Sunday, December 22, 2024
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जो NPS में लगा चुके पैसा, उनके लिए UPS में क्या, कितना और कैसे होगा फायदा… OPS के मुकाबले कितना अलग: जानिए पॉइंट-बाइ-पॉइंट

UPS में सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित (पति या पत्नी) को पेंशन राशि का 60 फीसदी सुनिश्चत पारिवारिक पेंशन के तौर पर देने की व्यवस्था की गई है। इसकी महत्वपूर्ण व्यवस्था यह है कि इसमें न्यूनतम पेेंशन की राशि 10 हजार रुपए प्रतिमाह है, जबकि NPS में इस तरह की व्यवस्था नहीं है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme- UPS) को मंजूरी दी है। यह 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगा। इस योजना से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) और यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) में एक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अब UPS, NPS और OPS के अंतर को समझने की कोशिश करते हैं।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)

UPS केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई नई पहल है। यह ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की ही तरह काम करेगा और साथ ही इसमें NPS के भी कुछ जरूरी फायदों को शामिल किया गया है। इसके तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलरी के 50 फीसदी के बराबर आजीवन पेंशन देने का प्रावधान किया गया है। UPS का लाभ लेने के लिए 25 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा का मानदंड रखा गया है।

UPS चुनने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों के मूल वेतन के औसत का 50 प्रतिशत मिलेगा। लाभार्थी को न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा की सेवानिवृत्ति पर कम-से-कम 10,000 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। केंद्रीय कर्मचारियों को NPS और UPS में से चुनाव का विकल्प मिलेगा। राज्य सरकारें भी इसे लागू कर सकती हैं।

इसमें महंगाई बढ़ने के हिसाब से डियरनेस अलाउंस में बढोतरी, कर्मचारी की मृत्यु पर परिजनों को पेंशन का 60 फीसदी देने की गारंटी है। इसमें ग्रेच्युटी के साथ एकमुश्त सुपरएनुएशन का भी प्रावधान किया गया है। महंगाई राहत औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) पर आधारित होगी। 

प्रत्येक छह महीने की सेवा के लिए सेवानिवृत्ति की तिथि पर मासिक पारिश्रमिक यानी वेतन और महंगाई भत्ते का दसवाँ हिस्सा दिया जाएगा। सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10% यूपीएस में योगदान देंगे। अब जिस तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकार का योगदान 14 फीसदी होता था, वो यूपीएस में बढ़ाकर 18.5 फीसदी कर दिया गया है।

केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही अब राज्य सरकारों को भी एकीकृत पेंशन योजना (UPS) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में से एक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अगर राज्य सरकारें NPS के बजाय UPS चुनती हैं तो इसके लाभार्थियों की संख्या लगभग 90 लाख हो जाएगी। UPS प्राइवेट कर्मियों के लिए नहीं है। वहीं, NPS में प्राइवेट नौकरी वाले निवेश कर सकते हैं।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) योजना को साल 2004 से लागू किया था। इस योनजा को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की जगह पर लागू करने की योजना थी। हालाँकि, इसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था।

NPS के तहत कर्मचारियों से भी पेंशन में योगदान लिया गया था। यह योगदान 10 प्रतिशत है। इसके अलावा, इसमें कुछ और भी प्रावधान किए गए हैं। इसमें पेंशन की 60 फीसदी रकम टैक्स फ्री होती है और एकमुश्त निकाली जा सकती है। वहीं, इसकी 40 फीसदी रकम पर टैक्स ब्रैकेट के हिसाब टैक्स देना होता है।

NPS के तहत मिलने वाला पेंशन कर्मचारी द्वारा नौकरी के दौरान दिए गए योगदान पर निर्भर करता है। इसके साथ ही यह रकम शेयर बाजार आदि से जुड़ा होता है तो इससे मिलने वाली रकम मार्केट परफॉर्मेंस पर भी निर्भर करता है। इसमें सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन और DA का 10% योगदान करते हैं, जबकि सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान करती है।

