कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में मथुरा के सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मंदिर-ईदगाह के स्थान में कोई बदलाव नहीं होगा। याचिका में मंदिर के पास बनी ईदगाह को हटाने की माँग की गई थी।
अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। मथुरा सिविल जज सीनियर डिवीजन में श्रीकृष्ण विराजमान का वाद दायर करने वाले हरिशंकर जैन, विष्णु जैन व रंजना अग्निहोत्री ने कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में याचिका दाखिल की थी।
Mathura court refuses to admit plea seeking to remove the mosque, situated adjacent to Krishna Janmabhoomi, citing the Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991.
— ANI UP (@ANINewsUP) September 30, 2020
बता दें कि मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक माँगा गया था। इसके साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई। इससे पहले 28 सितंबर को हुई संक्षिप्त सुनवाई में एडीजी छाया शर्मा ने मामले को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर एक दावा 25 सितंबर को अदालत में प्रस्तुत किया था।
याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया। इस याचिका के माध्यम से कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व माँगा गया। याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप दिया गया है। अब श्रीकृष्ण की मुख्य जन्मभूमि और जो इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में मेंशन किया है, उसके नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल कोर्ट में डाला गया है।
हालाँकि, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इस मामले के आड़े आ रहा है, जिसमें विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी, लेकिन मथुरा काशी समेत सभी विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया था। इस एक्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था वो आज, और भविष्य में भी उसी का रहेगा।
पिछले साल 9 नवंबर को अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए SC की पाँच जजों की बेंच ने ऐसे मामलों में काशी मथुरा समेत देश में नई मुकदमेबाजी के लिए दरवाजा बंद कर दिया था। हालाँकि इस संबंध में वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से हिंदू समूह ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कानून की वैधता को चुनौती दी है। लेकिन अयोध्या मामले में SC ने कहा था कि अदालतें ऐतिहासिक गलतियाँ नहीं सुधार सकतीं।
सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होने के बाद काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा गया था।