कट्टरपंथी मुगल आक्रान्ता औरंगजेब को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई थी, जिसमें उसकी आलोचना की गई है। इसके बाद महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में लगभग 150 कट्टरपंथियों की अनियंत्रित भीड़ विरोध-प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर गई। इस हंगामे में चार पुलिसकर्मी घायल हो गए।
घटना मंगलवार रात साढ़े 10 बजे विजय चौक इलाके की है। पुलिस के अनुसार, भीड़ ने एक फेसबुक पोस्ट पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए वाहनों पर पथराव किया और बैनर और होर्डिंग तोड़ डाले।
इस बीच हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में इंस्पेक्टर सुर्वे सहित चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। उस्मानाबाद सिटी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर सुरेश बुधवंत ने पीटीआई को बताया, “भीड़ ने विजय चौक इलाके में एक होर्डिंग, एक पुलिस वाहन और एक ऑटो-रिक्शा में तोड़फोड़ की। भीड़ को रोकने की कोशिश में एक अधिकारी समेत चार पुलिसकर्मी घायल हो गए।”
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 333 (लोक सेवक को गंभीर चोट पहुँचाना), 353 (हमला या लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत 44 लोगों के खिलाफ नामजद और 150 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
उस्मानाबाद के एक स्थानीय न्यूज पोर्टल ‘उस्मानाबाद लाइव‘ के अनुसार, यह सब मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा शुरू किया गया, जब उन लोगों ने नवरात्रि के दौरान चौक पर फहराए गए एक हिंदू धार्मिक ध्वज को हटाकर वहाँ अपने धार्मिक त्योहार के दिन अपना झंडा लगा दिया। इससे दोनों समूहों के बीच तनाव पैदा हो गया, जिसके बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट के बहाने कट्टरपंथियों की भीड़ ने पथराव और तोड़फोड़ किया।
हमने पहले भी बताया था कि कट्टरपंथी इस्लामिस्ट किस तरह से हमले, हत्या, आगजनी और बर्बरता को सही साबित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। फिर चाहे फेसबुक पोस्ट को लेकर बेंगलुरू में हुआ दंगा हो या फिर बांग्लादेश में हिंदुओं पर टारगेटेड अटैक। हर बार कट्टरपंथी फेसबुक पोस्ट के बहाने अपनी हिंसा को सही ठहराने की कोशिश करते हैं।