इस्लामिस्ट किस तरह दबाव की राजनीति और रणनीति अपनाते हैं, इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। ताजा मामला भाजपा नेता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) से जुड़ा हुआ है। एक टीवी डिबेट के दौरान जब पैनल में शामिल मुस्लिमों ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग (Gyanvapi Shivling) पर आपत्तिजनक टिप्पणी की तब नुपुर शर्मा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे मुस्लिमों के पैगंबर मुहम्मद के निकाह को लेकर कुछ कह सकती हैं। डिबेट की इस बात को लेकर कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ मुस्लिमों के पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) पर दिए बयान को लेकर एफआईआर महाराष्ट्र में दर्ज कराई गई है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि FIR दर्ज कराने वाला संगठन रजा अकादमी है। यह हिंसा और हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के मामले में खुद विवादों में रहा है। रजा अकादमी की शिकायत पर शर्मा के खिलाफ मुंबई पुलिस ने IPC की धारा 295A, 153A और 505B के तहत मामला दर्ज किया गया है।
रजा अकादमी वही कट्टर सुन्नी मुस्लिम संगठन है, जिसने 2012 में मुंबई के आजाद मैदान दंगे फैलाए थे और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अश्लीलता की थी। रजा अकादमी की स्थापना 1978 में हुई है और इसका कार्यालय मुंबई में मोहम्मद अली रोड पर स्थित है। इस्लामवादी संगठन की स्थापना 20वीं सदी के सुन्नी नेता अहमद रजा खान के काम को प्रकाशित करने और प्रचारित करने के लिए की गई थी।
दंगों के बाद 2012 में यह बात सामने आई कि इस संगठन का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। रज़ा अकादमी के बारे में सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि इसके संस्थापक और अध्यक्ष सईद नूरी ने औपचारिक इस्लामी शिक्षा भी प्राप्त नहीं की थी। जब उन्होंने सुन्नी इस्लाम का नेता बनने का फैसला किया तो वे सिलाई धागे के व्यवसाय में थे।
रज़ा अकादमी ने कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया है, जिसमें पिछले साल त्रिपुरा में मुस्लिमों के नाम पर महाराष्ट्र के अमरावती, नांदेड़ और मालेगाँव में की गई हिंसा भी शामिल है। इतना ही नहीं, इसी साल हनुमान जयंती पर कर्नाटक के हुबली में पुलिस स्टेशन पर हमले और अस्पताल पर पथराव के मामले में भी रजा अकादमी का नाम सामने आया था। इसके प्रदर्शनों में अक्सर हिंसा और मौतें होती हैं। हिंसात्मक गतिविधियों के बावजूद रजा अकादमी को प्रतिबंधित या पुलिस जाँच के दायरे में नहीं लाया गया।
मुंबई के आजाद मैदान में ‘अमर जवान ज्योति’ में तोड़फोड़
11 अगस्त 2012 को रजा अकादमी ने असम और म्यांमार में मुस्लिमों पर कथित अत्याचार के विरोध में मुंबई के आज़ाद मैदान में एक विशाल आयोजन किया था। इस दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए, लोगों को उकासाय गया और अमर जवान ज्योति मेमोरियल को पैर से मारकर तोड़ दिया गया।
मुस्लिमों की भीड़ ने पुसकर्मियों पर हमला किया और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अश्लीलता की। जब भीड़ हिंसक हो गई तब स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 63 लोग घायल हुए।
रजा अकादमी ने पहले मुंबई पुलिस को आश्वासन दिया था कि विरोध प्रदर्शन में सिर्फ 1500 लोग आएँगे, लेकिन आजाद मैदान में 15,000 लोग जमा हो गए। बाद में भीड़़ बढ़कर 40,000 से भी अधिक हो गई।
बाद में पता चला कि पुलिस ने दंगों में शामिल 35-40 मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार करने के लिए एक सप्ताह बाद पड़ने वाले ईद तक का इंतजार किया। इस दंगे में लगभग 2.72 करोड़ रुपए की विभिन्न सार्वजनिक संपत्तियों को का नुकसान हुआ था।
ईशनिंदा को लेकर जेहाद
जुलाई 2020 में इस्लामी संगठन ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार को ईरानी फिल्म ‘मुहम्मद: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाला पत्र केंद्र सरकार को लिखने के लिए मजबूर किया। यह फिल्म मूल रूप से 2015 में ईरान में रिलीज़ हुई थी और 88वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी के लिए ईरानी प्रविष्टि के रूप में चुनी गई थी।
