य ने इसको लेकर कहा, “मुझे अब कोई शिकायत नहीं है। पोस्टमार्टम के लिए लखनऊ से टीम आई थी। हम इसे स्वीकार करेंगे। कुछ अनुष्ठानों के बाद दाह संस्कार किया जाएगा।”
पोस्टमार्टम रिपोर्ट को फेक बताने पर तुले किसान संगठन
मृतक किसान के परिवार के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को मानने से इनकार कर रहा है। संगठन ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि प्रदर्शन कर रहे किसान की मौत गोली लगने से ही हुई है।
एसकेएम ने कहा, “हमने अपने पहले के बयान को कायम हैं कि एक प्रदर्शनकारी किसान को मंत्री के बेटे की टीम ने गोली मारी थी।” भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने भी दावा किया, “सुखविंदर की गोली मारकर हत्या की गई। हालाँकि, पहले पोस्टमॉर्टम में इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। उनका पोस्टमार्टम एम्स, बीएचयू, पीजीआई के डॉक्टरों की एक टीम और बहराइच में एसकेएम प्रतिनिधियों की मौजूदगी में एक वरिष्ठ फोरेंसिक डॉक्टर द्वारा किया जाए।”
गणतंत्र दिवस पर हुई घटना
लखीमपुर खीरी में हुई घटना ने गणतंत्र दिवस पर हुई घटना की यादें ताजा कर दी हैं। वामपंथियों ने इस घटना में भी वही कार्ड खेला है कि किसानों को ‘फासीवादी सरकार’ द्वारा गोली मार दी जा रही है।
इसी तरह से 26 जनवरी के दंगों के दौरान वामपंथियों ने दिल्ली पुलिस को एक प्रदर्शनकारी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की थी, जबकि ट्रैक्टर के पलटने के कारण उसने अपनी जान गंवा दी थी। इसमें दावा किया गया था कि प्रदर्शनकारी को पुलिस ने गोली मार दी थी। उस घटना में कई पत्रकारों ने झूठ को हवा दी थी। दरअसल मृतक व्यक्ति ट्रैक्टर से स्टंट कर रहा था और उसी दौरान ट्रैक्टर पलटने से उसकी मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई थी कि व्यक्ति की मौत एक दुर्घटना के कारण हुई थी, न कि गोली लगने से। ऑटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैक्टर रैली के दौरान दंगाई की मौत हो गई थी, जैसा कि घटना के वायरल वीडियो में देखा गया था।
The post mortem report clarifies that he (farmer who died during the tractor rally in Delhi yesterday) was not shot. He succumbed to the antemortem injuries which he received after his tractor turned turtle as seen in the viral video: Avinash Chandra, ADG Bareilly in Rampur, UP pic.twitter.com/goFuCA1I2X
— ANI UP (@ANINewsUP) January 27, 2021
इसके बावजूद वामपंथी तंत्र तथाकथित किसान की मौत पर फर्जी खबरें फैलाता रहा। द वायर ने लिखा, “ऑटोप्सी करने वाले डॉक्टर ने मुझे बताया कि उसने बुलेट इंजरी को देखा है, लेकिन उसके हाथ बंधे हुए हैं।” एक लेख में मृतक के दादा ने आरोप लगाया था कि प्रशासन उसकी मौत की असली वजह छुपा रहा है।