केंद्र और RBI ने मंगलवार (सितम्बर 1, 2020) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि COVID-19 महामारी के बीच लोन के पुनर्भुगतान पर रोक (मोरेटोरियम) की अवधि को दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा महामारी से ग्रस्त अर्थव्यवस्था के बीच करदाताओं के लिए यह बड़ा तोहफा हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह महामारी के बीच रोक की अवधि के दौरान ब्याज दरों को माफ करने की याचिकाओं पर बुधवार (सितम्बर 02, 2020) को सुनवाई करेगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि ‘तनावग्रस्त’ सेक्टर्स के लिए कई कदम उठाए गए हैं और महामारी के कारण अर्थव्यवस्था 23% तक सिकुड़ गई है।
उन्होंने कहा, “हम ऐसे सेक्टर की पहचान कर रहे हैं जिनको राहत दी जा सकती है, यह देखते हुए कि उनको कितना नुकसान हुआ है।” इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब और देर नहीं की जा सकती।
पीठ ने कहा कि वह बुधवार को उन मामलों पर सुनवाई करेगी, जिनमें केंद्र सरकार द्वारा COVID-19 लॉकडाउन के बीच दी गई मोरेटोरियम अवधि में किस्तों पर लगाए जा रहे ब्याज का मुद्दा उठाया गया है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले केंद्र और आरबीआई को मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई पर ब्याज वसूलने के कदम की समीक्षा करने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि बीते मार्च माह में कोरोना संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंकों ने एक अहम फैसला लिया था। इसके तहत कंपनियों और व्यक्तिगत लोगों को राहत देते हुए लोन की किस्तों के भुगतान पर 6 महीने की छूट दी गई थी। इस सुविधा का लाभ लेते वक्त तात्कालिक राहत तो मिलती है लेकिन बाद में इस पर ज्यादा भुगतान करना होगा या नहीं, इस बात को लेकर संशय बना हुआ है।
क़िस्त भुगतान में मिलने वाली इस राहत को मोरेटोरियम कहा जाता है। ‘लोन मोरेटोरियम’ एक ऐसी सुविधा है, जिसके तहत कोरोना वायरस से प्रभावित ग्राहक या कंपनियाँ अपनी मासिक किस्त को टाल सकती हैं। अभी तक इसकी अवधि बीते कल यानी, 31 अगस्त तक रखी गई थी।