हरियाणा के मेवात जिले में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं के क्रम में आज मामला- 24 वर्षीय राहुल का है। राहुल पर 21 अप्रैल 2020 को उसके गाँव उलेटा में मुस्लिम समुदाय के अनीश सहित कुछ लड़कों ने जानलेवा हमला बोला। जब उसका परिवार उसे बचाने गया, तो उन लोगों ने परिवार के सदस्यों पर भी हमला किया। इस पूरी घटना के दौरान राहुल के घर की महिलाओं पर भी मुसीबत टूट पड़ी और पुरुषों से भी मारपीट हुई।
स्थानीय सूत्रों की मदद से ऑपइंडिया ने जब मेवात के हालातों के मद्देनजर राहुल के चाचा जसवंत को संपर्क किया, तो उन्होंने अपने परिवार की आपबीती हमसे साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे एक मजदूर परिवार का उलेटा गाँव में बहुल आबादी के लोगों ने जीना मुहाल कर दिया है। कैसे उन्हें जातिसूचक शब्द बोलकर घृणित महसूस कराया जाता है। कैसे उनकी शिकायत पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं होती। कैसे उन्हें आए दिन घुट-घुटकर जीना पड़ता है।
जसवंत बताते हैं, “कुछ समय पहले हमारे भतीजे ने अनीश नाम के लड़के को 6000 रुपए में अपना मोबाइल बेचा था। उस समय अनीश ने राहुल को सिर्फ़ 4000 रुपए दिए। जिसके कारण राहुल ने उसे फोन का बिल नहीं दिया। राहुल चाहता था कि एक बार 2000 हजार रुपए मिल जाएँ, तो वह अनीश को बिल भी दे देगा। वरना पता नहीं पैसे मिले या न मिले।”
राहुल के चाचा के मुताबिक, 21 अप्रैल को जब राहुल अपने घर से बाहर निकला तो अनीश ने रास्ते में उसे रोका और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए बिल की माँग की। जब राहुल ने कहा कि वे उसे उसके 2000 रुपए लौटा दे, तो वह बिल भी तुरंत लाकर दे देगा। राहुल की ये बात कहते ही लड़ाई शुरू हो गई। थोड़ी देर बाद अनीश ने राहुल का कॉलर पकड़ा और मुस्लिम बहुल आबादी के लड़कों के साथ मिलकर उसपर हमला बोल दिया।
जसवंत कहते हैं कि इस दौरान गाँव के कुछ वरिष्ठों ने भी उनके लिए जातिसूचक शब्द बोले और उसे मारने-पीटने को बोला। मगर, जब चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर उसके घर के लोग मौके पर पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि वहाँ उनका घर का लड़का ही पीटा जा रहा था।
जसवंत कहते हैं, “हमारे घर के लोगों ने जब राहुल को बचाने का प्रयास किया। तो हमारे साथ भी मारपीट हुई और हमारे घर की महिलाओं को भी मारा गया। कुल 4 पुरुष और तीन महिलाओं के साथ मारपीट हुई। इसी बीच हमारे भाई की पत्नी को भी दो लोगों ने पकड़ा और उसे कमरे में अंदर ले जाने लगे। मगर, भला हो गाँव के कुछ लोगों का, जिन्होंने सही समय में आकर हम सबको उनसे बचाया। वरना उस दिन पता नहीं क्या हो जाता।”
