Sunday, November 17, 2024
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‘एक्टिविस्ट पादरी’ फादर स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में NIA ने किया गिरफ्तार

खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता बताने वाले फादर स्टेन स्वामी पर आरोप है कि उनके और उनके साथियों के भड़काऊ भाषण के बाद ही 2018 में भीमा कोरेगाँव में हिसा भड़की थी।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने बृहस्पतिवार (अक्टूबर 08, 2020) को 83 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) को 2018 भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। फादर स्टेन स्वामी पर दो साल पहले महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में संलिप्तता का आरोप है। बताया जा रहा है कि स्टेन स्वामी पर भीमा कोरेगाँव मामले में एनआईए ने उन पर आतंकवाद निरोधक क़ानून (यूएपीए) की धाराएँ भी लगाई हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल के मूल निवासी और कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता 83 साल के स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) ने पिछले दिनों इस मामले में संलिप्तता से इनकार किया था। कोरेगाँव भीमा मामले की जाँच कर रही एनआईए की एक टीम ने नामकुम स्टेशन परिसर में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया।

हालाँकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए के दो अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उन्होंने स्वामी को राँची में भीमा-कोरेगाँव मामले की जाँच के सिलसिले में हिरासत में लिया है। उन्होंने कहा कि इस बात की अधिक संभावना है कि स्वामी को शुक्रवार (अक्टूबर 09, 2020) तक गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

उन्होंने कहा, “हाँ हमने स्टेन स्वामी को आज पूछताछ के लिए बुलाया था और वह राँची के एनआईए कार्यालय में हैं। उनकी भूमिका के बारे में पूछताछ की जा रही है। उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, सुबह तक प्रतीक्षा करते हैं।” अधिकारियों में से एक ने कहा कि मामला दिसंबर 31, 2017 के यलगार परिषद की घटना से संबंधित है।

इस घटना में पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरुण फरेरा और वरनॉन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था। पुणे पुलिस ने अदालत में कहा था कि गिरफ्तार किए गए पाँचों लोग प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सदस्य हैं और यलगार परिषद देश को अस्थिर करने की उनकी कोशिशों का एक हिस्सा था।

स्वामी से राँची में 7 अगस्त को दो घंटे पूछताछ की गई थी और बाद में उन्हें आगे की पूछताछ के लिए मुंबई के एनआईए कार्यालय में बुलाया गया। एक बयान में, स्टेन स्वामी ने कहा कि 6 सप्ताह की चुप्पी के बाद उन्हें मुंबई में पेश होने के लिए बुलाया गया और उन्होंने एजेंसी को सूचित किया था कि वह अपने बुढ़ापे और महामारी के कारण यात्रा नहीं कर पाएँगे।

जनवरी 01, 2018 को पुणे के कोरेगाँव भीमा में दलित और मराठा समुदायों के बीच हिंसा भड़की। खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता बताने वाले फादर स्टेन स्वामी पर आरोप है कि उनके और उनके साथियों के भड़काऊ भाषण के बाद ही 2018 में भीमा कोरेगाँव में हिसा भड़की थी। उसी मामले में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया है। कई लोगों द्वारा स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध किया जा रहा है।

वामपंथी इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक ट्वीट में कहा है कि फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए बिताया है, इसलिए मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुप कराना चाहती है।

गुहा का आरोप है कि इस सरकार के लिए, कोयला खनन कंपनियों को लाभ पहुँचाना, आदिवासियों के जीवन और रोजगार से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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