बिहार के सीवान में महावीरी जुलूस पर मस्जिद से हमला और पत्थरबाजी के बाद से ही तनाव बना हुआ है। इस मामले में एक बच्चे को भी गिरफ्तार किया गया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसों का कहना है कि उसकी उम्र 8 साल है, जबकि पुलिस उसकी उम्र 13 साल बता रही है। पुलिस का कहना है कि उसके पास विज़ुअल्स हैं, जिसमें वो बच्चा पत्थरबाजी करते हुए दिख रहा है। हालाँकि, विरोध करने वाले इसे ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं।
इस घटना के जो वीडियोज सामने आए हैं, उनमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि मस्जिद की छत से पत्थरबाजी हो रही है। साथ ही आसपास के घरों की महिलाओं को भी पत्थर चलाते हुए देखा जा सकता है। एक इंस्पेक्टर और दो SI समेत 6 पुलिसकर्मी इस हमले में घायल हुए। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि कुछ कहासुनी के बाद ये मामला शुरू हुआ। पुलिस को घटना के बाद इलाके में कैंप करना पड़ा। अब बिहार पुलिस पर इस्लामी गिरोह और मीडिया का लिबरल गैंग सवाल उठा रहा है।
पुलिस के विरोध में क्या कह रहा है इस्लामी गिरोह
इस पूरे मामले ने तब तूल पकड़ा, जब हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना पर बयान दिया। उन्होंने ‘8 साल’ के बच्चे के पुलिस की गिरफ्त में होने का दावा करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि वो मुस्लिमों को सम्मान देंगे या नहीं? उन्होंने कहा कि पुलिस मीडिया को झूठ कह रही है कि लड़के की उम्र 13 साल है। उन्होंने बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र पर उसकी उम्र 8 साल होने का दावा किया।
ओवैसी ने नीतीश कुमार और उनकी सहयोगी पार्टी राजद पर सेक्युलरिज्म का नाटक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि उस ‘8 साल’ के लड़के की माँ पर क्या गुजर रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी और की होती तो यही लोग आसमान सिर पर उठा लिए रहते। उन्होंने बच्चे के घर वाले को मुआवजा देने की माँग करते हुए कहा कि पुलिस दंगाइयों को पकड़ने की बजाए मुस्लिमों को निशाना बना रही है।
“8 साल का रिज़वान बिहार पुलिस की गिरफ़्त में है, नीतीश कुमार जी आप मुसलमानों को सम्मान देंगे की नहीं?” : @asadowaisi
— News24 (@news24tvchannel) September 13, 2022
पूरा इंटरव्यू यहां देखें – https://t.co/sF8n7hRfbd pic.twitter.com/zrnyijvL6F
सोशल मीडिया पर भी बच्चे के समर्थन में ट्रेंड चलाया गया। दावा किया गया कि उसे जेल में रखा गया है। परिवार ने आरोप लगा दिया कि पुलिस उसे छोड़ने के लिए पैसे माँग रही है। परिवार वाले ये मान रहे हैं कि उस दिन वो नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद गया था। बच्चे की अम्मी का कहना है कि पुलिस पकड़ कर ले जाते समय बोली थी कि बस लोगों को चिह्नित कराने के लिए ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो बच्चा है और कोर्ट में रो रहा था।
क्या कह रही है बिहार पुलिस
बिहार पुलिस का कहना है कि बच्चे की उम्र 13 साल है और उसे 8 साल का बताया जाने वाला दावा गलत है। साथ ही सीवान के बड़हरिया थाना क्षेत्र की पुलिस का ये भी कहना है कि उसे जेल में नहीं रखा गया है, बल्कि बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। थाना प्रभारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि बच्चे की गलत तस्वीर वायरल की जा रही है और पूछताछ में उसने खुद अपनी उम्र 13 साल होने की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि उसके पत्थरबाजी में शामिल होने के साक्ष्य पुलिस के पास मौजूद हैं।
उन्होंने रिश्वत माँगे जाने के आरोपों को भी नकार दिया। हालाँकि, पुलिस ये भी कह रही है कि आगे की बातें जाँच के दौरान सामने आएँगी। वहीं SP शैलेश कुमार सिन्हा ने बताया कि 13 साल के लड़के को हथकड़ी भी नहीं लगाई गई थी। न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने के बाद उसे ‘बाल सुधार गृह’ भेज दिया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया में वायरल हो रही बच्चे की तस्वीर को पुरानी करार देते हुए कहा कि ये भ्रामक है। पुलिस का कहना है कि उनके पास विज़ुअल्स हैं, जिनसे पता चलता है कि वो भी घटना में शामिल था।
वहीं बड़हरिया थाना की तरफ से ऑपइंडिया को बताया गया कि बिहार में गाँव में आंगनबाड़ी से लेकर प्रखंड स्तर तक पर जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं, ऐसे में कोई उसे 5 साल का बताते हुए दस्तावेज लेकर आ जाए तो इसमें पुलिस कुछ नहीं कर सकती है। थानाध्यक्ष ने कहा कि बच्चे के साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई है और न ही कोई बल-प्रयोग किया गया। उन्होंने जानकारी दी कि बच्चे ने खुद पूछताछ में अपनी उम्र 13 साल होने की बात कबूली।
