Sunday, November 17, 2024
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सरकारी स्कूलों में धर्मांतरण: हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा- लगाम लगाने के लिए दिशा-निर्देश क्यों नहीं, ईसाई मिशनरियों को समर्थन का दावा

अधिवक्ता ने याचिका में कहा, "वे हिंदू छात्रों को अपमानित करते हैं और उन्हें गाली देते हैं। वे धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और हिंदू लड़कियों को दूसरे धर्म को नहीं अपनाने पर प्रताड़ित करते हैं।"

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने गुरुवार (5 मई 2022) को तमिलनाडु (Tamil Nadu) सरकार को सरकारी स्कूलों में बड़े पैमाने पर कराए जा रहे जबरन धर्मांतरण को लेकर लताड़ लगाई। हाईकोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए राज्य सरकार से सवाल किया, “तमिलनाडु सरकार को जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दिशानिर्देश तैयार करने में क्या परेशानी है? राज्य के स्कूलों में धर्मांतरण रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश उसे क्यों नहीं देना चाहिए?”

न्यायमूर्ति आर महादेवन और एस अनंती की खंडपीठ ने शहर के एक अधिवक्ता बी जगन्नाथ की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अधिवक्ता ने अपनी याचिका में शिक्षा विभाग को सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों सहित सभी आवश्यक कदम उठाने का दिशानिर्देश तैयार करने का आदेश देने की माँग की थी। अदालत ने कहा कि संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जबरन धर्म परिवर्तन का नहीं।

सुनवाई के दौरान इस मामले में सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह इस तरह के धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। हालाँकि, इस याचिका का सरकार ने यह कहते हुए विरोध किया कि यह बिना तथ्यों के आधार पर दायर की गई है, इसलिए इस पर विचार ना किया जाए।

उल्लेखनीय है कि इस याचिका में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, प्राथमिक और उच्च माध्यमिक दोनों में धर्मांतरण और जबरन धर्मांतरण को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार करने और सुधारात्मक उपायों सहित सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई है।

रिपोर्टों के अनुसार, याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने बड़े पैमाने पर जबरन धर्मांतरण रैकेट को रोकने के लिए जिला स्तर पर एक आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा। अधिवक्ता ने कहा कि ईसाई मिशनरियों को कथित तौर पर राज्य सरकार का समर्थन प्राप्त है और वे शिक्षण संस्थानों में हिंदू लड़कियों को निशाना बनाते हैं। उन्होंने याचिका में साफ तौर पर लिखा, “वे हिंदू छात्रों को अपमानित करते हैं और उन्हें गाली देते हैं। वे धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और हिंदू लड़कियों को दूसरे धर्म को नहीं अपनाने पर प्रताड़ित करते हैं।”

इस संबंध में याचिकाकर्ता वकील ने तंजावुर जिले की एक हालिया घटना का हवाला भी दिया है। याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि तंजावुर में एक स्कूली छात्रा लावण्या को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रताड़ित किया गया था, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जाँच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता ने याचिका में यह भी दावा किया कि कन्याकुमारी जिले के एक सरकारी स्कूल में धर्मांतरण की माँग नहीं मानने पर एक छात्र को कथित तौर पर घुटने टेकने के लिए मजबूर किया गया। अधिवक्ता जगन्नाथ ने धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कदम उठाने की माँग की है। उन्होंने कहा है कि धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अदालत का हस्तक्षेप आवश्यक है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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