सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र केरल के एक अल्पसंख्यक कॉलेज द्वारा कॉलेज में बुर्क़ा पहनकर आने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया था। इस प्रतिबंध पर कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया था। इस संदर्भ में एक और खबर सामने आई है कि मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी (MES) के अध्यक्ष पी ए फ़ज़ल गफ़ूर को मारने की धमकी मिली है। इस बाबत उन्होंने केरल के कोझिकोड में पुलिस स्टेशन में शिक़ायत दर्ज की है।
Kerala: MES President Dr PA Fazal Gafoor has filed a police complaint in Kozhikode alleging that he has received a death threat after Muslim Education Society (MES) issued a circular banning girl students from covering their faces in colleges.
— ANI (@ANI) May 4, 2019
श्री लंका में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाने की बात चल ही रही थी कि इसी बीच केरल के एक अल्पसंख्यक कॉलेज ने बुर्क़ा पहनकर आने पर पाबंदी लगाने से संबंधित सर्कुलर जारी किया गया था। ख़बर के अनुसार, केरल के मलप्पुरम में चल रहे इस अल्पसंख्यक कॉलेज में बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह कॉलेज मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित है। इस सर्कुलर के ख़िलाफ़ कुछ स्थानीय संगठनों ने आपत्ति दर्ज की।
Kerala: Muslim Education Society (MES) has issued a circular banning girl students from covering their faces in colleges.
— ANI (@ANI) May 2, 2019
ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र यह फ़ैसला लिया गया है, इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। ज्ञात हो कि अभी कुछ रोज पहले श्री लंका में आतंकी हमला हुआ था जिसमें 300 से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बर थी और लगभर 500 लोग घायल हुए थे। वहाँ की सरकार ने पहचान छिपाने वाले हर तरह के कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला लिया था।
इसी के मद्देनज़र शिवसेना ने अपने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में बाक़ायदा संपादकीय लेख के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से भारत में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी। शिवसेना की इस माँग का समर्थन भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ने भी किया था, लेकिन सरकार ने इस पर कोई गंभीरता न दिखाते हुए इस माँग को ख़ारिज करना उचित समझा। बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ‘सामना’ के संपादकीय पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करते हुए कहा कि इस तरह के प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं है। बीजेपी के अलावा एनडीए के ही एक अन्य सहयोगी रामदास आठवले ने शिवसेना की माँग को एक सिरे से ख़ारिज किया। उनका कहना था कि यह एक परंपरा का हिस्सा है, जिस पर प्रतिबंध लगाने की ज़रूरत नहीं है।
शिवसेना की माँग पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा ऐतराज़ जताया। उन्होंने कहा कि यह हमारा मानवाधिकार है जोकि संविधान में निहित है। सभी पर हिन्दुत्व नहीं लागू किया जा सकता। हो सकता है कि कल को यह कह दिया जाए कि आपके चेहरे पर दाढ़ी ठीक नहीं है, टोपी मत पहनिए।