बिहार के मुंगेर में पिछले साल दुर्गा पूजा के दौरान हुई फायरिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज (जून 5, 2021) बिहार सरकार की विशेष याचिका को खारिज कर दिया। राज्य सरकार ने SC में पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार को मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपए देने के निर्देश दिए थे।
शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देशों को बरकरार रखा। साथ ही अब तक मुआवजा भुगतान न किए जाने पर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हाईकोर्ट का आदेश न मानने पर सरकार के रवैये की आलोचना की।
कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाला है। मुंगेर पुलिस की ओर से फायरिंग मामले में समय पर जाँच क्यों नहीं की गई? इसमें FIR दर्ज करने में देरी क्यों हुई? हाईकोर्ट के निष्कर्ष के मुताबिक, तत्कालीन एसपी सत्तारूढ़ दल के एक राजनेता की रिश्तेदार थीं, जिसकी वजह से मामले की जाँच पर असर पड़ा।
वहीं बिहार सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मनीष कुमार ने पीठ से कहा कि मामले में अभी जाँच चल रही है, ऐसे में मुआवजे के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी जानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जाँच पूरी होने तक पुलिस की गलती थी ये नहीं कहा जा सकता।
हालाँकि, पीठ ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि निष्पक्ष जाँच में पुलिस की ओर से लापरवाही हुई है। उस लापरवाही के लिए मुआवजा दिया जा सकता है। निष्पक्ष जाँच पीड़ित और उनके परिवार के सदस्यों के मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।
पूरा मामला 26 अक्टूबर 2020 का है। मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान घटना हुई थी। अधिकारियों ने बताया था कि जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ी और गैर कानूनी गतिविधियाँ जैसे पुलिस पर पत्थर बाजी और गोलियाँ चलाईं गईं। लेकिन मामले में याचिका डालने वाले अनुराग के पिता ने बताया कि एसपी के नेतृत्व वाली मुंगेर पुलिस ने घटना के समय कोई प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया और श्रद्धालुओं पर बर्बर ढंग से फायरिंग की।
इसके बाद इस मामले में हुई जाँच में भी पाया गया कि दुर्गा पूजा में हुई फायरिंग के दौरान 18 वर्षीय अनुराग बिलकुल निहत्था था और उस पर किसी प्रकार की कोई गैर कानूनी गतिविधि में शामिल होने के आरोप नहीं थे। इसलिए कोर्ट ने राज्य को मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने के निर्देश दिए थे।