राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि भारत की छवि खराब करने के लिए ‘Persecution Relief’ नाम के ईसाई NGO के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बाल संरक्षण क़ानूनों के दुरुपयोग की झूठी रिपोर्ट प्रकाशित एवं 150 देशों में वितरित कर दुनिया भर में भारत का अपमान करके मेरे देश की छवि ख़राब करने के कुत्सित प्रयास का माकूल जवाब दिया जाएगा।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) March 6, 2021
माननीय@CMMadhyaPradesh श्री @ChouhanShivraj जी इस तरह के मामले में बहुत सख़्त हैं। pic.twitter.com/9cEKoM0knP
प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट करते हुए कहा, “बाल संरक्षण क़ानूनों के दुरुपयोग की झूठी रिपोर्ट प्रकाशित एवं 150 देशों में वितरित कर दुनिया भर में भारत का अपमान करके मेरे देश की छवि खराब करने के कुत्सित प्रयास का माकूल जवाब दिया जाएगा। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह इस तरह के मामले में बहुत सख्त हैं।”
उल्लेखनीय है कि पर्सयूकेशन रेलीफ़ नामक संस्था की भोपाल से प्रकाशित उक्त रिपोर्ट को अमेरिकन कमीशन #USCIRF ने संज्ञान में लिया था,जिससे देश की छवि ख़राब हुई थी।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) March 6, 2021
मुख्यसचिव मध्यप्रदेश शासन कि निर्देश द्वारा प्रस्तुत जाँच रिपोर्ट में उक्त संस्था के सभी आरोप झूठे पाए गए हैं।
उन्होंने आगे लिखा, “उल्लेखनीय है कि पर्सिक्युसन रिलीफ़ नामक संस्था की भोपाल से प्रकाशित उक्त रिपोर्ट को अमेरिकन कमीशन USCIRF ने संज्ञान में लिया था, जिससे देश की छवि खराब हुई थी। मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन की निर्देश द्वारा प्रस्तुत जाँच रिपोर्ट में उक्त संस्था के सभी आरोप झूठे पाए गए हैं।”
‘Persecution Relief’ ने ‘धार्मिक कट्टरपंथियों’ के रूप में भारतीयों को दिखाने की कोशिश की
इससे पहले, कानूनी अधिकार संरक्षण मंच (LRPF) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हत्या और आत्महत्या की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देने के लिए ‘Persecution Relief’ पर कार्रवाई करने को कहा था। क्रिश्चियन एनजीओ ने यूएस-आधारित फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन (FIACONA) के साथ हाथ मिलाया था और इसकी रिपोर्ट को वार्षिक अमेरिकी कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) रिपोर्ट में शामिल किया गया था।
बता दें कि 2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन के बाद भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ की सूची में रखा गया था। ‘Persecution Relief’ ने भारत में अपराध की घटनाओं के बारे में भी जानकारी एकत्र की और इसे विभिन्न अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक संगठनों के साथ साझा किया। हालाँकि, इस दौरान उन्होंने घटनाओं को सांप्रदायिक ट्विस्ट दे दिया और भारतीयों को ‘धार्मिक कट्टरपंथी’ करार दिया। स्वराज्य से बात करते हुए, ‘Persecution Relief’ ने दावा किया कि उनका उद्देश्य ईसाई समुदाय के खिलाफ ‘हेट क्राइमों’ के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करना था।
हालाँकि, LRPF के कार्यकारी अध्यक्ष एएस संतोष ने जोर देकर कहा कि मुख्यधारा के मीडिया और पुलिस अधिकारियों ने ‘Persecution Relief’ की 8 ऐसी घटनाओं में सांप्रदायिक एंगल को खारिज कर दिया, जिसमें ईसाई एनजीओ ने ‘धार्मिक एंगल’ का आरोप लगाया था। सबसे विचित्र उदाहरण राजस्थान में करंट लगने से मरने वाले एक पादरी का था। इस मामले को भी ‘ईसाई उत्पीड़न’ के एक उदाहरण के रूप में उल्लेखित किया गया था। अपने बचाव में, ‘Persecution Relief’ के संस्थापक ने कहा, “मेरा सताए गए ईसाई भाइयों और बहनों के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करने और एकजुट होकर आवाज उठाने के अलावा दूसरा कोई एजेंडा नहीं है।”