केरल में कोरोना के मामले अभी तक पूरी तरह से थमे नहीं हैं। ऐसी स्थिति में भी देश का सबसे साक्षर राज्य लापरवाही बरतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। यहाँ स्कूल खुले एक महीना हो गया है। इसके बावजूद राज्य में 5,000 से अधिक शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है। राज्य में अब भी 50,000 के करीब सक्रिय कोरोना मामले हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने रविवार (28 नवंबर 2021) को कहा कि राज्य के 5,000 से अधिक शिक्षकों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है। बच्चों की सुरक्षा सरकार के लिए सबसे अहम है। हम इन अशिक्षित शिक्षकों को सही नहीं ठहरा सकते हैं। केरल के शिक्षा मंत्री ने मीडियाकर्मियों से कहा कि जिन शिक्षकों का टीकाकरण नहीं हुआ है, हम उन्हें कुछ और समय देंगे। अगर उन्होंने इसके बाद भी अपनी मनमानी जारी रखी तो, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शिवनकुट्टी ने कहा, “सरकार किसी भी तरह से शिक्षकों के रवैये को बढ़ावा नहीं देगी।” उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ शिक्षक धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से टीका लगाने से हिचकिचाते हैं। सरकार ने सभी शिक्षकों को स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले वैक्सीन लेने के निर्देश जारी किए थे। मंत्री ने कहा कि जिन शिक्षकों और कर्मचारियों ने टीका नहीं लिया है, उन्हें घर पर रहने और स्कूल नहीं आने के लिए कहा गया है।
पश्चिम बंगाल भी कोरोना वैक्सीन की मामले में पीछे
केरल के अलावा कोरोना टीकाकरण के मामले में पश्चिम बंगाल के दो महीने पहले के आँकड़ों पर नजर डाले तो वह देश के सभी राज्यों में सबसे पीछे चल रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है राज्य में कुल वयस्क आबादी के 41 फीसदी लोगों को ही कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगी है। इस तरह से पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय औसत से 13 फीसदी पीछे चल रहा है।
कश्मीर में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे
वहीं बात करें जम्मू-कश्मीर की तो वहाँ जम्मू से ज्यादा कश्मीर में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक महीने में ही कोरोना मरीजों की संख्या दोगुना हो गई है। नेशनल हेल्थ मिशन से मिले आँकड़ों के अनुसार शुक्रवार (26 नवंबर) को यहाँ कुल 174 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई। इनमें से 131 कश्मीर और 43 जम्मू के हैं।
केरल के आँकड़ों पर उठे सवाल
बता दें कि केरल, पश्चिम बंगाल और कश्मीर में कोरोना के नए मामले सामने आने के पीछे यहाँ कई लोगों द्वारा धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से वैक्सीन नहीं लगवाना भी है। वैक्सीनेशन में अव्वल का दावा करने वाले केरल के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने कोरोना महामारी में अभी तक टीके नहीं लगवाए है। यह न केवल राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़ों पर सवाल उठाता है, बल्कि शिक्षित राज्य की लापरवाही को भी उजागर करता है।