मेवात के नगीना में एक गाँव है- उलेटा। इस गाँव के सरपंच का नाम अलीम है। अलीम पुत्र मकसूद पर आरोप है कि उसने अपने गाँव के दलितों व गरीब तबके के लोगों के साथ धोखाधड़ी की। अलीम ने बड़ी चालाकी से कुछ समय पहले अपने गाँव के लोगों को सुविधाओं का झाँसा देकर उनसे उनके पहचान पत्र आदि की कॉपी इकट्ठा कर ली। फिर उसकी मदद से उनके नाम पर फर्जी मनरेगा जॉब कार्ड और बैंक अकॉउंट बनवा लिए और बाद में बिना उनको सूचित किए उससे लाखों की ट्राजेक्शन करवाता रहा।
ऑपइंडिया को जब इस संबंध में सूचना मिली तो हमने अलीम की धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों से बात की। हमारा संपर्क उलेटा निवासी जसवंत व हकीमुद्दीन से हुआ। दोनों ग्रामीणों ने हमें बताया कि गाँव का सरपंच अलीम उनके व उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर जॉबकार्ड बनवाकर हजारों रुपए निकलवाता रहा और उन्हें लंबे समय तक इस बारे में पता भी नहीं चला।
जब उन्हें इस बारे में भनक लगी तो उन्होंने सच्चाई जानने की कोशिश की। साइबर कैफे से उन्होंने अपने नाम के जॉब कार्ड निकलवाए। जिससे पता चला कि उनके नामों पर फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा था और पैसे भी निकाले जा रहे थे। जबकि उन्होंने तो कभी मनरेगा स्कीम के तहत कोई काम ही नहीं किया था।
उलेटा निवासी जसवंत कहते हैं कि उन्हें सबसे पहले उनके जॉब कार्ड के बारे में 1 जून को पता चला था। इससे पहले सरपंच ने उनसे और गाँव के अन्य लोगों को यह कहा था कि नए बीपीएल बन रहे हैं और इसके लिए ग्रामीणों को अपने पहचान पत्र से जुड़े सभी दस्तावेज देने होंगे।
ग्रामीण के अनुसार उन्होंने सरपंच पर यकीन किया और बीपीएल के नाम पर सभी लोगों ने अपने दस्तावेज उन्हें दे दिए। लेकिन सरपंच ने उन आईडी नंबर का इस्तेमाल करके उनके नाम पर फर्जी जॉबकार्ड बनवा दिए। फर्जी से मतलब वो जॉबकार्ड जिनमें नाम तो पहचान पत्र वालों का ही रखा गया। मगर तस्वीर किसी ऐसे इंसान की चिपकाई गई जिन्हें गाँव के लोग भी नहीं जानते।
जसवंत आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इन सबके पीछे ब्लॉक वालों की मिलीभगत और बैंक मैनेजर का भी इसमें हाथ है, जिसके कारण उन्होंने बैंक के हेडक्वार्टर में शिकायत भेजी है। वे बताते हैं कि उन्होंने इस मामले में दरख्वास्त बनवाई थी। इस दरख्वास्त में उन्होंने सरपंच, ब्लॉक सेक्रेट्री, बैंक मैनेजर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इन सबने मिलीभगत करके इस फर्जीवाडे को अंजाम दिया है।
जसवंत के अनुसार, इस मामले के मद्देनजर शिकायत के बाद उन्हें बीडीओ ऑफिस भी बुलाया गया था। उन्होंने वहाँ बयान दिया था कि उन्होंने कभी भी मनरेगा जैसी योजना के तहत काम नहीं किया है और न ही कभी बैंक में खाता खुलवाया। उन्होंने वहाँ ये भी बताया कि सरपंच ने उन्हें सुविधाओं की लालच देकर उनकी आईडी ली थी। जिसका उसने गलत इस्तेमाल किया।
जसवंत ने हमारे साथ दरख्वास्त की कॉपी और जॉब कार्ड भी साझा किए। इन प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि सरपंच की ऐसी हरकतों से वह लोग कितने त्रस्त हो चुके हैं। अभी कुछ दिन पहले जसवंत के भतीजे व परिवार पर हमला भी बोला गया था। इस हमले में उनके भतीजे राहुल के सिर पर फरसे से वार हुआ था। तब, आवाज उठाने पर इसी अलीम ने उनके लिए जातिसूचक शब्द इस्तेमाल किए थे और कहा था “इस साले चमार को जान से मार दे मैं अपने आप देख लूँगा।”
यहाँ बता दें, जॉबकार्ड के फर्जीवाड़ा की कहानी सिर्फ़ जसवंत नहीं बताते बल्कि उनके ही गाँव में रहने वाले हकीमुद्दीन भी इस बात की पुष्टि करते हैं। 52 वर्षीय हकीमुद्दीन कहते हैं कि अलीम सरपंच की करतूत के बारे में उन्हें जसवंत से कुछ दिन पहले ही मालूम हुआ था।
इसके बाद उन्होंने अपना जॉब कार्ड निकलवाया। जिसे देख उन्हें ज्ञात हुआ कि बिना मनरेगा में काम किए उनके नाम पर फर्जी ढंग से जॉब कार्ड अपडेट हुआ और पैसे निकाले जाते रहे।
उनका कहना है कि उनके नाम पर खुले अकॉउंट से पहले साल 2019 के नवंबर, दिसंबर में और फिर उसके बाद 2020 में भी कुछ महीने हजारों रुपए निकाले गए।
वे कहते हैं कि उनके घर के 5 सदस्यों के नाम पर सरपंच ने 5 जॉब कार्ड बनवाए हुए हैं। जबकि भाई का परिवार भी मिलाया जाए तो कुल 10 जॉब कार्ड उनके परिवार में बनाए गए।
इस संबंध में ग्रामीणों ने थाने में अपनी दरख्वास्त दे रखी है। कुछ लोगों के कहने पर उन्होंने बैंक के हेडक्वार्टर्स में भी अपने बैंक मैनेजर के ख़िलाफ़ शिकायत दी है। उनका मानना है कि इस मामले में बिना मिलीभगत के पैसे नहीं निकाले जा सकते थे। इसलिए उन्होंने ये शिकायत की है।
इस मामले के संबंध में हमारे पास कुछ हलफनामे हैं जिनमें ठगे गए गरीबों व दलितों के बयान है। इसमें उन्होंने उलेटा ग्राम सरपंच, ग्राम सचिव तथा अन्य संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को उत्तरदायी बताया है।