मध्य प्रदेश के शिशु गृह में हिंदू बच्चों के इस्लामी धर्मांतरण के बाद अब राज्य में चल रहे ईसाई मिशनरी के हॉस्टल से भी इसी तरह का मामला सामने आया है। यह हॉस्टल दमोह में चल रहा है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस संबंध में दमोह देहात थाना में 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
मिशनरी संचालित छात्रावासों में धर्मांतरण की साजिश का खुलासा कानूनगो व एनसीपीसीआर के सदस्य ओंकार सिंह के निरीक्षण के बाद हुआ। कानूनगो की अगुवाई में टीम ने कई ईसाई मिशनरियों का निरीक्षण किया। इस दौरान कई तरह की अनियमितताएँ उजागर हुईं। इस दौरान टीम का सहयोग नहीं करने के आरोप भी ईसाई मिशनरियों के कर्मचारियों पर हैं। पंजीयन दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं करवाए गए।
सबसे पहले टीम बेथलहम बाइबिल परिसर में संचालित बालक एवं बालिका छात्रावास पहुँची। यहाँ छात्रों से जानकारी लेने पर धर्मांतरण का मामला सामने आया। यहाँ से टीम भिड़ावरी गाँव में संचालित छात्रावास पहुँची। यहाँ टीम को अंदर जाने नहीं दिया गया।
काफी मशक्कत के बाद जब टीम पुलिस की सहायता से अंदर पहुँची तो पता चला कि 91 बच्चों में केवल 45 बच्चे मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर हिन्दू थे। जिन्होंने पूछे जाने पर बताया कि उन्हें ईसाइयत की शिक्षा दी जा रही है। निरीक्षण के दौरान आयोग की टीम बाइबिल सोसायटी का निरीक्षण करने पहुँची तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। डिंडोरी के रहने वाले एक 17 वर्षीय किशोर ने बताया कि उसे यहाँ पादरी बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इससे पहले राज्य के रायसेन जिले के एक शिशु गृह में 3 हिन्दू बच्चों को मुस्लिम बनाने का मामला सामने आया था। तीनों बच्चे भाई-बहन हैं और कोरोना काल में अपने परिजनों से बिछड़ गए थे। सरकारी अनुदान प्राप्त इस शिशु गृह को हसीन परवेज चलाता है।
आरोप है कि हसीन परवेज ने तीनों बच्चों के इस्लामी नाम ने पहचान-पत्र बनवाकर खुद को उनका अभिभावक दिखाया है। परवेज की इस करतूत का संज्ञान शनिवार (12 नवंबर, 2022) को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने लिया और जिला प्रशासन को शिशु गृह संचालक के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए। घटना गौहरगंज इलाके की है।