रज़ा अकादमी ने दावा किया था कि पैगंबर मुहम्मद को चित्रित नहीं किया जा सकता था और फिल्म के निर्माताओं ने ईशनिंदा की थी। इसने धमकी दी थी, “एक मुसलमान अपने पवित्र पैगंबर के जरा सा भी अपमान देखने या सुनने के बजाय सम्मान में मर जाएगा।”
अक्टूबर 2020 में इस इस्लामिक संगठन ने शार्ली हेब्दो मैगजीन द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर कार्टून बनाने के समर्थन में सरकारी भवनों पर इसे दिखाने को लेकर मुस्लिम देशों से फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग की थी।
रजा अकादमी ने कहा था कि मुस्लिम देशों में सभी फ्रांसीसी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया जाए और फ्रांस में सभी राजदूतों को वापस बुला लिया जाए। इसने सोशल मीडिया पर लोगों से ‘शैतानी दिमाग वाले राष्ट्रपति’ के खिलाफ ‘मैक्रोन द डेविल’ हैशटैग का उपयोग करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने का भी आग्रह किया।
रज़ा अकादमी ने मुंबई में उन मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की कार्रवाइयों की सराहना की थी, जिन्होंने शहर की सड़कों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति की तस्वीरें रखकर उसे जूते-चप्पल और गाड़ियों से रौंद रहे थे। शार्ली हेब्दो द्वारा बनाए गए कार्टून को एक टीचर द्वारा दिखाने पर उसके स्टूडेंट ने गला काटकर हत्या कर दी थी। इस घटना की मैक्रों ने निंदा की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था
फरवरी 2021 में, तहफ़ुज़ नमूस-ए-रिसालत बोर्ड (पैगंबर के सम्मान का संरक्षण) नामक एक संगठन ने रज़ा अकादमी द्वारा समर्थित अपने एक शो में पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रदर्शित करने के लिए बीबीसी हिंदी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। खुद को अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थक कहने वाले बीबीसी ने इन धमकियों के आगे घुटने टेक दिए और तुरंत माफ़ी माँग ली।
बाद में सितंबर में रज़ा अकादमी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक अभियान चलाया, जिसमें सऊदी अरब के सुल्तान सलमान से मदीना शरीफ में सिनेमा हॉल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया। इस्लामिक संगठन ने मुंबई में मीनारा मस्जिद के बाहर एक विरोध मार्च भी निकाला।
प्रदर्शनकारियों को ‘सऊदी हुकूमत मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए सुना गया था। उनके हाथों में पकड़ी गईं तख्तियों में लिखा था, “सऊदी सरकार को मदीना मुनव्वराह के पवित्र शहर का अपमान बंद करना चाहिए।” उस दौरान सऊदी सरकार ने देश में 10 सिनेमा हॉल खोलने का निर्णय लिया था।
नुपुर शर्मा पर इस्लामवादियों का हमला
गुरुवार (26 मई 2022) की शाम को टाइम्स नाउ पर एक बहस के बाद AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने शर्मा पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाते हुए एक ऑनलाइन कैंपने चलाया। उन्हें अन्य इस्लामवादियों का समर्थन प्राप्त था, जिनमें से कई ने उन्हें और उनके परिवार को मौत और बलात्कार की धमकी दी थी।
टाइम्स नाउ पर विवादित ज्ञानवापी ढांचे पर बहस के दौरान नुपुर शर्मा ने तर्क दिया कि चूँकि लोग बार-बार हिंदू आस्था का मजाक उड़ा रहे हैं तो वह भी इस्लामी मान्यताओं का जिक्र करते हुए अन्य धर्मों का भी मजाक उड़ा सकती हैं। उस वीडियो को संदर्भ से बाहर लेते हुए जुबैर ने इसे अपने 4,64,000 ट्विटर फॉलोअर्स के साथ साझा किया, और शर्मा को एक उग्र, सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला और दंगा भड़काने वाला घोषित किया गया।
इसके बाद नुपुर शर्मा की टाइमलाइन पर ट्रोल अकाउंट्स ने उन्हें हर तरह की धमकियाँ दीं, जिसमें उनका सिर काटने की धमकी भी शामिल थी। ट्विटर स्पेस का आयोजन किया गया जहां कथित ‘ईशनिंदा’ को लेकर इस्लामवादियों को उसकी हत्या करने के लिए खुले कॉल करते हुए सुना जा सकता था।
कमलेश तिवारी और किशन भारवाड़ जैसी कई ऐसी ही घटनाओं को ध्यान में रखते हुए पुलिस को इन धमकियों को गंभीरता से लेना चाहिए। मोहम्मद जुबैर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।