Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाजजिनको मार न सकी आतंकियों की गोली, उन्हें फटेहाली ने मारा: कसाब की पहचान...

जिनको मार न सकी आतंकियों की गोली, उन्हें फटेहाली ने मारा: कसाब की पहचान करने वाले हरिश्चंद्र श्रीवर्धनकर और देविका रोतावन की कहानी

देविका रोतावन आखिरी बार चर्चा में अगस्त 2020 में आई थी। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वजह ईडब्ल्यूएस स्कीम के तहत मकान जिसे देने का वादा महाराष्ट्र सरकार ने किया था।

हरिश्चंद्र श्रीवर्धनकर अब इस दुनिया में नहीं हैं। देविका रोतावन तंगहाली में जीवन गुजार रही हैं। वैसे तो इन दोनों में दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। लेकिन 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुआ हमला दोनों को जोड़ता है। दोनों उस हमले में जख्मी हुए थे। दोनों ने हमले के दौरान जिंदा पकड़े गए आतंकी आमिर अजमल कसाब की पहचान की थी।

तंगहाली का जीवन जी रही देविका रोतावन

देविका रोतावन आखिरी बार चर्चा में अगस्त 2020 में आई थी। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वजह ईडब्ल्यूएस स्कीम के तहत मकान जिसे देने का वादा महाराष्ट्र सरकार ने किया था। उन्होंने बताया था कि उनका पूरा परिवार भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है। लिहाजा उन्होंने घर के साथ-साथ कुछ ऐसा प्रबंध करने की गुहार लगाई थी, जिससे वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सके।

देविका की उम्र 22 साल है। जब 26/11 का हमला हुआ था वह 10 साल की थी। पुणे जाने के लिए अपने पिता और भाई के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पहुँची थी। यहीं आतंकियों की गोली उसके पैर में लगी। उसे जख्मी हालत में सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया। दो महीने के भीतर 6 सर्जिकल ऑपरेशन हुए। 6 महीने बेड पर गुजरे। स्वस्थ हुई तो कोर्ट गई और आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही दी थी। वह मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में सबसे कम उम्र की गवाह थी।

उस समय सरकार की ओर से देविका को कई तरह की सुविधाएँ देने का ऐलान किया गया था। बाद में इन्हें भूला दिया गया। देविका ने जब हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी उस समय बताया था, “पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से 10 लाख की सहायता राशि मिली थी जो मेरे टीबी के इलाज में खर्च हो गया। मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूँ लेकिन जो वादे मेरे से किए गए, वे अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं।”

आतंकी को बैग से मारने वाले हरिश्चंद्र श्रीवर्धानकर

26/11 आतंकी हमले के एक और चश्मदीद हरिश्चंद्र श्रीवर्धानकर ने भी आंतकी अजमल कसाब को कोर्ट में पहचाना था। लेकिन कुछ साल बाद वे फुटफाथ पर डेन डिसूजा नाम के एक व्यक्ति को पड़े मिले थे। 26/11 हमले के दौरान श्रीवर्धनकर को कामा अस्पताल के बाहर आतंकियों की दो गोलियाँ पीठ पर लगी थी। उन्होंने कसाब के साथी इस्माइल को अपने ऑफिस बैग से मारा भी था।

श्रीवर्धानकर की मई 2021 को मौत हो गई थी। मूलत: पश्चिम महाराष्ट्र के कोंकण जिले के रहने वाले हरिश्चंद्र खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के सेवानिवृत कर्मचारी थे। जब वे फुटपाथ पर मिले तो पता चला कि परिजनों ने उन्हें घर से निकाल दिया था और वे कई दिनों से सड़क पर पड़े थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Kuldeep Singh
Kuldeep Singh
हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब आधे दशक से सक्रिय हूँ। नवभारत, लोकमत और ग्रामसभा मेल जैसे समाचार पत्रों में काम करने के अनुभव के साथ ही न्यूज मोबाइल ऐप वे2न्यूज व मोबाइल न्यूज 24 और अब ऑपइंडिया नया ठिकाना है।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -