अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में तनखैया की सजा काट रहे अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हमला हुआ। इस फायरिंग में बादल बाल-बाल बचे। फायरिंग करने वाले शख्स नारायण सिंह चौरा को बदल के साथ मौजूद लोगों ने पकड़ लिया।
इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है। वहीं हमलावर नारायण सिंह चौरा के बारे में पता चला है कि वह एक खालिस्तानी आतंकी है और जेल से आतंकियों को भगाने समेत हथियारों की सप्लाई तक के मामले में जुड़ा रहा है।
#WATCH | Punjab: Bullets fired at Golden Temple premises in Amritsar where SAD leaders, including party chief Sukhbir Singh Badal, are offering 'seva' under the religious punishments pronounced for them by Sri Akal Takht Sahib, on 2nd December. pic.twitter.com/rLlMyRWo9S
— ANI (@ANI) December 4, 2024
नारायण सिंह चौरा ने यह हमला तब किया जब सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के गेट पर पहरेदार की ड्यूटी कर रहे थे। यह सेवा उन्हें अकाल तख़्त ने करने का आदेश दिया है। अकाल तख़्त ने सुखबीर बादल को ‘तनखैया’ (धार्मिक मामलों में लापरवाही का दोषी) पाया है। उनके साथ ही पंजाब में अकाली सरकार में मंत्री रहे सभी लोगों को सजाएँ दी गई हैं।
नारायण सिंह चौरा ने इसी ड्यूटी के दौरान कमर से अपनी अपनी पिस्टल निकाली और बदल पर फायरिंग करने की कोशिश की। हालाँकि, उसे यहाँ मौजूद लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। हमलावर नारायण सिंह चौरा पुराना आतंकी है।
वह 1984 में पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए जा चुका है। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़ा रहा है। वह हथियारों की तस्करी में भी जुड़ा था। उसने एक किताब भी लिखी है। वह 2004 में बुडैल जेल से CM बेअंत सिंह के हत्यारे खालिस्तानी आतंकियों को भगाने का आरोपित भी है।
उस पर आरोप है कि उसने बुडैल जेल की बिजली सप्लाई बाधित कर जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भ्योरा और जगतार सिंह हवारा को भगाया था। इनके साथ एक और आतंकी देवी सिंह भी भाग गया था। नारायण सिंह इन आतंकियों से जेल में आकर मिलता भी था और और उन्हें खाना, कपड़े और पगड़ी समेत तमाम चीजें दे जाता था।
बाद में वह जेल से भागने की प्लानिंग में शामिल हो गया। बताया गया कि परमजीत सिंह के कहने पर उसने जेल के पीछे के हिस्से में पहुँच कर कंटीली तारों पर एक चेन डाली जिससे बिजली गुल हो गई और मौके का फायदा उठा कर यह चारों आतंकी एक गुफा के सहारे जेल से भाग गए।
पंजाब पुलिस ने इस मामले में उसे 2013 में गिरफ्तार किया था। इससे पहले उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। चौरा को 2018 में जमानत मिली थी। नारायण सिंह चौरा के खिलाफ UAPA का केस दर्ज किया गया था। उसने इसके खिलाफ पुलिस पर ही मुकदमा दायर कर दिया था।
उसने कहा था कि पुलिस द्वारा उसके फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए। उसने 2015 में एक पत्र भी लिखा था, जिसे सिखों के एक आयोजन में पढ़ा गया था। इसमें खालिस्तान की बात की गई थी। नारायण सिंह चौरा सुखबीर सिंह बादल पर हमले के बाद अब पंजाब पुलिस की गिरफ्त में है।