महाराष्ट्र के पालघर में एक बार फिर से साधुओं की मॉब लिंचिंग होते-होते रह गई। वनगाँव इलाके में भिक्षा माँग रहे साधुओं को भीड़ बच्चा चोर समझकर घेरने लगी थी। इस बात की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुँची पुलिस ने भीड़ को समझा बुझा कर हिंसा की संभावित घटना को रोक लिया और साधुओं की जान बचा ली।
पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, वनगाँव के चंद्रनगर गाँव में 2 साधु भिक्षा माँग रहे थे। इस बीच गाँव में साधुओं के वेश में बच्चा चोरों के आने की अफवाह फैल गई। ग्रामीणों ने दोनों साधुओं को घेर लिया। इस बीच पुलिस को इस बात की जानकारी मिली। ग्रामीण साधुओं के साथ मारपीट कर पाते, इसके पहले ही पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने गाँव वालों को समझाया और साधुओं को भीड़ से निकाल कर पुलिस स्टेशन ले गई।
बता दें कि तीन साल पहले अप्रैल 2020 में पालघर के गढ़चिनचले गाँव में मुंबई से गुजरात जा रहे बुजुर्ग साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने घेर कर हत्या कर दी थी। 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने बच्चा चोर होने का शक में साधुओं की बेरहमी से पिटाई की थी। जबकि साधु स्थानीय लोगों से सही रास्ता पूछने की कोशिश कर रहे थे। भीड़ से बचने के लिए बुजुर्ग नागा साधु पुलिस स्टेशन में भी छिपने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पुलिस ने भी उस वक्त साधुओं को भीड़ के हवाले कर दिया था। उस वक्त महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) एनसीपी और कॉन्ग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार थी। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे।
पालघर के एसपी बाला साहेब पाटिल ने कहा है कि पालघर में 2020 में हुई घटना से शिक्षा लेते हुए हमने जन सम्मान पहल शुरू की है। इसके तहत पुलिसकर्मी गाँवों का दौरा कर लोगों से बातचीत करते हैं। उनकी समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते हैं। ऐसा होने से ग्रामीण भी खुलकर अपनी बात पुलिस के सामने रखते हैं। इस घटना में भी यही हुआ। जैसे ही भीड़ ने साधुओं को घेरना शुरू किया। स्थानीय लोगों में से ही किसी ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी। इससे एक अप्रिय घटना होते-होते रह गई।