दिल्ली में मजनू का टीला के पास से अवैध अतिक्रमण हटाने का मामला इस समय गरमाया हुआ है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश पर डीडीए ने यमुना किनारे झुग्गी बनाकर रह रहे लोगों को हटने के लिए कहा है। इनमें कई पाकिस्तानी हिंदू परिवार भी हैं। लंबे समय से ये लोग यहाँ अपना घर बनाकर रहते हैं लेकिन अब ये कहाँ जाएँगे ये सवाल खड़ा हो गया है। क्षेत्र में एक गुरुद्वारा भी है। कोर्ट में जो मसला गया है उसमें ये आरोप हैं कि इसी गुरुद्वारे के दक्षिणी इलाके में अतिक्रमण हो रखा है।
किन बिंदुओं पर जारी हुआ आदेश
जानकारी के मुताबिक, पूरे मामले को जगदेव नाम के शख्श ने ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाया था। अब उनकी मृत्यु के बाद उनके कानूनी उत्तराधिकारी विनायक खत्री मामला लड़ रहे हैं। सामने आई रिपोर्ट से पता चलता है कि शिकायत के मुख्य तीन कारण हैं:
- मजनू के टीले के पास बने गुरुद्वारे के दक्षिणी क्षेत्र में यमुना तल पर किया गया अतिक्रमण।
- पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई, जिससे यमुना नदी के सिस्टम, बाढ़ के मैदान की समग्रता नष्ट हो रही है और क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव आ रहा है।
- इसके अलावा झुग्गी में रहने वाले लोगों ने आउटर रिंग रोड के आसपास अपने स्टॉल लगा लिए हैं जिससे ट्रैफिक जाम होता है और जो भी कचड़ा या गंद वहाँ से निकलता है वो यमुना नदी में डाला जाता है, जो कि ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है।
NGT के निर्देश
इस मामले में दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बारे में जानकारी दी है। इसमें बताया गया की एनजीटी ने अपने निर्देशों में बताया था कि उनके समक्ष डीडीए द्वारा मामले की रिपोर्ट 2019 में जमा की गई थी, जिसमें अवैध कब्जे की बात को स्वीकार किया गया था। इसमें कहा गया था कि इन इलाकों में पाकिस्तानी हिंदू रहते हैं जो वीजा पीरियड खत्म होने के बाद भी भारत में रह रहे हैं। इसमें ये भी जानकारी भी दी गई थी कि केंद्र सरकार इनके स्टे को बढ़ाने के लिए विचार कर रही है।
हालाँकि, NGT ने कहा कि ये मामला न्यायाधिकरण के समक्ष विचार का विषय है, पर ट्रिब्यूनल के सामने जो मसला है वो यमुना नदी के मैदान, जंगल, पेड़ और बाकी पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर है। नदी के बाढ़ के मैदानों पर कब्ज़ा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इस तरह के कब्ज़े से नुकसान हो सकता है। एनजीटी के निर्देशों में कहा गया है कि नदी के पास बाढ़ वाले मैदान से अतिक्रण हटाया जाए और पेड़, जंगल, पर्यावरण को संरक्षित किया जाए।
इस पूरे मामले में एनजीटी ने 30 जुलाई 2019 को जारी किए गए अपने आदेश में डीडीए को नोडल एजेंसी नियुक्त किया था। अब उन्होंने ही पाकिस्तान से आए हिंदू परिवार समेत उन सभी लोगों को नोटिस भेजा है जो उस भूमि पर घर बनाकर रहे हैं। गुरुवार को इन्हें जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं।
रहने का इंतजाम हो भी जाए तो, लेकिन जीविका का क्या?
मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि इनके रहने के लिए रैन बसेरों का इंतजाम किया गया है जहाँ ये शिफ्ट होंगे। मगर सवाल वही उठ रहा है कि इतने लंबे से एक जगह पर अपना घर बनाकर रहने वाले 160 पाकिस्तानी हिंदू के परिवार, भारत के स्थायी निवासी नहीं हैं। इनके लिए ये देश अलग है जहाँ ये सहारा लेने आए थे और जहाँ जगह मिली वहीं इन्होंने अपने सारे काम शुरू कर दिए।
अब इनके एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के चक्कर में जो उनकी जीविका व अन्य चीजें प्रभावित होंगी… उसका क्या समाधान है। ये लोग फिलहाल मजनू के टीले के आसपास स्टॉल लगाकर या कोई काम करके अपना गुजारा करते हैं उन्हें दूसरी जगह जाने पर फिर वहीं संघर्ष करने होंगे जो उन्होंने भारत आने के बाद परिवार पालने के लिए किए थे।
मजनू का टीले से अलग करके इन्हें जो आश्रय स्थान देने की व्यवस्था की जा रही है वो गृह ब्लॉक 10, गुरुद्वारा गीता कॉलोनी, आश्रय गृह सेक्टर 3, फेज-1, द्वारका में हैं।