राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) अपने पुस्तकों के अगले सेट में इंडिया के बजाय ‘भारत’ मुद्रित करेगा। पैनल के इस प्रस्ताव को इसके सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है। इसके साथ ही समिति ने इतिहास की किताबों में ‘हिंदू विजय’ को प्राथमिकता देने की सिफारिश की है।
पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के मुताबिक, NCERT की नई किताबों के नाम में बदलाव होगा। इस्साक ने कहा, यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।
इस्साक ने कहा कि इंडिया शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। वहीं, भारत का जिक्र विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में हैं, जो सात हजार साल से भी पुराने हैं।
NCERT पैनल की सिफारिश इन अटकलों के बीच आई है कि क्या देश का नाम बदलकर ‘भारत’ रखा जाएगा। इस साल की शुरुआत में यह चर्चा तब शुरू हुई जब केंद्र ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र में President of India की जगह President of Bharat लिखा गया था।
इसके बाद इसको लेकर देश भर में बहस शुरू हो गया था। इन सबके बीच राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई थी। दरअसल, भारत के संविधान के अनुच्छेद 1(1) में हमारे देश के नाम को ‘इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरह ही इस साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेज पर लगे नेमप्लेट पर ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखा हुआ देखा गया था। दरअसल, दिल्ली के प्रगति मैदान में स्थित भारत मंडपम में जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन था।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व के नेताओं को संबोधित करने के दौरान कैमरे में ‘Bharat’ नाम वाला नेमप्लेट विशेष रूप से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। कुछ लोगों ने इसका विरोध किया तो कुछ लोगों ने इस पर खुशी जाहिर की।
इस बीच एनसीईआरटी समिति ने अपनी पाठ्य-पुस्तकों में ‘हिंदू योद्धाओं की जीत’ को उजागर करने वाले पाठ्यक्रमों को विशेष रूप से शामिल करने की सिफारिश की है। समिति ने पाठ्य-पुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’ के स्थान पर ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने की भी सिफारिश की है।
इस्साक ने कहा कि फिलहाल किताबों में हमारी असफलताओं के बारे में ही बताया गया है। सुल्तानों और मुगलों पर हमारी जीत के बारे में नहीं बताया गया है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि किताबों में पढ़ाया जाता है कि मुहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण किया था, लेकिन ये नहीं पढ़ाया जाता कि 1206 में गोरी की हत्या खोकरों (पूर्वी-मध्य एशिया की एक जनजाति) ने उस समय कर दी थी, जब वह भारत के रास्ते में था।
इस्साक ने कहा कि इतिहास को अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने ऐसा किया था और उन्होंने भारत को वैज्ञानिक प्रगति और ज्ञान से अनभिज्ञ अंधकार में दिखाया था। समिति ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को शामिल करने की भी सिफारिश की है।
बताते चलें कि यह समिति समिति उन 25 समितियों में से एक है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुसार पाठ्यक्रम को बदलने के लिए केंद्रीय स्तर पर NCERT के साथ काम कर रही है। सिफारिश के बाद नवीतनम पुस्तकें बाजार में आएँगी।