केरल में वामपंथी छात्र संगठन डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (DYFI) के सुअर का मांस बेचने पर मुस्लिम भड़क गए हैं। उन्होंने इसे उनके मजहब पर प्रहार और ईशनिंदा बताया है। कम्युनिस्ट छात्र संगठन यह मांस वायनाड आपदा के लिए राहत की धनराशि इकट्ठा करने को बेच रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, DYFI ने कासरगोड के राजापुरम इलाके में 10 अगस्त को सुअर का मांस (पोर्क) बेचा था। उसने यह मांस ‘पोर्क चैलेन्ज’ के नाम से बेचा था। इसी तरह 18 अगस्त को भी सुअर का मांस कोठमंगलम में बेचा गया। DYFI का कहना है कि वह इस मांस की बिक्री से जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल वायनाड भूस्खलन आपदा पीड़ितों के लिए करेगा।
DYFI का कहना है कि केरल भर में इसी तरह सुअर का मांस बेच कर पैसा जुटाएगा और उससे वायनाड में 25 घरों का निर्माण दुबारा करवाएगा। DYFI का कहना है कि वह मात्र सुअर का मांस ही नहीं बल्कि और भी समान बेच कर यह धनराशि इकट्ठा करेगा। उसने 7000 लीटर दूध भी बेचा है।
DYFI का पैसे इकट्ठा करने के लिए सुअर मांस बेचने का फैसला केरल के इस्लामी कट्टरपंथियों को रास नहीं आया है। मुस्लिम मौलानाओं का कहना है कि सुअर का मांस बेचना मुस्लिमों की की मजहबी भावनाओं को आहत करना है। एक सुन्नी संगठन के मौलाना ने कहा कि वायनाड त्रासदी में बचने वाले कुछ लोग सुअर का मांस नहीं खाते, ऐसे में यह उनका अपमान है।
सुन्नी मौलाना नासर फैजी कूदाथई ने कहा है कि वायनाड में बचने वाले अधिकांश परिवार मुस्लिम हैं और उनको मुस्लिम होने के नाते सुअर का मांस खाना मना है। मौलाना नासर ने कहा कि यह जानते हुए भी DYFI उनके लिए सुअर का मांस बेच कर पैसा इकट्ठा कर रही है।
एक और मौलाना ने इसका विरोध फेसबुक के जरिए किया और फिर अपना बयान वापस ले लिया। मौलाना जियाउद्दीन फैजी ने लिखा, “मुसलमानों को किसी ऐसे व्यक्ति से मदद स्वीकार करने से मना नहीं किया जाता है जो हराम और हलाल से कमाया गया हो। यह नियम शराब की दुकान के मालिक, बैंक मैनेजर या पोर्क व्यापारी सहित सभी पर लागू होता है।”
मौलाना ने आगे लिखा, “लेकिन यहाँ सवाल यह है कि क्या गरीबों की मदद के लिए हराम चैलेन्ज आयोजित करने की जरूरत भी है। क्या कल को सूदखोरी चैलेन्ज, वेश्यावृत्ति चैलेन्ज, शराब चैलेन्ज और चोरी चैलेन्ज भी आयोजित किए जाएँगे।” बाद में मौलाना ने अपना बयान वापस ले लिया।
मुस्लिमों के DYFI का विरोध करने पर केरल की वामपंथी सरकार मंत्री केटी जलील ने उन्हें आड़े हाथों लिया है। केटी जलील ने कहा, “मुसलमानों के लिए ब्याज भी हराम है। लेकिन सूअर के मांस के ये विरोधी यह क्यों नहीं कहते कि बैंकों द्वारा दिया गया दान हराम है? क्या ब्याज से कमाए पैसे का उपयोग सूअर के मांस खाने से भी बड़ा पाप नहीं है? मुसलमानों के लिए शराब वर्जित है। लेकिन ईसाइयों और हिंदुओं के लिए आस्था से जुड़ी शराब चढ़ाना वर्जित नहीं है। ये लोग नहीं कहते कि शराबी स्वर्ग में नहीं जाएँगे।”
गौरतलब है कि वायनाड में हाल ही में बड़ी भूस्खलन आपदा आई थी। इसके कारण 4 गाँव पूरी तरह से बह गए थे। इस भूस्खलन के कारण लगभग 400 लोगों की मौत हो गई थी। इस आपदा में कई घरों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचा था। वायनाड में दोबारा से जीवन पटरी पर लाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार प्रयास कर रही है।