ओडिशा में ‘National Commission for Scheduled Tribes (NCST)’ के सदस्य पर भीड़ ने हमला कर दिया। इस सम्बन्ध में संस्था ने अब राज्य के मुख्य सचिव, DGP और ADG (क्राइम ब्रांच) से रिपोर्ट तलब किया है। ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ के सदस्य जनजातीय समुदाय की समस्याओं की सुनवाई के लिए वहाँ गए थे। बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इसी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और ओडिशा की ही हैं।
NCST के सदस्य अनंता नायक पर ये हमला क्योंझर इलाके में हुआ। अनंता नायक पर हाल ही में दो बार हमला हुआ, जिससे अधिकारियों को मिली सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने इस हमले को साजिश के तहत हुई घटना करार देते हुए बताया कि स्थानीय SP को इस सम्बन्ध में पहले ही सूचित कर दिया गया था। कुछ लोगों ने उन्हें कांजीपानी पुलिस थाने के पास एक शिकायत के निपटारे को कह कर अपने साथ ले लिया और आगे ले जाकर हमला कर दिया।
NCST के सदस्य ने बताया, “मुझे तेलकोइ प्रखंड के बलभद्रपुर पंचायत में लोगों की शिकायत सुनने के लिए जाना था। कांजीपानी के पास लगभग 300 लोगों ने हमें घेर लिया और शिकायत दर्ज कराने की बात कही। लेकिन, उनकी कुछ और ही साजिश थी। उन्होंने हम पर हमला कर दिया। हमारी टीम के कुछ सदस्य घायल भी हो गए। जिला प्रशासन ने हमें उचित सुरक्षा नहीं मुहैया कराई थी। इसी कारण ये घटना हुई।” इसके बाद NCST की टीम किसी अन्य रास्ते से बलभद्रपुर पहुँची और लोगों की शिकायतें सुनी।
इससे दो दिन पहले NCST की टीम पर हरीचंदनपुर प्रखंड के भंगमुण्डा में हमला हुआ था। इस घटना के बारे में बताते हुए जनजातीय नेता किरण बाला नायक ने बताया कि NCST को जनजातीय समुदाय को न्याय देने से रोकने के लिए ऐसे हमलों को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय का विकास कुछ लोगों को खटक रहा है, इसीलिए वो ऐसी हरकतें कर रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन पर ऐसे तत्वों को बचाने का आरोप लगाया। NCST की सेक्रेटरी अलका तिवारी ने अब अधिकारियों को नोटिस भेज कर जवाब तलब किया है।
इस पत्र में उन्होंने बुधवार (29 जुलाई, 2022) की पहली घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि करीब 50 लोगों ने NCST की टीम को घेर कर नारेबाजी और गालियाँ दी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को इस सम्बन्ध में सूचित कर सुरक्षा बढ़ाने की माँग की गई। दूसरा हमला 1 अगस्त को हुआ। NCST का कहना है कि ये सब पूर्व-नियोजित साजिश के तहत हुआ लगता है और टीम की सुरक्षा को प्रशासन गंभीर नहीं है। 3 दिन के अंदर जाँच पूरी कर रिपोर्ट माँगते हुए आयोग ने इसे इंटेलिजेंस फेलियर भी करार दिया है।