थाना में स्थित एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर ये भी बताया कि पुलिस अपनी अभिरक्षा में किसी को भी न्यायालय लेकर जाती है, ऐसे में ये आरोप गलत है कि उसे हथकड़ी पहनाया गया था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो न्यायालय ज़रूर पुलिस को फटकार लगाता। उन्होंने बताया बच्चे ने स्वीकार किया है कि उसे किसी ने पत्थर चलाने के लिए कहा था, लेकिन नाम नहीं बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं की तरफ से जो अंत में पथराव हुआ, वो प्रतिक्रिया थी।
सीवान में सांप्रदायिक घटना: FIR में क्या लिखा है
सारण नगर प्रमंडल स्थित सीवान में कनीय अभियंता के पद पर काम कर रहे प्रेमचंद की शिकायत पर पुलिस ने इस मामले में 35 अज्ञात और 100 नामजद लोगों के विरुद्ध FIR दर्ज की है। इसमें दोनों समुदायों के लोग शामिल हैं। मूल रूप से लखीसराय के रहने वाले प्रेमचंद को महावीरी झंडा अखाड़ा जुलूस के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंडाधिकारी नियुक्त किया गया था। इसीलिए, गुरुवार (8 सितंबर, 2022) को वो जुलूस के साथ ही चल रहे थे।
उनके साथ-साथ गश्ती दल में पुलिस के अधिकारी और जवान भी मौजूद थे। जुलूस को पुरानी बाजार से होकर हरदिया तक जाना था। इसी रास्ते में एक मस्जिद भी पड़ती है। उन्होंने FIR में लिखा है कि शाम के 4:30-5 बजे के आसपास अजान का समय हो जाने के कारण जुलूस को बड़हरिया स्थित पुरानी बाजार में ही रोक कर रखा गया था। अजान खत्म होने के बाद जुलूस धीरे-धीरे मुख्य सड़क से मस्जिद वाली गली में प्रवेश कर आगे बढ़ी।
FIR कॉपी में आगे लिखा है, “मस्जिद के पास दंडाधिकारी के रूप में बड़हरिया के SDPO मौजूद थे। जुलूस शांतिपूर्वक आगे बढ़ रही थी। जुलूस में एक ट्रैक्टर और ट्रॉली में महावीर जी की मूर्ति रखी हुई थी। जब गाड़ी आगे बढ़ गई और लाठी-डंडे से लैश लोग मस्जिद के पास पहुँचे, वहाँ पहले से घात लगाए असामाजिक तत्व के कुछ उपद्रवी मुस्लिमों ने हमला कर दिया। वो छत से ईंट-पत्थर चला रहे थे। असंवैधानिक और सांप्रदायिक नारा लगा रहे थे।”
#BREAKING: Stone pelting from mosque on "Hindu Mahaviri Akhara procession" in Bihar's Siwan, 18 people seriously injured (including 6 policemen who were shielding the procession). pic.twitter.com/HOcMtJPRyA
— Public Press Journal (@thepublicnews24) September 11, 2022
FIR में ये भी लिखा है कि इस दौरान मुस्लिमों ने धर्म के खिलाफ नारे भी लगाए। FIR की मानें तो पुलिस बार-बार उन्हें समझाती रही कि वो उन्माद पैदा न करें और शांति से रहें, लेकिन इसके बावजूद जुलूस में शामिल लोगों और पुलिस-प्रशासन को निशाना बना कर ईंट-पत्थर चलाए जाते रहे। उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत सरकारी कार्य में बाधा डाली। कई थानों की पुलिस के वहाँ पहुँचने के बावजूद हमला नहीं रुका। उन्होंने हिन्दू धर्म के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन के विरोध में भी नारेबाजी शुरू कर दी।
FIR में लिखा है कि इसके बाद दुकानों में तोड़फोड़ के साथ ही आगजनी भी शुरू कर दी गई। सांप्रदायिक दंगा की स्थिति बन गई थी। जुलूस पर हुए हमले में न सिर्फ आम लोगों, बल्कि कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं। FIR में 25 मुस्लिम उपद्रवियों के नाम हैं, जिनमें बच्चे की उम्र 13 साल और कासिम मियाँ की उम्र 70 साल बताई गई है। पुलिस का कहना है कि उसने बल प्रयोग किया, जिसके बाद उपद्रवी वहाँ से भागे। हालाँकि, हमने जब FIR दर्ज करवाने वाले प्रेमचंद से बात की तो उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में पुलिस ही कुछ बताएगी, वो 1 दिन के लिए ही इस ड्यूटी पर थे।
मीडिया के लिबरल गिरोह का प्रोपेगंडा: उलटा हिन्दुओं को ही बता रहे हिंसक
FIR में दंडाधिकारी ने स्पष्ट लिखा है कि महावीरी अखाड़ा जुलूस पुलिस की मौजूदगी में शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहा था और शाम की अजान के कारण मस्जिद से दूर रोक भी दिया गया था और अजान खत्म होने के इंतजार किया गया, इसके बावजूद मीर फैसल और अशरफ हुसैन जैसे लोग प्रोपेगंडा फैलाने में लगे हुए हैं। हमेशा की तरह पत्थरबाजों के परिजनों और घर की महिलाओं से बात कर के ‘ह्यूमन एंगल’ पेश किया जा रहा है।
FIR में स्पष्ट लिखा है कि वहाँ लगातार भड़काऊ नारेबाजी हो रही थी और हिन्दू धर्म के खिलाफ उकसाऊ नारे लगाए जा रहे थे। जबकि पुलिस ने हमें बताया कि जवाब में हिन्दुओं ने पत्थरबाजी की, जो प्रतिक्रिया भर थी। ऐसे में घटना के कारण और इसकी शुरुआत कैसे हुई, ये छिपाते हुए मीडिया गिरोह एजेंडा चला रहा है। ‘The Wire’ ने भी अपनी रिपोर्ट में ऐसे ही दावे किए। ‘मकदूत’ नाम का मीडिया हैंडल भी प्रोपेगंडा चला रहा है।