महाराष्ट्र सरकार ने देश में जारी लॉकडाउन के बीच कोरोना महामारी से जूझ रहे डॉक्टरों के वेतन में कटौती कर दी है। बताया जा रहा है कि राज्य की उद्धव सरकार ने लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के बाद यह फैसला लिया है। हालाँकि महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर डॉक्टरों ने असंतोष व्यक्त किया है, साथ ही कहा है कि इससे उनके काम पर असर पड़ेगा।
‘मुंबई मिरर’ की खबर के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले के तहत कुछ विभागों में 50 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। इसके कारण मुंबई महा नगरपालिका की ओर से चलाए जाने वाले अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
Those risking their lives in the battle against #coronavirus don’t deserve this treatment, say doctors’ associations#coronavirus #coronavirusinindia #CoronaOutbreak #Coronawarriors @OfficeofUT https://t.co/5CzshMKa4i
— Mumbai Mirror (@MumbaiMirror) May 18, 2020
इस पर महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल अफ़सरों की एसोसिएशन की उत्तरी इकाई के अध्यक्ष जरमान सिंह पदवी ने कहा, “मैं 20 साल से स्वास्थ्य विभाग में पूरी मेहनत के साथ काम कर रहा हूँ। मार्च के महीने में मेरी सैलरी 50 फ़ीसदी कटी और अभी तक अप्रैल की सैलरी तक नहीं मिली है।”
पदवी ने आगे कहा, “एक ओर हमें कोरोना महामारी के ख़िलाफ़ लड़ने पर फ़्रंटलाइन योद्धा कहा जाता है और दूसरी ओर हमारी सैलरी में कटौती की जाती है, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि डॉक्टरों के पास फिलहाल इतना समय नहीं है कि वे विभाग या सरकार के साथ इस मुद्दे पर संघर्ष कर सकें।”
इस बारे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) मनोज सौनिक ने कहा कि सभी विभागों के सभी कर्मचारियों की सैलरी में मार्च से ही कटौती की जा रही है। वहीं महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष राहुल वाघ ने कहा कि मुंबई शहर में डॉक्टर्स की सैलरी में 30 से 40 फ़ीसदी की कटौती की गई है।
ठाणे जिले में काम करने वाले एक रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा, “मैं हर महीने 15 हज़ार रुपए किराया देता हूँ। दूसरी ओर सब्जियाँ और जरूरत की दूसरी चीजें बहुत महँगी हो चुकी हैं। मुझे अपने बूढ़े माता-पिता की भी देखभाल करनी होती है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा सैलरी में कटौती करने से डॉक्टर्स का मनोबल गिरा है।”
MARD के सियोन यूनिट के अध्यक्ष डॉ. अविनाश साकुरे ने कहा, “प्रत्येक डॉक्टर को स्टाइपेंड के तौर पर 55,000 रुपए मिलते हैं और बीएमसी ने इसमें भी टैक्स और कुछ अन्य चीजों के लिए कटौती कर दी है।”
रायगढ़ में काम करने वाले एक दूसरे डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर ‘मुंबई मिरर’ को बताया, “मुझे अपना ख़र्चा चलाने के लिए बचत में से कटौती करनी पड़ रही है। सरकार द्वारा डॉक्टरों सैलरी कम करने से हमारे काम पर असर पड़ रहा है और महामारी के ऐसे समय में हड़ताल करना भी ठीक नहीं रहेगा।”
बता दें कि ऐसे समय में, जब राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या सबसे अधिक तेजी से बढ़ रही है कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे डॉक्टरों की सैलरी में कटौती करने से डॉक्टरों के मनोबल में गिरावट आना स्वाभाविक है। इसलिए राज्य सरकार के लिए यह फैसला चिंता का कारण होना चाहिए।
गौरतलब है कि देश में सबसे अधिक कोरोना के मरीज महाराष्ट्र राज्य में ही हैं। वहीं मुंबई में यह महामारी तेजी से फैल रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 1198, जबकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या 33053 हो गई है।
राहत की बात यह कि अब तक राज्य में 7688 मरीज अस्पतालों से ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। अगर बात करें मुंबई शहर की अकेले मुंबई में 20 हज़ार से अधिक कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं।