महाराष्ट्र के सोलापुर जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों की सूचना स्थानीय अधिकारियों को देने पर एक व्यक्ति की पिटाई कर दी गई। रिपोर्टों के मुताबिक 56 वर्षीय एक व्यक्ति ने पिंपड़ी में ‘ग्रामसेवक’ को सूचना दी कि यहॉं के सात लोग दिल्ली गए थे। वहॉं निजामुद्दीन में जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए और हाल में गॉंव लौटे हैं। उसने इनका कोरोना वायरस टेस्ट कराने पर भी जोर दिया। इससे नाराज जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने उसकी मंगलवार को पिटाई कर दी।
पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है। सोलापुर के एसपी मनोज पाटिल ने बताया कि इन सात लोगों की जाँच रिपोर्ट में संक्रमण नहीं होने की पुष्टि हुई है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने सभी सात लोगों की जाँच कराई। सभी की रिपोर्ट में उन्हें कोरोना वायरस ना होने की पुष्टि हुई है।’’
उल्लेखनीय है कि जमात का निजामुद्दीन स्थित मरकज कोरोना संक्रमण का एपिक सेंटर बनकर उभरा है। यहॉं ठहरे कई लोग संक्रमित पाए गए हैं। अब देश भर में यहॉं से निकले लोगों की तलाश की जा रही है ताकि उनकी जॉंच की जा सके। लेकिन, लोग न केवल वहॉं जाने की जानकारी छिपा रहे हैं बल्कि अस्पतालों में भी बदतमीजी कर रहे हैं। गाजियाबाद के अस्पताल में जमात के लोगों ने नर्सों के साथ बदसलूकी की। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में जॉंच में इनके द्वारा आनाकानी किए जाने पर पुलिस की तैनाती करनी पड़ी।
गुरुवार (अप्रैल 2, 2020) को बेंगलुरु के सादिक मोहल्ले में कोरोना संक्रमण के लक्षणों के बावत जाँच पड़ताल करने और नमूने लेने के लिए पहुँची नर्स और आशा कार्यकर्ता पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया था। महिला ने हमले की वजह मस्जिद से हुए अनाउंसमेंट को बताया। कर्नाटक की आशा कार्यकर्ता कृष्णावेणी ने कहा कि उन पर बेंगलुरु के ब्यातारायनपुरा में उस वक्त हमला हुआ था जब वे कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ डाटा संग्रहित कर रहीं थी। उन्होंने कहा, “परेशानी उस वक्त शुरू हुई जब हमारे खिलाफ मस्जिद से अनाउंसमेंट किया गया, जिसने भी यह अनाउंसमेंट किया उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
गौरतलब है कि इससे पहले इंदौर के टाटपट्टी बाखल में बुधवार को कोरोना संक्रमितों की जाँच करने पहुँची स्वास्थ्य विभाग की टीम पर मुस्लिम भीड़ ने पथराव कर दिया था। स्वास्थ्यकर्मी जान बचाकर भागे। उपद्रवियों ने बैरिकेड्स भी तोड़ दिए। पुलिस ने इनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा का केस दर्ज किया है। जाँच टीम में दो महिला डॉक्टर भी शामिल थीं। हमला करने वालों पर अब राज्य सरकार रासुका के तहत कार्रवाई करेगी।
इसी तरह अहमदनगर में भी मरकज में शामिल हुए लोगों के सम्पर्क में आने वालों का डाटा जुटाने गई मेडिकल टीम पर हमला हुआ। हमले की वजह यह शक बताया जा रहा कि मेडिकल टीम नागरिकता संशोधन और एनआरसी के लिए आँकड़े जुटा रही है, जबकि स्वास्थ्य टीम केवल उन लोगों की जानकारी जुटाने में लगी थी जिनके कोरोना संक्रमित होने या कोरोना संक्रमित के सम्पर्क में आने की आशंका थी।