जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में 24 अक्टूबर 2021 (रविवार) को सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान आतंकी जिया मुस्तफा मारा गया है। वह 2003 में नदीमर्ग में कश्मीरी पंडितों के हुए नरसंहार का मस्टरमाइंड था। जेल में बंद मुस्तफा को 10 दिनों की रिमांड पर लिया गया था। वह लश्कर ए तैय्यबा से जुड़ा था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उसका रिमांड कश्मीर की कोट बलवाल जेल से लिया गया था। भाटा दूरियान नाम की जगह पर पहचान के लिए उसे ले जाने पर अचानक ही आतंकियों ने सैनिकों पर फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान 3 जवानों के साथ मुस्तफा को भी चोटें आईं। आग से घिर जाने के चलते मुस्तफा को निकाला नहीं जा सका। बाद में उसकी लाश बरामद की गई।
Zia Mustafa, a Pakistani LeT terrorist was taken to Bhata Durian for identification of terrorist hideout during the ongoing operation in which 3 army jawans and a JCO were martyred: J&K Police
— ANI (@ANI) October 24, 2021
जिया मुस्तफा अपना नाम बदलता रहता था। अरबाज़, अब्दुल्ला, विक्टर और उमर नाम से भी वह जाना जाता था। वह पाकिस्तान के अवैध कब्ज़े वाले कश्मीर के रावलाकोट क्षेत्र के बेरमोंग गाँव का रहने वाला था। नदीमार्ग नरंसहार के अलावा वह अवंतीपुरा के एयरबेस पर हमले में भी शामिल था।
नदीमार्ग गाँव दक्षिण कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में पड़ता है। 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन के लिए मजबूर किया गया था। लेकिन नदीमार्ग के लगभग 50 पंडितों ने अपना घर छोड़ने से इनकार कर दिया था। 23 मार्च 2003 को भारतीय सेना की वर्दी पहन कर आंतकी नदीमार्ग गाँव में घुसे। उन्होंने 11 पुरुषों, 11 महिलाओं और 2 बच्चों को घर से बाहर निकाल लाइन में खड़ा किया। इसके बाद सबको गोली मार दी गई। इस नरसंहार के बाद बचे कश्मीरी हिंदू भी पलायन कर गए थे।
पुलिस ने इस नरसंहार के मास्टरमाइंड जिया मुस्तफा को 10 अप्रैल 2003 की गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने नदीमार्ग नरसंहार पाकिस्तान के इशारे पर करना कबूला था। जब यह नरसंहार हुआ था तब मुफ़्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। नदीमर्ग उनके पैतृक गाँव से केवल 7 किलोमीटर दूर है। रात के 10 बजकर 30 मिनट पर आतंकियों ने यहाँ चिनार के पेड़ के नीचे कश्मीरी पंडितों को इकट्ठा कर गोली मारी थी। गौर करने वाली बात यह है कि 23 मार्च को पाकिस्तान का राष्ट्रीय दिवस भी मनाया जाता है।
मरने वालों में 70 साल की बुजुर्ग महिला के साथ 2 साल का मासूम बच्चा भी शामिल था। क्रूरता की हद पार करते हुए एक दिव्यांग सहित 11 महिलाओं, 11 पुरुषों और 2 बच्चों पर बेहद नजदीक से गोलियाँ चलाई गई। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि पॉइंट ब्लेंक रेंज से हिन्दुओं के सिर में गोलियाँ मारी गई थी। आतंकी यही नहीं रुके उन्होंने घरों को लूटा और महिलाओं के गहने उतरवा लिए। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस घटना का जिम्मेदार ‘मुस्लिम आतंकवादियों’ को बताया था। अमेरिका के स्टेट्स डिपार्टमेंट ने भी इसे धर्म आधारित नरसंहार माना था।
इस घटना में जीवित बचे एक कश्मीरी पंडित ने घटना के खौफनाक पलों को एक चश्मदीद के तौर पर बताया था। उन्होंने कहा था कि वो पहली मंज़िल से नीचे कूद कर खेतों से चले गए थे। लेकिन उनके पूरे परिवार को मार डाला गया था।