अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने अच्छी-अच्छी बातें तो की, लेकिन भारत में कुछ ‘वोक लिबरल’ इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने लगे। उन्होंने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को ‘अनस्क्रिप्टेड’ बताते हुए स्क्रिप्टेड पीआर की एक मिशाल पेश की। ये सभी ट्विटर के ब्लू टिक धारी एक्टिविस्ट हैं, जो रहते तो भारत में हैं लेकिन गुणगान तालिबान का करते हैं।
खुद को लेखक और ऑटो इंजिनियर बताने वाली पूजा त्रिपाठी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “अब तो तालिबान भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल ले रहा है। मैं बस कह रही हूँ।” ऋचा सिंह ने कत्थक डांसर और क्लासिकल गायिका भी हैं। इसी तरह ‘महिला कॉन्ग्रेस’ से जुड़ीं डॉक्टर पूजा त्रिपाठी ने लिखा, “अब तो तालिबान भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। मैं बस कह रही हूँ।” वहीं खुद को छात्र एक्टिविस्ट कहने वाली गुरमेहर कौर ने लिखा, “अब तो तालिबान भी मीडिया से अनस्क्रिप्टेड सवाल ले रहा है।”
इसी फेहरिस्त में अगला नाम आता है अभिषेक मुखर्जी का। खुद को ‘क्रिकेट पर्सन’ बताने वाले अभिषेक मुखर्जी की एकमात्र पहचान यही है कि वो प्रणब मुखर्जी के बेटे नहीं हैं। उन्होंने लिखा, “अब तो तालिबान भी प्रेस कॉन्फ्रेंस अटेंड कर रहा है।” खुद को ब्लॉगर और बंगाली कविताएँ की पुस्तक लिखने वाले अग्नीवो नियोगी ने लिखा, “अब तो तालिबान ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। लेकिन, पिछले 7 वर्षों से तो…”
इसी कड़ी में अगला नाम आता है शुनाली खुल्लर श्रॉफ का। वो भी लेखक ही हैं। साथ ही खुद को ट्रैवलर भी बताती हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “यहाँ तक कि तालिबान भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है। लेकिन, हमारे नेतृत्व के मामले में हम इतने भाग्यशाली नहीं हैं।” वहीं कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ‘स्कूल ऑफ इंटनेशनल एंड पब्लिक रिलेशन्स’ में फेलो असाद हन्ना ने लिखा, “तालिबान को प्रेस कॉन्फ्रेंस व मीडिया कवरेज को देखें तो पता चलता है कि अफगानिस्तान पर शासन के लिए वो पूरी तरह तैयार था।”
इसी तरह ट्विटर ट्रोल अभिषेक बक्सी ने भी लिखा कि अब तो तालिबान ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया। वो खुद का परिचय फ्रीलांस टेक जर्नलिस्ट के रूप में देते हैं। इस तरह ये 8 मुख्य चेहरे हैं, जो तालिबान के पीआर का भारत में नेतृत्व कर रहे हैं। ये तालिबान के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। तालिबान की करतूतों को ढक कर उसे निर्दोष साबित कर रहे हैं। सिर्फ इसीलिए, क्योंकि उसने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया और सारे पाप धुल गए।
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने कहा कि वो किसी तरह की आतंरिक व बाहरी दुश्मनी नहीं चाहता, इसीलिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देगा। साथ ही उसने महिलाओं को भी सरकार में शामिल होने के लिए कहा। उधर यूके अफगानिस्तान से 20,000 लोगों को शरण दे रहा है। मुल्क में अभी भी भगदड़ का माहौल है। जिन दुकानों पर महिलाओं की तस्वीर थी, उन्हें हटा दिया गया है।
उधर अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान के सामने घुटने टेकने से साफ़ इनकार कर दिया। उन्होंने खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करते हुए कहा कि इस मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन से बहस करना बेकार है। उन्होंने कहा, “हम अफगानिस्तानियों को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी होगी। अमेरिका और नाटो ने भले ही अपना हौसला खो दिया हो, लेकिन हमारी उम्मीद अभी बाकी है।”