दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने ED (प्रवर्तन निदेशालय) से कहा है कि वो मंगलवार (2 अप्रैल, 2024) तक अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे। अब इस मामले की सुनवाई ED द्वारा जवाब दाखिल करने के 1 दिन बाद 3 अप्रैल, 2024 को होगी। अरविंद केजरीवाल की मुख्य याचिका पर भी 3 अप्रैल को ही सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि ED को सुने बिना राहत दिया जाए या नहीं इस पर फैसला नहीं सुनाया जा सकता। जज ने कहा कि ऐसा करना स्वच्छ सुनवाई से इनकार करने के अलावा स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों का हनन भी होगा। कोर्ट ने कहा कि ये दोनों पक्षों पर लागू होता है। ED के वकील और ASG (एडिशनल सॉलिसिटर जनरल) SV राजू ने कहा कि केजरीवाल के काउंसल ने जाँच एजेंसी को याचिका की प्रति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि एकदम अंतिम क्षण में याचिका की प्रति दी है, इसीलिए उसमें वर्णित बिंदुओं का जाँच एजेंसी को जवाब देने के लिए समय चाहिए।
वहीं अरविंद केजरीवाल के वकील कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि इस मामले में फैसला सुनाने के लिए ED द्वारा जवाब दिए जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने सफाई दी कि शनिवार को रजिस्ट्री के बंद रहने के कारण याचिका की प्रति देने में देरी हुई। बता दें कि गुरुवार (28 मार्च, 2024) को अरविंद केजरीवाल की रिमांड की अवधि भी खत्म हो रही है और उन्हें दिल्ली के ही राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाने वाला है।
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— Bar & Bench (@barandbench) March 27, 2024
हाईकोर्ट ने ED को ये भी स्वतंत्रता दी है कि उसे कुछ अतिरिक्त सबूत मिले हैं या पूछताछ के दौरान नए खुलासे हुए हैं तो उसे भी न्यायपालिका के समक्ष रखा जा सकता है। जज ने कहा कि ये तथ्य इस मामले में महत्वपूर्ण होंगे, याचिकाकर्ता के लिए भी। सिंघवी ने कहा कि इस मामले का मनी लॉन्ड्रिंग से कोई लेना-देना नहीं है और लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जानबूझकर ये सब किया गया है। उन्होंने दावा किया कि 3-4 बयानों के आधार पर एक मुख्यमंत्री को उठा लिया गया है, उन्हें भारी दबाव में रखा गया है।