3 बच्चों के पिता जसवंत बताते हैं कि कम से कम 350 मुस्लिम घरों के बीच में 30-35 हिंदू परिवार वाले इस गाँव उलेटा में हिंदुओं का पिटना बहुत ज्यादा आम है। लोगों में बहुल आबादी का इतना खौफ है कि वे थाने जाने में भी हिचकते हैं। उनके मन में मानो बैठ गया है कि उनके पक्ष में कार्रवाई नहीं होगी। जसवंत अपनी आपबीती सुनाते हुए कहते हैं कि अगर आज हमें कहीं 12X12 का कमरा कोई रहने को दे दे, तो हम आज सपरिवार इस जगह को छोड़ने को तैयार हैं।
उलेटा का यह मजदूर अपनी मजबूरी सुनाते हुए कहता है कि गाँव का सरपंच तक उनसे उनका हाल नहीं लेता। इस बार तो ऐसा हुआ है कि कोई भी इस बारे में बात तक पूछने नहीं आया। बल्कि बदले में उन्हें गाँव के रसूखदार शख्स ने यह बोला कि यहाँ रहना है तो उनके जूती के नीचे रहना पड़ेगा।
जसवंत के अनुसार, उनकी स्थिति मेवात में बहुत ज्यादा खराब है, “आए दिन लड़ाई-झगड़ा हो जाता है। अब 21 अप्रैल वाली घटना में ही देखिए, बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने हमारा मामला उपयुक्त धाराओं के साथ एससी/एसटी एक्ट के तहत 23 अप्रैल को दर्ज किया। लेकिन 30 अप्रैल तक हमारे केस से एससी/एसटी एक्ट को हटा दिया गया। वहीं 5 आरोपितों को भी रियायत मिल गई। हमारी माँग बस यही है कि FIR में हरिजन एक्ट लगाया जाए।” वे कहते हैं कि उन्होंने मामले में एक्ट हटाने से असंतुष्ट होने के कारण दूसरे डीएसपी से कार्रवाई की माँग भी की थी। जिसके बाद उनके मामले की तफ्तीश पुन्हाना डीएसपी विवेक चौधरी को सौंपी गई।
धारा हटाने की वजह पूछने पर जसवंत ने बताया कि उनके परिवार के लोगों ने अपने मामले में सबूत के तौर पर एक वीडियो पेश की थी। लेकिन बाद में उसी वीडियो को देखते हुए उनके केस से sc/st एक्ट हटा दिया और कहा गया कि ये मामला झगड़े का है। इसमें कोई गलत शब्द (जातिसूचक) नहीं है। जबकि जसवंत कहते हैं कि उन लोगों ने पहले ही ये बात साफ कर दी थी कि वो वीडियो सिर्फ़ इसलिए बनाई थी, ताकि पता चल सके कि कितने लोगों ने हमला किया।
ऑपइंडिया ने SC/ST एक्ट हटाए जाने पर किया पुलिस को संपर्क
ऑपइंडिया ने जब आरोपों की पुष्टि के लिए नगीना थाने में संपर्क किया। तो, SHO रमेश चंद्रा ने बताया कि राहुल के केस की जाँच फिरोजपुर झिरका के डीएसपी वीरेंद्र कर रहे थे। मगर, अब यह जाँच पुन्हाना डीएसपी विवेक चौधरी के पास है।
इसके बाद हमने धारा हटाने की वजह जानने के लिए फिरोजपुर झिरका डीएसपी को संपर्क किया। मगर, जैसे ही हमने उनसे मामले के बारे में पूछा, तो दूसरी ओर से कॉल डिस्कनेक्ट हो गई। इसके बाद हमने उनसे फिर संपर्क करने का प्रयास किया। मगर, हमारी कॉल नहीं रिसीव की गई।
फिर, हमने डीएसपी पुन्हाना विवेक चौधरी को संपर्क किया। उन्होंने ऑपइंडिया को इस बातचीत में बताया कि राहुल के केस में दोबारा से SC/ST एक्ट लगा दी गई है। इसके अलावा वेलफेयर ऑफिसर को भी पत्र लिख दिया गया है। मामले में चार्जशीट भी फाइल हो गई है।
डीएसपी विवेक चौधरी के बयान और पीड़ित परिवार के बयानों में विरोधाभास पाते हुए हमने इस संबंध में जसवंत को फिर संपर्क किया। हमने उनसे पूछा कि क्या उन्हें एस/एसटी एक्ट दोबारा लगने के बारे में जानकारी नहीं है?
