Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाज'जवान' होते ही मुस्लिम लड़की (भले वो नाबालिग हो) कर सकती है किसी से...

‘जवान’ होते ही मुस्लिम लड़की (भले वो नाबालिग हो) कर सकती है किसी से भी निकाह: HC का फैसला

कोर्ट में न्यायाधीश अलका सरीन ने यह फैसला मुस्लिम धार्मिक पुस्तक के आर्टिकल 195 के आधार पर सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सर डी फरदुनजी मुल्ला की किताब 'प्रिसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ' का हवाला दिया।

पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने इस्लामी साहित्य का हवाला देकर एक याचिका पर अपना निर्णय सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से मुस्लिम लड़की सयानी होते ही किसी से भी निकाह कर सकती है। अदालत के अनुसार, कानूनी रूप से परिवार भी इसमें दखलअंदाजी नहीं कर सकता।

कोर्ट में न्यायाधीश अलका सरीन ने यह फैसला मुस्लिम धार्मिक पुस्तक के आर्टिकल 195 के आधार पर सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सर डी फरदुनजी मुल्ला की किताब ‘प्रिसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ’ का हवाला दिया।

अदालत ने कहा, “मुस्लिम लड़का और लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं, उन्हें किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। ये मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा ही तय किया गया है।” 

इस पूरे मामले पर हाई कोर्ट में मोहाली के एक मुस्लिम जोड़े ने याचिका दायर की थी। युवक 36 साल का था जबकि लड़की सिर्फ़ 17 वर्ष की। लेकिन प्रेम होने के कारण दोनों ने इस साल 21 जनवरी को एक दूसरे से निकाह कर लिया, जिससे परिवार वाले नाराज हो गए और दोनों को धमकियाँ मिलने लगीं।

हालात देखते हुए दोनों ने कोर्ट का रुख किया और अपने लिए पुलिस सुरक्षा की माँग की। अब इसी मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है तो एक लड़की को 15 साल की उम्र पूरी करने के बाद प्यूबर्टी हासिल करना माना जा सकता है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पुलिस अधीक्षक को आदेश दिए कि इस मुस्लिम जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने करवाई जाए।

अदालत ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को दोहराते हुए कहा कि यदि कोई लड़की या लड़का निकाह के लिए राजी नहीं है या फिर मानसिक तौर पर स्वस्थ भी नहीं है तो उनकी शादी को वैध नहीं माना जाएगा, क्योंकि इसके लिए रजामंदी की जरूरत है। याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ने कहा कि जोड़े को उनके मूलभूत अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, वो भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उनके रिश्तेदार इसके खिलाफ़ हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं एवं पुरुषों के तलाक और शादी को लेकर अहम निर्णय दिया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जहाँ मुस्लिम महिलाएँ तलाक के बिना दूसरा निकाह नहीं कर सकतीं, वहीं मुस्लिम पुरुषों को तलाक के बिना दूसरा निकाह करने की अनुमति है। मुस्लिम पुरुष अपनी बीवी को तलाक दिए बिना ही एक से अधिक निकाह कर सकता है। मुस्लिम महिलाओं पर ये नियम लागू नहीं होता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केरल के सरकारी स्कूल में मन रहा था क्रिसमस, हिंदू कार्यकर्ताओं ने पूछा- जन्माष्टमी क्यों नहीं मनाते: टीचरों ने लगाया अभद्रता का आरोप, पुलिस...

केरल के एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस मनाए जाने पर कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

जिन 3 खालिस्तानी आतंकियों ने गुरदासपुर पुलिस चौकी पर फेंके थे ग्रेनेड, उनका UP के पीलीभीत में एनकाउंटर: 2 एके-47 के साथ ग्रोक पिस्टल...

इस ऑपरेशन को यूपी और पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। मारे गए आतंकियों की पहचान गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह के रूप में हुई है।
- विज्ञापन -