क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अब मध्य प्रदेश के आदिवासी बच्चों के लिए मसीहा बन गए हैं। सचिन ने एमपी के 560 आदिवासी बच्चों की पढ़ाई में होने वाले खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सचिन ने एक NGO से हाथ मिलाया है।
मंगलवार (16 नवंबर 2021) को सचिन तेंदुलकर ने ये फैसला किया है। खास बात ये है कि आज ही के दिन सचिन ने 2013 में क्रिकेट की दुनिया से संन्यास लिया था। एमपी के सीहोर जिले के दूरदराज के गाँवों में सेवा कुटीर बनाए एक एनजीओ के साथ मिलकर सचिन ने बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है।
सचिन इंदौर से सड़क मार्ग से होते हुए देवास के जिले खातेगाँव के संदलपुर गए, जहाँ उन्होंने 560 आदिवासी बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाने की बात करते हुए कहा कि यह उनके माता-पिता की इच्छा थी के वो बच्चों के लिए कुछ करें, वो आज हमारे बीच होते तो ख़ुशी होती। संस्था ‘परिवार’ नामक एनजीओ बच्चों की पढ़ाई के लिए काम करती है।
बता दें कि सीहोर जिले के गाँव सेवनिया, बीलपाटी, खापा, नयापुरा और जामुन झील के बच्चों को अब तेंदुलकर फाउंडेशन की मदद से पोषक भोजन और शिक्षा मिल रही है। बच्चे मुख्य रूप से बरेला भील और गोंड जनजाति के हैं। जिनमें अधिकतर माध्यमिक शाला के छात्र हैं। सेवा कुटीर में छात्रों के भोजन का और शैक्षणिक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है।
ग्रामीण बताते हैं कि यहाँ छात्रों को प्रतिदिन दोनों समय भोजन, नाश्ता व पोषण आहार दिया जाता है। साथ ही सप्ताह में एक दिन विशेष भोज दिया जाता है। सेवनिया में करीब 30 बच्चे हैं। जिन्हें सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है। जानकारी के अनुसार सचिन ने प्रदेश के करीब 42 गाँवों में सेवा कुटीर बनाए हैं। जिनमें से सेवनिया और देवास जिले के बच्चों से मिलने वे खुद पहुँचे।