कई भीषण हमलों के मास्टरमाइंड रहे नक्सली रमन्ना के मरने की पुष्टि हो गई है। वह सीपीआई माओवादी की केंद्रीय कमेटी का सदस्य और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव था। शनिवार (दिसंबर 14, 2019) को नक्सलियों के केंद्रीय प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेसनोट जारी कर उसकी मौत की पुष्टि की। प्रेसनोट के साथ उसकी एक तस्वीर भी जारी की गई है। करीब 30 साल उसकी कोई तस्वीर सामने आई है। पुलिस रिकॉर्ड में भी उसकी 30 साल पुरानी फोटो ही थी।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में हुए ताड़मेटला और झीरम जैसे कई बड़े घटनाओं का मास्टरमाइंड कुख्यात नक्सली कमांडर रमन्ना की मौत हार्ट अटैक से हुई। नक्सल नेताओं ने लंबी चुप्पी के बाद उसके मरने की पुष्टि की है।
बता दें कि रमन्ना पर कुल 1.37 करोड़ रुपए का ईनाम था। उस पर महाराष्ट्र ने 60 लाख रुपए, छत्तीसगढ़ ने 40 लाख रुपए, तेलंगाना ने 25 लाख रुपए और झारखंड पुलिस ने 12 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया था। वह 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 सीआरपीएफ जवानों की मौत और झीरम घाटी में कॉन्ग्रेस नेताओं पर हुए भीषण हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है। रमन्ना जगदलपुर जिला जेल से 25 जून 1989 को दो अन्य नक्सलियों के साथ फरार हो गया था। इसके बाद पुलिस न तो उसे ढूँढ़ पाई न ही उसकी कोई तस्वीर हासिल कर पाई।
रमन्ना की तस्वीर लाने वाले को भी पुलिस ने लाखों रुपए का ईनाम देने की बात कही थी। वह देश का सबसे बड़ा ईनामी नक्सली था। रमन्ना के ऊपर कई बड़ी वारदातों के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारने का आरोप है।
तेलंगाना के वारंगल जिले के रमन्ना ने 15 साल की उम्र में हथियार उठा लिया था। तभी से वह दक्षिण बस्तर के सुकमा व बीजापुर जिले के बीच के जंगलों में सक्रिय रहा। रमन्ना का बेटा श्रीकांत उर्फ रंजीत भी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी बटालियन में काम करता है। रमन्ना का भाई परशरामुलु भी एक नक्सली नेता था और 1994 में मारा गया। उसकी पत्नी भी एक नक्सली थी और वह भी मुठभेड़ में मारी गई थी।
नक्सल कमांडर रमन्ना की मौत पर सस्पेंस बना हुआ था। पुलिस और खुफिया एजेंसियों के पास यह सूचना थी कि तेलंगाना से सटे बीजापुर जिले के जंगल में रमन्ना का अंतिम संस्कार किया गया, लेकिन नक्सली इस मामले में चुप्पी साधे हुए थे। मगर अब माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने रमन्ना की मौत की पुष्टि कर दी है।
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