तो उन्होंने बताया, हम बहुत बार थाने गए। पूछताछ की। लेकिन हमें इस बारे में पता नहीं चला। हालाँकि, बाद में डीएसपी विवेक चौधरी से बात करके जसवंत ने स्वयं पुष्टि की अब मामले में SC/ST एक्ट जोड़ दी गई है। इसके बारे में स्वयं डीएसपी ने उन्हें बताया।
10-12 साल पहले भी हुआ था झगड़ा
43 वर्षीय जसवंत कहते हैं कि उन्होंने 1992 के बाद से अब तक अपने गाँव में ऐसे अत्याचार के कई मामले देखे हैं। इनमें करीब 20 बार तो उनका परिवार इन अत्याचारों का भुक्तभोगी रहा है। वे बताते हैं कि 10-12 साल पहले भी उनकी इसी परिवार से लड़ाई हुई थी।
तब खेत जाते समय उनके परिवार यानी दलित घर की लड़कियों के ऊपर गंदा पानी डाल दिया गया था। मगर, जब इस बदसलूकी का विरोध करते हुए उनसे पूछा गया कि ये क्या हरकत है, तो उन्होंने अपनी गलती नहीं मानी और बदले में बहस करने लगे।
इसके बाद मुस्लिम परिवार ने अपने यहाँ आई एक पाँच महीने गर्भवती महिला के गर्भ गिरने का इल्जाम जसवंत के परिवार पर लगा दिया और उनके परिवार खिलाफ़ भ्रूण हत्या का मामला दर्ज करवाने की पूरी कोशिश की। बहुत प्रयासों के बाद इन लोगों ने गाँव वालों की मिन्नतें कर करके, गवाह इकट्ठा कर करके उस केस से अपना पीछा छुड़ाया। इस मामले में उनके परिवार के 50 हजार रुपए खर्च हो गए थे। जसवंत कहते हैं कि इतने साल हो गए ये सब झेलते-झेलते, उन लोगों को इन सबका कोई उपाय नहीं दिखता, इसलिए वे अब अपने बच्चों को पढ़ाते-लिखाते हैं, ताकि आगे वे ये सब न झेलें।
मामले में राहुल ने करवाई थी FIR
बता दें, जसवंत ने ऑपइंडिया से बातचीत के बाद राहुल के साथ हुई मारपीट मामले में दर्ज एफआईआर को भी साझा किया। जिसमें केस से जुड़ी सभी बातों का उल्लेख है।
एफआईआर में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि 21 अप्रैल 2020 को हुई इस घटना में तारिफ, वारिस, वाजिद, मोमिन अनीश, युसुफ, मुस्तुफा, आदिल, इस्लाम, अलीम, मजलिस, आरिफ, रुकसिना, ताहिरा, मिमकिना ने मिलकर उसपर व उसके परिवार पर जानलेवा हमला किया। साथ ही उनकी जाति को लेकर उनपर बार-बार टिप्पणी की। मगर, अन्य ग्रामीणों के आने से मामला काबू में आया। बाद में पास के अस्पताल में जाकर इन लोगों ने अपनी मेडिकल जाँच कराई।
23 अप्रैल को शाम 7:05 पर दर्ज एफआईआर में एफआईआर में राहुल ने बताया है कि उसपर इस घटना में तारीफ ने फरसे से हमला किया और अलीम ने तो बीच में ये भी कहा, “इस साले चमार को जान से मार दे मैं अपने आप देख लूँगा।” इतना ही नहीं राहुल की शिकायत के अनुसार आरोपितों ने उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी तथा जाते-जाते कहा कि आज बच गए लेकिन समय आने पर वो उन्हें मार देंगे। अगर गाँव में रहना है तो जूती के नीचे दबके रहना होगा।
इसके अलावा इस एफआईआर में ये शिकायत भी है कि साल के 6 महीनों में आरोपित उनसे झगड़ा करते रहते हैं। बाद में दबाव बनाकर फैसला करवा लेते हैं। इसलिए, अब वे लोग बस इतना चाहते हैं कि आरोपितों पर पहली बात तो कार्रवाई हो और दूसरा उनके जान-माल की रक्षा की जाए। वरना इन सब घटनाओं के कारण उन्हें मजबूरन अपना गाँव छोड़ना होगा।
CM खट्टर के पास शिकायत लेकर पहुँचा था पीड़ित परिवार, नहीं हो पाई मुलाकात
गौरतलब है कि मेवात में हिंदुओं पर होते अत्याचारों के मद्देनजर मुख्यमंत्री खट्टर ने कल दो समूह के लोगों के साथ मिनी सचिवालय में एक बैठक की थी। जहाँ जसवंत भी अपने परिजनों के साथ अपनी शिकायत लेकर पहुँचे। लेकिन, उनके कहे मुताबिक, सीएम ने उन लोगों से मुलाकात नहीं की और अंदर बैठे लोगों से बात करके चले गए। इसके बाद जसवंत और उनके साथ के सभी लोग सुबह 9 बजे से सचिवालय के बाहर इंतजार करते-करते शाम को घर लौटे।
बता दें, मुख्यमंत्री खट्टर भले ही बाहर इंतजार में बैठे लोगों से नहीं मिल पाए। लेकिन शाम तक मीडिया में उनकी घोषणाओं की खबरें आ गईं। जिनसे हिंदूवादी संगठनों में काफी संतोष देखने को मिला। विश्व हिंदू परिषद ने इसे हिंदू समाज की विजय बताया। साथ ही उम्मीद की घोषणाओं पर जल्द अमल किया जाएगा।