एनपीएस में कोई भी व्यक्ति अपना अकाउंट खोल सकता है। इसमें न्यूनतम योगदान 500 रुपए है। इसमें दो तरह के अकाउंट होते हैं। पहला, टियर-1 अकाउंट और दूसरा टियर-2 अकाउंट। टियर-1 अकाउंट अनिवार्य होता है और इस पर टैक्स छूट मिलती है। वहीं, टियर-2 वैकल्पिक होता है। इसमें से कभी भी निकाल सकते हैं। इस पर कर छूट का लाभ नहीं मिलता है।

NPS से कोई भी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त एक्यूमुलेटेड राशि के तौर पर पेंशन की कुल राशि का 60 फीसदी रकम निकाल सकते हैं। बाकी रकम का इस्तेमाल रेगुलर पेंशन के भुगतान के लिए एन्यूटी खरीदने में किया जा सकता है। इसमें 60 प्रतिशत राशि पर कोई भी टैक्स नहीं लगेगा।

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS)

ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के आखिरी वेतन के आधार पर मासिक पेंशन देने का प्रावधान है। इस योजना के तहत कर्मचारियों को पेंशन में योगदान नहीं देना होता था। इसका खर्च सरकार वहन करती थी। इस योजना के स्थान पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने NPS योजना लागू की थी। OPS को फिर से लागू करने की माँग लगातार होती रहती है।

OPS सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है, जो 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए हैं। OPS में पेंशन की रकम में महंगाई भत्ते (DA) में समय-समय पर होने वाले बदलावों को भी शामिल किया जाता है। DA महंगाई से जुड़ा मामला है। इसके स्कीम के तहत मिलने वाली रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

OPS के तहत कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निकाल सकते थे। इस योजना को सरकार ने अब बंद कर दिया है। अगर कर्मचारी NPS की जगह UPS का चुनाव करते हैं तो उन्हें जो अतिरिक्त राशि या उसका ब्याज बनेगा, उसे केंद्र भुगतान करेगा। यह अतिरिक्त रकम लगभग 800 करोड़ रुपए की होगी।

तीनों में कौन सा स्कीम बेहतर?

OPS सबसे बेहतर स्कीम था, क्योंकि इसमें कर्मचारियों को पेंशन के लिए कोई योगदान नहीं देना पड़ता था। इसका सारा खर्च सरकार वहन करती थी। हालाँकि, कुछ अन्य फायदों को उसकी जगह लाए गए NPS में जोड़ा गया था। सरकार का आकलन है कि अभी कार्यरत 99 फीसद केंद्रीय कर्मियों के लिए UPS फायदेमंद होगा। ऐसे में NPS और नया स्कीम UPS में कौन बेहतर है, यह जानना जरूरी है।

UPS में कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलेगा, जो उनकी पिछले एक साल के औसत मूल वेतन एवं महंगाई भत्ता का 50 प्रतिशत होगा। वहीं, NPS में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन राशि मिलने की व्यवस्था है। UPS में सेवा काल 10 से 25 वर्षों का है तो पेंशन की राशि अवधि के समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी। यह व्यवस्था NPS में नहीं है।

UPS में सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित (पति या पत्नी) को पेंशन राशि का 60 फीसदी सुनिश्चत पारिवारिक पेंशन के तौर पर देने की व्यवस्था की गई है। इसकी महत्वपूर्ण व्यवस्था यह है कि इसमें न्यूनतम पेेंशन की राशि 10 हजार रुपए प्रतिमाह है, जबकि NPS में इस तरह की व्यवस्था नहीं है।

UPS की एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसे महंगाई सूचकांक से जोड़ा गया है। अगर खुदरा महंगाई दर बढ़ती है तो उसके हिसाब से पेंशन की राशि भी बढ़ेगी। महंगाई भत्ता के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा। वहीं, NPS में इसका निर्धारण सिर्फ मार्केट के आधार होता है।

मोदी सरकार द्वारा पेश इस नई पेंशन स्कीम में सेवा काल के दौरान हर छह माह के लिए मूल वेतन का 10 फीसद राशि एकमुश्त मिलेगी, जो ग्रेच्यूटी के अलावा होगी। इसके अलावा, UPS में सरकार का योगदान 18.5 प्रतिशत होगा, जोकि NPS के योगदान से अधिक है। NPS में सरकार का योगदान 14 प्रतिशत है।

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सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
प्रकृति प्रेमी

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