गृह मंत्रालय (एमएचए) ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। मंत्रालय ने पाँच एनजीओ के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इस कार्रवाई के लिए एमएचए ने अन्य कारणों के अलावा विदेशी अनुदान के दुरुपयोग जैसे उल्लंघनों का हवाला दिया है। गृह मंत्रालय ने जिन एनजीओ के FCRA लाइसेंस रद्द किए हैं, उनमें चर्च ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन (सीएएसए) का नाम भी शामिल हैं।
गृह मंत्रालय ने चर्च ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन (सीएएसए) के साथ ही सीएनआई सिनोडिकल बोर्ड ऑफ सोशल सर्विस (सीएनआई-एसबीएसएस), वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वीएचएआई), इंडो-ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी (आईजीएसएसएस) और इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफओआई) का भी एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल किया है।
The Ministry of Home Affairs (MHA) has revoked the Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) licenses of five notable NGOs after conducting due process, citing violations such as misuse of foreign grants among other reasons.
— ANI (@ANI) April 3, 2024
The NGOs include CNI Synodical Board of Social… pic.twitter.com/2HAn3Ipqkq
इसमें से सीएनआई-एसबीएसएस की स्थापना 1970 में चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) के गठन के साथ की गई थी, जो ग्रामीण विकास क्षेत्र में काम करने वाली चर्च की आधिकारिक शाखा के रूप में कार्यरत थी। पिछले दिसंबर में गृह मंत्रालय ने दिल्ली स्थित चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) का लाइसेंस रद्द कर दिया था। अधिकारियों ने कहा कि सीएनआई और उसके सहयोगियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपों का सामना करना पड़ा, चर्च संपत्तियों के कथित दुरुपयोग के लिए सीएनआई के खिलाफ छापे मारे गए। इसके बाद चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया का FRCA लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आजादी के समय नेशनल काउंसिल ऑफ चर्च ने ‘एनसीसी रिलीफ कमेटी’ (एनसीसी) का गठन किया था, जो बाद में चर्च की ऑक्जिलरी फॉर सोशल एक्शन (सीएएसए) के रूप में विकसित हुई। रिपोर्ट के अनुसार, CASA को जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और स्वीडन सहित विभिन्न देशों से विदेशी दान प्राप्त हुआ था, जिसमें अप्रैल से जून 2023 तक FCRA योगदान विवरण में पर्याप्त राशि का उल्लेख किया गया था।
वहीं, साल 1970 में स्थापित वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (VHAI) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम किया है। ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से विदेशी अनुदान प्राप्त हुआ है, जो विशेष रूप से गुजरात के भुज भूकंप, ओडिशा के सुपर चक्रवात और कोविड -19 महामारी जैसी घटनाओं के बाद आपदा राहत प्रयासों के दौरान सक्रिय है। एक अन्य एनजीओ, इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी को जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से विदेशी धन प्राप्त हो रहा था।
इकोनॉमिक टाइम्स ने अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि पाँचवें एनजीओ, इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया का एफसीआरए नियमों का उल्लंघन करने के लिए एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।
चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया पर पिछले साल हुई थी कार्रवाई
बता दें कि पिछले साल के आखिर में गृह मंत्रालय ने देश के बड़े ईसाई संगठन ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ (CNI) एनजीओ का भी FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था। यह ईसाई संगठन पिछले पाँच दशक से भारत में ईसाइयत को फैलाने का काम कर रहा है। ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ को वर्ष 1970 में 6 अलग-अलग संगठनों को मिलाकर बनाया गया था। इसके अंतर्गत चर्च ऑफ इंडिया, पाकिस्तान, बर्मा (म्यांमार), सीलोन (श्रीलंका) के तथा कुछ अन्य ईसाई संगठनों को मिलाकर बनाया गया था।
यह उत्तर भारत में चर्च का नियन्त्रण करने वाली संस्था है। इस संस्था का दावा है कि 22 लाख लोग इसके सदस्य हैं। इसके अलावा यह भारत के 28 क्षेत्रों में अपने बिशप रखता है जो कि वहाँ के चर्च पर नियंत्रण रखते हैं। इसके अलावा ‘चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ का दावा है कि इसके पास 2200 से अधिक पादरी हैं और 4500 से अधिक चर्च इसके नियन्त्रण में हैं।
इसके अलावा पिछले साल ही सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, राजीव गाँधी फाउंडेशन, राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के नेतृत्व में) और ऑक्सफैम इंडिया जैसी उल्लेखनीय संस्थाओं सहित 100 से अधिक गैर सरकारी संगठनों ने अपने एफसीआरए लाइसेंस खो दिए थे। इस साल जनवरी में, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) ने अपने एफसीआरए लाइसेंस को कई उल्लंघनों के लिए रद्द कर दिया था।