Sunday, November 17, 2024
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मुंगेर में कई जगह मतदान का बहिष्कार: चड़ौन में ग्रामीणों ने जला डाली वोटिंग की पर्ची, घर-घर जाकर गिड़गिड़ा रहे राजनीतिक दलों के लोग

चड़ौन सहित मुंगेर के कई इलाकों में मतदान का प्रतिशत काफी धीमा है। मुंगेर के टाउनहॉल वोटिंग बूथ पर तो वोटिंग प्रतिशत मात्र 2.7% ही था। दोपहर 12 बजे तक मुंगेर में मात्र 15% वोटिंग हुई थी।

बिहार के मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान पुलिस की बर्बरता की ख़बरों के बीच बिहार में प्रथम चरण का मतदान भी हो रहा है। बुधवार (अक्टूबर 28, 2020) को बिहार में जहाँ-जहाँ मतदान हो रहा है, उन इलाकों में मुंगेर भी शामिल है। इसी दौरान हमें खबर आ रही है कि चड़ौन सहित मुंगेर के कई इलाकों में मतदान का प्रतिशत काफी धीमा है। मुंगेर के टाउनहॉल वोटिंग बूथ पर तो वोटिंग प्रतिशत मात्र 2.7% ही था। दोपहर 12 बजे तक मुंगेर में मात्र 15% वोटिंग हुई थी।

इसी तरह से कई अन्य इलाकों में भी काफी कम वोटिंग प्रतिशत देखने को मिला, जिससे प्रत्याशियों की नींद हराम हो गई है और वो घर-घर जाकर लोगों को वोट डालने के लिए बोल रहे हैं। उदाहरण के लिए मुंगेर के नौवागढ़ी क्षेत्र में स्थित चड़ौन गाँव को ही देख लीजिए, जहाँ एक तरह से ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर रखा है। हर दल के लोग घर-घर जाकर मतदान करने कह रहे हैं, लेकिन 2 दिन पहले हुई घटना के कारण लोग आक्रोशित हैं।

हमने गाँव के कुछ स्थानीय युवाओं से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि उनका गाँव उस जगह से 8 किलोमीटर के दायरे में ही है, जहाँ ये घटना हुई। गाँव के लोग दुर्गा पूजा में वहीं जाते हैं और उनका बाजार भी वहीं है। लोगों का गुस्सा न सिर्फ पुलिस-प्रशासन बल्कि सत्ताधारी पार्टियों, खासकर भाजपा से भी है। इनमें से अधिकतर भाजपा के वोटर रहे हैं और वो अब पार्टी द्वारा खुल कर स्टैंड न लेने से नाराज़ हैं।

हमारी बातचीत गाँव के ही नेहा चौधरी से हुई, जिन्होंने बताया कि इस घटना के बाद से ही गाँव में आक्रोश है। कई ग्रामीणों ने वोट डालने के लिए पर्ची भी कटा ली थी। मंगलवार को चुनाव से 1 दिन पहले ही उन्होंने अपने-अपने घरों से उन पर्चियों को निकाला और उसमें आग लगा दी। बता दें कि ये पर्चियाँ उन्हें प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों द्वारा भी वोटिंग लिस्ट में उनका नाम देख कर उन्हें उपलब्ध कराई जाती है।

साथ ही युवकों ने पूरे गाँव में घूम-घूम कर अपील किया कि वो वोट देने न जाएँ। नेहा ने बताया कि दोपहर तक गाँव के 10-15 लोगों ने ही वोट डाला था। इनमें से अधिकार बुजुर्ग ही हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति बूथ संख्या 232 की है, जहाँ राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के प्रतिनिधि घूम-घूम कर वोट डालने के लिए बोल रहे हैं। वो गिड़गिड़ा रहे हैं कि केवल आधार कार्ड भी हो तो लोग लेकर जाएँ और वोट करें, लेकिन ग्रामीण टस से मस नहीं हो रहे।

नेहा ने बताया कि इस गाँव में अधिकतर भाजपा को ही वोट जाता रहा है। उन्होंने बताया कि अब बूथ से जब वोटिंग ही नहीं हो रही है तो प्रत्याशियों के लोग गाड़ी लेकर घूम रहे हैं और लोगों से वोट डालने को कह रहे हैं। हालाँकि, ग्रामीणों का कहना है कि अगर उन्हें ज्यादा परेशान किया गया तो वो इन राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को गाँव से भगाएँगे भी। इस गुस्से की एक ही वजह है – दुर्गा विसर्जन में पुलिस पर लगे बर्बरता के आरोप।

नेहा चौधरी बताती हैं कि उनके घर के लोग भी उस दिन मुंगेर में ही थे और दुर्गा पूजा विसर्जन में हिस्सा लेने गए थे। गाँव के कई लोग इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जिन्होंने इस वारदात को देखा-सुना है। ऐसे में उनके जेहन में भी वो डरावने पल बैठे हुए हैं। उनके घर पर भी राजनीतिक दलों के लोग पहुँचे थे और वोट करने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। कमोबेश पूरे गाँव में यही स्थिति है।

आखिर गाँव के लोग क्यों वोट नहीं करना चाहते? इसके जवाब में राहुल कुमार और रितेश चौधरी सहित अन्य ग्रामीण कहते हैं कि हिन्दुओं को हमेशा से दबाया जा रहा है और प्रशासन का रवैया सही नहीं होने के कारण उससे लोग आक्रोशित हैं। दो लोगों के मरने की खबर है और न जाने कितने घायल हुए हैं। ये लोग यही सवाल पूछ रहे हैं, “आखिर प्रशासन ने इतनी बड़ी वारदात को क्यों और कैसे अंजाम दे दिया?

वहीं नेहा चौधरी और दीपिका कुमारी जैसे युवाओं का भी गुस्सा इसी बात को लेकर है कि जिस पार्टी को वो लोग वोट देते आए हैं, उसके राज में आखिर इस तरह की घटना कैसे हो गई? अगर हो भी गई तो फिर इसके बाद अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आज जब मुंगेर के पोलिंग बूथों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, हर दल के प्रत्याशियों की साँसें अटकी हुई हैं कि आखिर जनता अब क्या फैसला सुनाने वाली है।

मुंगेर में सोमवार (अक्टूबर 26, 2020) की रात माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन यात्रा पर मुंगेर पुलिस के लाठीचार्ज का वीडियो के वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की खासी आलोचना हो रही है। एक के बाद एक आई हृदयविदारक तस्वीरों से लोग आक्रोशित हैं। एसपी और जदयू सांसद आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह ने दावा किया था कि प्रतिमा विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव किया और गोलीबारी की, जिसके बाद अपने बचाव में पुलिस ने कार्रवाई की।

हालाँकि, बेंगलुरु की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डी रूपा ने नियम समझाते हुए कहा कि पुलिस को गोली चलाने से पहले चेतावनी देनी चाहिए, या फिर आँसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि मुंगेर में इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस के न्यूनतम बल का उपयोग किया जाना चाहिए। साथ ही याद दिलाया कि भीड़ द्वारा अवरोध पैदा करने पर फोर्स की उचित संख्याबल का भी निर्धारण किया जाता है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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